नई दिल्ली : देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट अप ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। इसका नाम पंबन ब्रिज है और इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। यह भारत में समुद्र पर बना पहला पुल है। इस पुल का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि इसके निर्माण का काम 1870 में ही शुरू हुआ था। लेकिन ब्रिटिश कार्यकाल के दौरान 1914 में इसे चालू किया गया।
100 साल तक सुरक्षित रहेगा पंबन ब्रिज
अब मेक इन इंडिया के तहत इस ब्रिज का निर्माण फिर से किया गया है और यह अगले 100 साल तक सुरक्षित रहेगा। यह ब्रिज चीन की हरकतों पर नजर रखने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। श्रीलंका ने हंबनटोटा में कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर का काम चीन को दिया है। ऐसे में पंबन ब्रिज के बन जाने से हंबनटोटा पर चीनी गतिविधियों पर भी नजर होगी।
पंबन ब्रिज की कई खासियत है। रामेश्वरम के समुद्र में काफी तेजी से समुद्री हवाएं भी चलती है। कई बार यहां पर 100 किलोमीटर की रफ्तार से हवा चलती है। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सिग्नल को विंड स्पीड से कनेक्ट किया गया है। इसका फायदा यह होगा जैसे ही 50 किलोमीटर से ऊपर की रफ्तार से हवा चलेगी, तुरंत ट्रेन अपने आप रुक जाएगी। रामेश्वरम में पंबन ब्रिज का निर्माण किया गया है और इसकी लंबाई करीब 2.2 किलोमीटर है। पुल की ऊंचाई समुद्र तल से 22 मीटर है।
यह पुल भारी रेल यातायात और तेज़ ट्रेनों को समायोजित करने के लिए तैयार किया गया है। साथ ही, यह बड़े जहाजों को बिना किसी व्यवधान के गुजरने की अनुमति देगा। पुल पर स्थित टावर 34 मीटर की ऊंचाई पर है जबकि ट्रैक सहित लिफ्ट स्पैन का कुल वजन 1,470 मीट्रिक टन है। पुल की कुल लंबाई 2.2 किमी है और इसका 72 मीटर का हिस्सा जहाजों के गुजरने के लिए उठा हुआ है।
क्यों ऐतिहासिक है पंबन ब्रिज?
रामेश्वरम सदियों से एक पवित्र तीर्थस्थल रहा है। यह अपने मंदिरों, प्राचीन समुद्र तटों और आध्यात्मिक वातावरण के लिए भक्तों का प्रिय क्षेत्र है। पंबन ब्रिज इस पवित्र शहर की लाइफलाइन के रूप में कार्य करेगा और इसे मुख्य भूमि से जोड़ता है। इसके अलावा यह पंबन ब्रिज तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और व्यापारियों के मार्ग को सुविधाजनक बनाता है। पंबन ब्रिज 1988 तक रामेश्वरम और मुख्य भूमि के बीच एकमात्र लिंक हुआ करता था। बाद में अन्नाई इंदिरा गांधी रोड ब्रिज नामक एक सड़क पुल इसके पास बनाया गया था, जो राष्ट्रीय राजमार्ग (NH 49) को रामेश्वरम से जोड़ता था।