नई दिल्ली : साल 2021 में जब इंग्लैंड की टीम कोरोना काल के बीच भारत का दौरा कर रही थी, तब अहमदाबाद में हुए टेस्ट मैच में उसकी हालत खराब हो गई थी. इस टेस्ट मैच की पहली पारी में इंग्लैंड 112, दूसरी पारी में सिर्फ 81 रन बना पाई थी. तब रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल की स्पिन जोड़ी ने अंग्रेज़ों की हालत खराब की थी. उस मैच के बाद रविचंद्रन अश्विन से पिच को लेकर एक सवाल हुआ था, जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि आकिर यह कौन तय करता है कि अच्छी पिच कैसी होती है?
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जारी बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के शुरुआती तीन टेस्ट मैच सिर्फ तीन-तीन दिनों में खत्म हुए. तीनों ही मैदान पर पिच स्पिनर्स को मदद कर रही थी, इनमें पहले दो टेस्ट में भारत की जीत हुई जबकि इंदौर टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने टर्निंग पिच का फायदा उठाया. 3 टेस्ट मैच के बाद अब ये सवाल फिर खड़ा हो रहा है, अच्छी पिच कैसी होती है और इसे कौन, कैसे परिभाषित करता है.
पिच को लेकर यह बहस इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले कुछ वक्त से टीमें अपने घरेलू मैदान पर अपने हिसाब से पिचों को तैयार करती हैं. वहां विरोधी टीम को खेलने में मुश्किल होती है, ऐसे में मेजबान टीम को फायदा मिलता है और यह दबदबा चलता रहता है. चाहे वो ऑस्ट्रेलिया हो, साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड या फिर अब भारत ही क्यों ना हो. लेकिन हार-जीत की इस आपाधापी में टेस्ट क्रिकेट का नुकसान होता दिख रहा है, जहां मैच 2 दिन, ढाई दिन या 3 दिन में खत्म हो जा रहे हैं.
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज (2023)
नागपुर टेस्ट- भारत पारी और 132 रनों से जीता, ढाई दिन में मैच खत्म
दिल्ली टेस्ट- भारत 6 विकेट से जीता, 3 दिन में मैच खत्म
इंदौर टेस्ट- ऑस्ट्रेलिया 9 विकेट से जीता, 3 दिन में मैच खत्म
भारत में टेस्ट मैच और टर्निंग पिच…
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी मेहमान टीम को भारत में स्पिन खेलने में दिक्कत आई हो. बेदी-प्रसन्ना-चंद्रशेखर-वेंकटराघवन के जमाने से भारतीय टीम ने अपने घरेलू मैदान पर हमेशा राज किया है और यहां स्पिन ने ही कमाल किया है. वक्त बदला तो अनिल कुंबले, हरभजन सिंह जैसे स्पिनर आए और अभी के दौर में रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा और अक्षर पटेल का राज चल रहा है.
SENA देशों (साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) की टीमों को भारतीय उपमहाद्वीप में स्पिन खेलने में दिक्कत आती है, यही वजह है कि भारत का रिकॉर्ड अपने घर में दमदार रहा है. पिछले दो दशक में टीम इंडिया ने अपने घर में सिर्फ एक टेस्ट सीरीज़ गंवाई है, जब इंग्लैंड ने 2012 में भारत को हराया था. उसके बाद से अभी तक टीम इंडिया को कोई उसके घर में मात नहीं दे पाया है.
सीरीज़ से इतर अगर टेस्ट मैचों की हार की बात करें तो वह भी टीम इंडिया को काफी दुर्लभ ही नसीब हुई है. और जब भी ऐसा हुआ है तब विरोधी टीमों के स्पिनर्स ने ही भारतीय बल्लेबाजों को फंसाया है. चाहे इंग्लैंड के मोंटी पनेसर हों या फिर ऑस्ट्रेलिया के नाथन लायन. 2017 में भी ऑस्ट्रेलिया को पुणे में मिली जीत स्पिन की मदद से थी, यहां 2023 में इंदौर में मिली जीत भी नाथन लायन के भरोसे मिली.
