नई दिल्ली l रूस के 1 लाख से ज्यादा सैनिक भारी हथियारों के साथ यूक्रेन की सीमाओं पर तैनात है. दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात बने हुए हैं. ऐसे में यूक्रेन के एक मंत्री ने दावा किया है कि अगर रूस ने हमला किया तो तृतीय विश्व युद्ध शुरू हो सकता है. इसके अलावा अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने आगाह किया है कि रूस जनवरी में यूक्रेन पर हमला कर सकता है.
यूक्रेन के बॉर्डर पर तैनात हैं लाखों रूसी सैनिक
यूक्रेन के बॉर्डर पर सैनिकों की तैनाती को लेकर रूस का कहना है कि वो अपने देश के किसी भी हिस्से में सैनिकों को तैनात करने के लिए स्वतंत्र है और दुनिया के किसी भी देश को इससे दिक्कत नहीं होनी चाहिए. स्काई न्यूज से बात करते हुए यूक्रेन के पूर्व सैनिकों के मंत्रालय की मंत्री यूलिया लापुतिना ने कहा कि अगर रूस ने हमला किया तो उनका देश अपना बचाव करने के लिए तैयार है. कीव में अपने ऑफिस में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगर सैन्य कार्रवाई का आदेश देते हैं तो दोनों देशों को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा.
‘तीसरे विश्व युद्ध के लिए भी तैयार रहना चाहिए’
मंत्री ने कहा कि अगर रूस आक्रमण करता है तो हमें बाल्कन देशों का भी ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि कि रूसी सर्बिया में क्या कर रहे हैं. वे बाल्कन में स्थिति को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध भी ऐसे ही शुरू हुआ था इसलिए हमें तीसरे विश्व युद्ध के लिए भी तैयार रहना चाहिए. बता दें, बाल्कन दक्षिण पूर्व यूरोप का इलाका है, जिसमें स्लोवेनिया, क्रोएशिया, बोस्निया, हर्जेगोविना, सर्बिया, मोंटेनेग्रो, अल्बानिया, मैसेडोनिया, ग्रीस, बुल्गारिया और रोमानिया जैसे देश आते हैं.
‘यूक्रेन जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह से तैयार है’
रिपोर्टों से पता चला है कि कम से कम 90000 रूसी सैनिक, भारी तोपखाने और टैंकों के साथ यूक्रेन की सीमा के नजदीक तैनात हैं. मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले साल की शुरुआत में यह संख्या बढ़कर 175000 हो सकती है. ऐसे में यूक्रेन के रक्षा मंत्री ने दावा किया कि उनके देश की तरफ से हालात को बिगाड़ने वाली कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर रूस हमला करता है तो यूक्रेन जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह से तैयार है.
क्या है रूस-यूक्रेन विवाद?
गौरतलब है कि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन को आजादी मिली थी. यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है. इस देश में उपजाऊ मैदानी इलाका और कई बड़े उद्योग हैं. यूक्रेन की पोलैंड से अच्छी दोस्ती है. देश के कई इलाकों में राष्ट्रवाद की भावना प्रबल है. हालांकि यूक्रेन में रूसी भाषा बोलने वाले अल्पसंख्यकों की संख्या भी अच्छी खासी है और ये लोग विकसित पूर्वी इलाके में ज्यादा मौजूद हैं.
साल 2014 में रूस की ओर झुकाव रखने वाले यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के खिलाफ यूक्रेन की सरकार में विद्रोह होने लगा था. रूस ने इस मौके का फायदा उठाया और यूक्रेन में मौजूद क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर डाला था और यहां मौजूद विद्रोही गुटों ने पूर्वी यूक्रेन के हिस्सों पर कब्जा कर लिया. यूक्रेन में हुए आंदोलनों के चलते राष्ट्रपति विक्टर को अपना पद छोड़ना पड़ा लेकिन तब तक रूस क्रीमिया का अपने साथ विलय कर चुका था. इस घटना के बाद से ही यूक्रेन पश्चिमी यूरोप के साथ अपने रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटा है लेकिन रूस लगातार इसके खिलाफ रहा है. यही वजह है कि यूक्रेन, रूस और पश्चिमी देशों की खींचतान के बीच फंसा हुआ है.
खबर इनपुट एजेंसी से