नई दिल्ली: हंटर किलर के नाम से मशहूर एमक्यू-9बी ड्रोन की खरीद पर सरकार ने आखिरी मुहर लगा दी है. सुरक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट समिति सीसीएस ने भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा करने के मकसद से यह मंजूरी दी है. इसमें अमेरिका से 31 प्रीडेटर लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन की खरीद और परमाणु ऊर्जा से संचालित दो पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण संबंधी सौदे को बुधवार को हरी झंडी दी गई है. इसके आने के बाद भारत की सरहदें एक तरह से सीलबंद होंगी और परिंदा भी पर मारने से पहले कई बार सोचेगा.
असल में जानकारी के मुताबिक एमक्यू-9बी ‘हंटर किलर’ ड्रोन विदेशी सैन्य बिक्री माध्यम के तहत अमेरिकी की जनरल एटॉमिक्स से लगभग 3.1 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से खरीदे जाएंगे. अधिकारियों ने बताया कि परमाणु ऊर्जा से संचालित दोनों पनडुब्बियों का निर्माण लगभग 40,000 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाले सीसीएस ने दोनों प्रमुख खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दी.
ये वही MQ-9B किलर ड्रोन है
आइए समझते हैं कि इस रक्षा सौदे के मायने क्या हैं क्योंकि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात में इस डील पर भी चर्चा की. ये वही MQ-9B किलर ड्रोन है जिसकी डील के बारे में लंबे समय काफी चर्चा है. मोदी के अमेरिकी दौरे में ही यह संकेत मिला था कि यह समझौता जल्द ही अंतिम रूप ले सकता है. और आखिर में वही हुआ.
लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाला ड्रोन
एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन एक बहुउद्देशीय, लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाला ड्रोन है जो उच्च ऊंचाई पर लगातार निगरानी और हमले की क्षमता रखता है. इसकी लंबी उड़ान अवधि और हथियारों से लैस होने के कारण यह विभिन्न प्रकार के सैन्य अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है. सी-गार्जियन और स्काई गार्जियन इसके दो प्रमुख वेरिएंट हैं. MQ-9B Predator Drones हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) की कैटेगरी में आते हैं और 40 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकते हैं.
1850 किलोमीटर दूर तक के दुश्मनों को निशाना
एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन बहुत दूर से ही निशाना लगाने में सक्षम हैं. ये इतने ताकतवर हैं कि इनसे 1850 किलोमीटर दूर तक के दुश्मनों को निशाना बनाया जा सकता है. भारत के पास ये ड्रोन होने से पाकिस्तान के कई शहरों पर नज़र रखी जा सकेगी. इतना ही नहीं कहा जाता है कि चीन के पास भी इनका कोई तोड़ नहीं है. इन ड्रोन्स में कई तरह की मिसाइलें लगी होती हैं जो जमीन पर मौजूद टैंक, जहाज या किसी भी चीज़ को नष्ट कर सकती हैं. इस ड्रोन को अमेरिका की प्रमुख रक्षा उपकरण कंपनी ‘जनरल एटॉमिक्स’ ने बनाया है.