भारत में सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट (भारतीय बॉलर)
• अनिल कुंबले- 63 मैच, 350 विकेट (स्पिनर)
• रविचंद्रन अश्विन- 54 मैच, 330 विकेट (स्पिनर)
• हरभजन सिंह- 55 टेस्ट, 265 विकेट (स्पिनर)
• कपिल देव- 65 टेस्ट, 219 विकेट (तेज गेंदबाज)
• रवींद्र जडेजा- 39 टेस्ट, 193 विकेट (स्पिनर)
भारत में सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट (विदेशी बॉलर)
• डेरेक अंडरवुड (इंग्लैंड)- 16 टेस्ट, 54 विकेट (स्पिनर)
• नाथन लायन (ऑस्ट्रेलिया)- 10 टेस्ट, 53 विकेट (स्पिनर)
• रिची बेनॉ (ऑस्ट्रेलिया)- 8 टेस्ट, 52 विकेट (स्पिनर)
• कर्टनी वॉल्श (वेस्टइंडीज़)- 7 टेस्ट, 43 विकेट (तेज गेंदबाज)
• मुथैया मुरलीधरन (श्रीलंका)- 11 टेस्ट, 40 विकेट (स्पिनर)
पिच पर दिग्गजों के सवाल…
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी शुरू होने से ठीक पहले ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा और पूर्व क्रिकेटर्स ने लगातार भारत पर पिच को अपने मनमुताबिक बनवाने का आरोप लगाया, साथ ही इसे टेस्ट क्रिकेट के लिए खतरा बताया. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर इयान हिली ने लगातार इस बात का जिक्र किया था कि भारत स्पिन फ्रेंडली पिच बना सकता है, जिससे मेहमान टीम को घाटा हो. अगर भारत बेहतर पिच देता है, तो ऑस्ट्रेलिया उसे इस सीरीज़ में टक्कर दे सकता है.
बता दें कि पिच को लेकर हंगामा इतना बढ़ा था कि ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज़ से पहले प्रैक्टिस मैच खेलने से इनकार किया था और खुद को निजी कैंप तक ही सीमित रखा था. ऑस्ट्रेलिया प्लेयर स्टीव स्मिथ ने भी कहा था कि प्रैक्टिस मैच और टेस्ट मैच में पिच अलग-अलग तरह की होगी, ऐसे में इनका फायदा नहीं है.
इंदौर टेस्ट मैच में जिस तरह की पिच बनी, उसे आईसीसी ने खराब करार दिया. पिच को लेकर चर्चा लगातार हो रही है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के ही पूर्व क्रिकेटर माइकल कास्प्रोविच ने भी कहा कि पिच को लेकर जितना हंगामा खड़ा किया जा रहा है, वह पूरी तरह से सही नहीं है. इंदौर में शुरुआत में ही पिच ने कुछ करतब दिखाए थे, लेकिन बाद में वह संभलकर चल रही थी.
क्या आईसीसी देगी दखल?
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जैसी बड़ी सीरीज़ के 3 मैच लगातार 3 दिन के भीतर खत्म हो जाना एक चिंता का विषय बना. क्योंकि भारत में हाल ही के वक्त में ऐसे कई टेस्ट हैं जो तीन दिन के आगे नहीं जा पा रहे हैं. इसका फर्क सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बल्कि ब्रॉडकास्टर, फैन्स, स्टेडियम और बाकी चीज़ों पर भी पड़ता है. यही कारण है कि द्विपक्षीय सीरीज़ के ऐसे हाल पर कई बार मांग उठी है कि क्या अब आईसीसी को इस तरह के नियमों में दखल देना चाहिए.
आईसीसी का नियम देखें तो किसी भी इंटरनेशनल मैच की पिच तैयार करने का अधिकार उस मैदान के क्यूरेटर के पास होता है. वह तय करता है कि पिच किस तरह बनेगी, हालांकि द्विपक्षीय सीरीज़ में मेजबान टीम के पास कुछ सहूलियत होती है. मेजबान टीम का कप्तान, कोच क्यूरेटर से पिच को कुछ हदतक अपने तरीके से बनवाने की अपील कर सकता है.
MCC के नियम 6.3 के तहत, ‘मैच से पहले पिच के सेलेक्शन की जिम्मेदारी मैदान के अधिकारियों और क्यूरेटर के पास होती है. मैच के दौरान पिच की जिम्मेदारी पूरी तरह से अंपायर और रेफरी के हाथ में होती है.’. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड जैसे देशों में भी मेजबान टीम के मुताबिक पिच तैयार की जाती हैं. जहां भारतीय उपमहाद्वीप की टीमों को हरी पिच देखने को मिलती है, जो तेज़ गेंदबाज़ों और स्विंग, बाउंस के लिए मददगार होती है.