हल्द्वानी। लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। तमाम नाके-चौराहों पर पुलिस ने पहरा देना शुरू कर दिया है। मगर, स्मैक, शराब और नगदी पकड़े जाने का सिलसिला जारी है। पिछला रिकॉर्ड भी बताता है कि उत्तराखंड में चुनाव के दौरान पैसे और नशे का खेल काफी समय से चल रहा है।
2019 के लोकसभा चुनाव का ही आंकड़ा देखें तो उत्तराखंड में 3.37 करोड़ रुपये की नगदी बरामद की गई थी। इसका अब तक कोई हिसाब नहीं मिला है। देश की सभी पहाड़ी राज्यों से तुलना की जाए तो उत्तराखंड चुनाव के दौरान नोटों के खेल में तीसरे स्थान पर रहा था।
पहले दो नंबर पर उत्तर पूर्व के राज्य असम और अरुणाचल प्रदेश रहे थे। निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि चुनाव में सामान्य तौर पर भोले-भाले माने जाने वाले पहाड़ी राज्यों के नेता भी चुनाव में खूब धनबल और नशे का इस्तेमाल करते रहे हैं। 2019 के चुनाव के बाद जारी रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में 844 करोड़ रुपये नगद और 302 करोड़ रुपये की शराब पकड़ी गई थी।
आज तक आयोग को इस शराब और पैसे का कोई हिसाब नहीं मिला है। कानून के जानकार बताते हैं कि पकड़ में आई चीजों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नोट और नशा चुनाव को किस कदर प्रभावित कर रहा होगा। इसमें उत्तराखंड की हिस्सेदारी भी कम नहीं है।
नोटों में उत्तराखंड, नशे के खेल में हिमाचल आगे
रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता है कि उत्तराखंड में जहां चुनाव प्रभावित करने के लिए नोटों का खेल ज्यादा चला वहीं हिमाचल में इसकी जगह नशा ज्यादा प्रभावी रहा। बीते चुनाव में हिमाचल में दस लाख लीटर से अधिक शराब पकड़ी गई थी।
जबकि उत्तराखंड में यह आंकड़ा 80 हजार लीटर था। नगदी की बात करें तो उत्तराखंड में 3.37 करोड़ रुपये बरामद हुए थे। हिमाचल में ये आंकड़ा काफी कम रहा। असम में सर्वाधिक 13.05 करोड़ व अरुणाचल प्रदेश में 7.14 करोड़ नगदी पकड़ी थी।
गिफ्ट से भी प्रभावित करने की कोशिश
यह किसी से छिपा नहीं है कि गिफ्ट देकर भी चुनाव प्रभावित करने के प्रयास किए जाते हैं। बीते चुनाव में ही 987 करोड़ रुपये की सोना-चांदी जैसी महंगी चीजें देशभर भी जब्त की गईं थीं। हालांकि उत्तराखंड में गिफ्ट का चलन बहुत ज्यादा नहीं मिला था। बीते चुनाव में यहां महज 40 हजार रुपये के ही गिफ्ट पकड़े गए थे।
ड्रग्स की भी हो रही चुनाव में सप्लाई और खपत
उत्तराखंड में नशा एक बड़ी समस्या है जो चुनाव में और विकराल हो जाता है। पहले प्रदेश में शराब का ही चलन था अब ड्रग्स का भी बढ़ रहा है। यही कारण है बीते चुनाव में निर्वाचन आयोग की टीम ने पूरे प्रदेश में 77 लाख रुपये कीमत की ड्रग्स पकड़ी। कानून के जानकारों का मानना है सप्लाई की जा चुकी खेप निश्चित तौर पर बरामद से अधिक होगी।