मॉस्को: युक्रेन के साथ जारी जंग के बीच ही रूस ने एक बड़ा फैसला किया है। रूस ने तय किया है कि वह अपनी सबसे खतरनाक परमाणु पनडुब्बी को अब और ज्यादा घातक बनाएगा। रूस की 885A यासेन श्रेणी की पनडुब्बियों को जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस किया जाएगा। एक सबसे एडवांस्ड प्रोजेक्ट के तहत रूस इस मिशन को अंजाम देगा। प्रोजेक्ट को देश की नौसैनिक टेक्नोलॉजी और क्षमताओं में बड़े पैमाने पर प्रगति का प्रतीक बताया जा रहा है। इस बात की जानकारी रूस के यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन (यूएससी) की तरफ से न्यूज एजेंसी आरआईए नोवोस्ती को यह जानकारी दी है।
फिट होंगी जिरकॉन मिसाइलें
यूएससी के डायरेक्टर जनरल अलेक्सी राखमनोव ने कहा है कि 885 (एम) प्रोजेक्ट में यासेन टाइप पनडुब्बियों को जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस किया जाएगा। यासेन परमाणु-संचालित पनडुब्बियां हैं और इन्हें काफी शक्तिशाली करार दिया जाता है। राखमनोव ने कहा है कि इस दिशा में प्रयास पहले से ही जारी हैं। यासेन कैटेगरी की परमाणु पनडुब्बियां फिजिक टाइप के टॉरपीडो के साथ-साथ कलिब्र और ओनिक्स क्रूज मिसाइलों से पहले ही लैस हैं।
जिरकॉन मिसाइलों से लैस होने के बाद ये पनडुब्बियां और ज्यादा खतरनाक हो जाएंगी। राखमनोव ने कहा है, ‘रक्षा मंत्रालय के फैसले के बाद इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रोजेक्ट कब तक पूरा होगा इस बारे में कोई तय तारीख नहीं दी गई है। साल 2026 तक जिरकॉन मिसाइलों से लैसे ये पनडुब्बियां रूस की नौसेना में शामिल हो सकती हैं।
अब तक कितनी पनडुब्बियां
उन्होंने जानकारी दी कि जिरकॉन मिसाइलों से लैस पहला रूसी जहाज फ्रिगेट एडमिरल गोर्शकोव था। यह फ्रिगेट प्रोजेक्ट 22350 का एक हिस्सा था। इस हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम को कई फेज में फिट किया जाएगा। 885एम यासेन-एम प्रोजेक्ट परमाणु-ऑपरेटेड पनडुब्बियां 885 प्रोजेक्ट का ही एडवांस्ड वर्जन है। ‘कैलिबर’ और ‘ओनिक्स’ क्रूज मिसाइलों से लैस, ये पनडुब्बियां, जिन्हें ‘ऐश’ भी कहा जाता है, एडवांस्ड नौसैनिक टेक्नोलॉजी का सर्वोत्तम उदाहरण मानी जाती हैं। इस समय रूस की नौसेना के पास 885 प्रोजेक्ट्स और 885M सीरीज की दो पनडुब्बियां हैं। जबकि अतिरिक्त छह एडवांस्ड पनडुब्बियों को भी तैयार किया जा रहा है।
क्यों बनाई गईंं ये पनडुब्बियां
यासेन क्लास पनडुब्बियों को कैरियर बैटल ग्रुप को जवाब देने, बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों को बेअसर करने और पनडुब्बियों पर हमला करने के मकसद से तैयार किया गया है। इन पनडुब्बियों को नाटो रिपोर्टिंग नाम सेवेरोडविंस्क के तौर पर भी जाना जाता है। इसके अलावा, यासेन-एम वर्जन की पनडुब्बी ने अपनी ताकत को भी साबित किया है। ये पनडुब्बियां दुश्मन देश की नौसेना के अड्डों और उनके बंदरगाहों को आसानी से निशाना बना सकती हैं। जानकारों की मानें तो ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइल-फायरिंग क्षमताओं के साथ, रूस की पनडुब्बियां अमेरिकी नौसेना के लिए बड़ा खतरा साबित होंगी।