लखनऊ : विधानसभा चुनाव से मिली सीख के बाद अखिलेश यादव अपने पिता समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पदचिन्हों पर चलते नजर आ रहे हैं. एक और वह बीजेपी को लेकर लगातार आक्रामक हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल के सामने अपने क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी को कहीं से भी झुकना नहीं देना चाहते हैं. यही कारण है अखिलेश की मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में रही लगातार चुनावी रैलियां, प्रचार और अब पार्टी विस्तार की कवायद और वह भी तब जब सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल समेत कई पार्टी के नेता अखिलेश को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के लिए खुली तरह से बयान देते नजर आ रहे हैं.
मध्य प्रदेश चुनाव के बाद अब अखिलेश यादव हरियाणा में भी जमीन तलाश में जुट गए हैं. यूपी के बाहर सपा के विस्तार के लिए अखिलेश की नजरें अब एमपी के बाद हरियाणा पर है, जिसकी वजह से पड़ोसी राज्य में पार्टी की जमीन बनाने के लिए उन्होंने साथी तलाश में शुरू कर दिए हैं.
रविवार को अखिलेश हरियाणा जन सेवक पार्टी की ओर से जींद में आयोजित रैली में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के साथ शामिल हुए. वाघेला के साथ अखिलेश की यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान और बाद में हुई मुलाकातें लगातार राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी रही हैं.
हरियाणा के जींद पहुंचे सपा प्रमुख अखिलेश यादव.
जींद को हरियाणा की राजनीतिक राजधानी कहा जाता है, क्योंकि वहां के अधिकतर बड़े नेताओं ने यहीं से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की. निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने जींद में जन सेवा संपर्क रैली की. बलराम कुंडू पहले बीजेपी सरकार के साथ थे लेकिन 2020 में उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद उन्होंने हरियाणा जन सेवक पार्टी बनाई. रविवार को उनकी पार्टी की यह पहले रैली थी, जिसमें उन्होंने वाघेला के साथ-साथ अखिलेश यादव को न्योता भेजा.
हालांकि, अगर आंकड़ों की बात करें तो यूपी की सत्ता में समाजवादी पार्टी यूं तो तीन बार बैठ चुकी है. लेकिन हरियाणा की जमीन राजनीतिक तौर पर सपा के लिए बंजर ही रही है. 1996 से अब तक हुए 6 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने वहां उम्मीदवार उतारे लेकिन केवल एक बार एक उम्मीदवार ही जमानत बचा पाया. आंकड़ों पर नजर डालें तो 1996 में सपा 26 सीटों पर चुनाव लड़ी और 69000 से ज्यादा वोट मिले थे, 25 प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई थी.
2000 में सपा 19 सीटों पर लड़ी और करीब 16000 वोट पाए. 2005 में कुल 21 उम्मीदवारों के खाते में केवल 42000 वोट आए. 2009 में सपा के सभी 24 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई और 15000 वोट ही मिल पाए, तो वहीं 2014 में सपा ने 34 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. लेकिन वोट महज 9378 मिले. 2019 में सपा ने केवल चार उम्मीदवार उतारे और उनके हिस्से कुल मिलाकर 800 वोट ही आ पाए.
लेकिन इन सबसे परे अखिलेश हरियाणा के अन्य दलों के लोकल नेताओं के जरिए पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं और कहीं न कहीं कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से पहले एक मैसेज देने की कोशिश भी. माना यह भी जा रहा है कि अखिलेश कांग्रेस से मध्य प्रदेश में हुई रण के बाद I.N.D.I.A. को यह भी बताना चाहते हैं कि अगर जरूरत आन पड़ी तो सपा लोकसभा चुनाव अकेले लड़कर भी अच्छे परिणाम हासिल कर सकती है.