नई दिल्ली. घोटाले और फर्जीवाड़े जैसे शब्दों से तो आप भलीभांति परिचित होंगे. देश में अब तक कई बार ऐसे घोटाले सामने आ चुके हैं जिसने सरकारों के साथ-साथ आम आदमी को भी हिलाकर रख दिया. देखा जाए तो घोटालों की एक लंबी फेहरिस्त है, लेकिन आज हम आपको देश के सबसे बड़े घोटाले के बारे में बताने जा रहे हैं. इस घोटाले ने न सिर्फ सरकार को झकझोर दिया था, बल्कि पूरे देश की जनता को हिला दिया था. इस घोटाले का असर इतना ज्यादा था कि तत्कालीन सरकार के लिए वापस सत्ता में लौटना ही असंभव बन गया था.
अगर हम देश के सबसे बड़े घोटाले की बात करें तो ‘कोलगेट’ स्कैम के आगे सारा फर्जीवाड़ा बौना साबित हो जाएगा. कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के समय हुए इस घोटाले का पर्दाफाश तत्कालीन कैग अध्यक्ष विनोद राय ने किया था. कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सरकार के मंत्रियों ने गलत तरीके से कोयला खदानों का आवंटन कर इस घोटाले को अंजाम दिया था. कैग की रिपोर्ट में सरकार के कई मंत्रियों को कटघरे में खड़ा किया गया था.
कितनी खदानों का था घोटाला
कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि यूपीए सरकार के दौरान साल 2004 से 2009 के बीच 70 कोयला खदानों का गलत तरीके से आवंटन किया गया था. यह आवंटन साल 1993 से 2003 के बीच जारी गाइडलाइन का रिवीजन करने के बाद किया गया था. अवैध तरीके से हुए इन कोल ब्लॉक के आवंटन से सरकार को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा था.
कितने रुपये का हुआ था नुकसान
कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सरकार के हाथ में सारी पॉवर होने के बावजूद इस तरह के घोटाले को अंजाम दिया गया. कैग ने अनुमान लगाया था कि इस घोटाले से सरकारी खजाने को 10.78 लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा था. वहीं, घोटाले अंजाम देने वालों ने 1.86 लाख करोड़ रुपये खुद कमाए थे. इसका मतलब हुआ कि करीब 2 लाख करोड़ रुपये की घपलेबाजी करने के चक्कर में देश के खजाने को 11 लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया था.
ऊपर दिए आंकड़े से आपको भी पता चल गया होगा कि क्यों इस घोटाले को कैग ने ‘मदर ऑफ ऑल स्कैम’ का नाम दिया था. इससे सरकार की साख को बट्टा लगा था और विरोध में देशभर के लोग सड़कों पर उतर आए थे. इस घोटाले में पूर्व सचिव एचसी गुप्ता, पूर्व संयुक्त सचिव केएस क्रोफा, कोयला मंत्रालय के पूर्व निदेशक केसी समरिया जैसे लोगों का नाम आया था. इन सभी को दोषी करार देते हुए जेल की सजा भी सुनाई गई थी.