नई दिल्ली: कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुडा स्कैम में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है. मुडा स्कैम में मुख्यमंत्री की पत्नी बीएम पार्वती मुख्य आरोपी हैं. उन पर गलत तरीके से मैसूर में जमीन लेने का आरोप है. कर्नाटक की राजनीति में यह मुद्दा पिछले एक महीने से उठ रहा है. राज्यपाल से सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी मिलने के बाद कर्नाटक की सियासी सरगर्मी और बढ़ सकती है. क्योंकि, अब तक देश में जब-जब किसी घोटाले के आरोप को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ राज्यपाल ने केस चलाने की अनुमति दी है, तब-तब मुख्यमंत्री गिरफ्तार हुए हैं.
1. लालू यादव की हुई थी पहली गिरफ्तारी
साल था 1997 और संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री थे लालू प्रसाद यादव. उन पर चारा घोटाला का आरोप लगा, जिस पर काफी बवाल शुरू हो गया. लालू के खिलाफ विपक्ष ने मोर्चेबंदी शुरू की. मामला हाईकोर्ट पहुंचा और सीबीआई की मांग शुरू हुई. बवाल बढ़ता देख राज्यपाल एआर किदवई ने लालू यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की परमिशन दे दी.
सीबीआई इसके बाद इस मामले की जांच शुरू की. जांच के कुछ ही दिन बीतने के बाद सीबीआई ने इस मामले में मुख्यमंत्री लालू यादव को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार होने के बाद लालू ने अपनी जगह पर पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी.
चारा घोटाला मामले में निचली अदालत से लालू यादव दोषी करार दिए जा चुके हैं. वर्तमान में वे इस मामले में स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर हैं.
2. बीएस येदियुरप्पा भी मुश्किलों में फंसे
2011 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे बीएस येदियुरप्पा. उसी वक्त संतोष हेगड़े की नेतृत्व वाली लोकायुक्त ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. येदियुरप्पा पर भी जमीन को गलत तरीके से आवंटित करने का मामला था. उस वक्त कर्नाटक के राज्यपाल हंसराज भारद्वाज. भारद्वाज ने बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी. हंसराज के इस फैसले की काफी आलोचना हुई.
लोकायुक्त कोर्ट ने इसके बाद येदियुरप्पा के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट निकाले. अक्टूबर 2011 में येदियुरप्पा को गिरफ्तारी देनी पड़ी. गिरफ्तार होने के बाद येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी. इस मामले में वे 23 दिनों तक जेल में रहे. बाद में सीबीआई ने इस मामले को टेकल कर लिया और येदियुरप्पा के खिलाफ जांच शुरू की.
3. LG की मंजूरी से केजरीवाल रडार पर आए
2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने केजरीवाल सरकार के शराब पॉलिसी की जांच सीबीआई को सौंप दी. इस केस में शुरुआत में सीबीआई ने पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से पूछताछ की. अक्टूबर 2022 में सीबीआई ने ईडी के साथ मिलकर सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया.
सिसोदिया के खिलाफ इस मामले की जांच चल ही रही थी कि ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आरोपी बना दिया. मार्च 2024 में लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया. इस केस में वर्तमान में सिसोदिया जमानत पर बाहर हैं, जबकि केजरीवाल अभी भी जेल में बंद हैं.
मधु कोड़ा की कुर्सी गई, गिरफ्तार हुए
झारखंड में 2006 निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. 2 साल तक कोड़ा की सरकार ठीक से चलती रही, लेकिन इसी बीच उन पर खनन घोटाले का आरोप लगा. आरोप था कि कोयला खाद्यान की आवंटन में कोड़ा की टीम ने करीब 400 करोड़ रुपए कमाए.
केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और शुरुआत में मामले में लीपापोती की कोशिश की गई, लेकिन धीरे-धीरे कोड़ा का मुद्दा झारखंड में तूल पकड़ने लगा. राजनीतिक नुकसान को देखते हुए शिबू सोरेन ने कोड़ा सरकार से समर्थन वापस ले लिया.
कोड़ा के खिलाफ तत्कालीन राज्यपाल सीब्ते रिजवी ने सीबीआई को जांच के लिए पत्र लिखा. सीबीआई जब इसकी पड़ताल शुरू की तो उसे मनी लॉन्ड्रिंग के भी सबूत मिले. 2009 में कोड़ा मामले में सीबीआई और ईडी दोनों ने मिलकर जांच शुरू की.
जांच के दौरान सीबीआई ने कोड़ा को गिरफ्तार कर लिया. कोड़ा 2012 तक जेल में बंद रहे. 2017 में उन्हें इस मामले में दोषी ठहराया गया. वर्तमान में कोड़ा की पत्नी राजनीति में है.
जांच की मंजूरी मिली तो सरकार चली गई
तमिलनाडु में 1995 में जयललिता की सरकार थी. उसी वक्त उन पर तांसी जमीन घोटाले का आरोप लगा. आरोप ने जयललिता को बैकफुट पर ला दिया. एक तरफ उनके खिलाफ विपक्ष सड़क पर थी, तो दूसरी तरफ वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी उन्हें कानूनी तौर पर घेर रहे थे.
स्वामी ने इस केस की जांच की मंजूरी के लिए तमिलनाडु के तत्कालीन राज्यपाल ए चन्ना रेड्डी को पत्र लिखा. राज्यपाल ने तुरंत ही इस केस की जांच की मंजूरी दे दी. जयललिता इस केस में गिरफ्तार तो नहीं हुईं, लेकिन 1996 में उनकी सरकार चली गई.
सरकार जाते ही उन पर आय से अधिक संपत्ति का केस शुरू हो गया. जयललिता को इस केस में जेल जाना पड़ा.
सिद्धारमैया पर भी कसेगा शिंकजा?
राज्यपाल की तरफ से जारी केस की मंजूरी पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल प्रथम दृष्टया संतुष्ट हैं कि यह केस मुख्यमंत्री के खिलाफ बनता है. राज्यपाल ने 2004 में मध्यप्रदेश को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला भी दिया है, जिसमें राज्यपाल इस तरह की केस की मंजूरी दे सकते हैं.
राज्यपाल के इस परमिशन के बाद अब सिद्धारमैया के खिलाफ कोर्ट समन जारी कर सकता है और जांच एजेंसी केस दाखिल कर जांच शुरू कर सकती है. हाल ही में कर्नाटक के डिप्टी सीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि सिद्धारमैया के खिलाफ साजिश हो रही है.
उन्होंने आशंका जताई थी कि सिद्धारमैया को जेल भेजकर सरकार गिराने की साजिश हो रही है. वहीं अब पूरे मामले में सिद्धारमैया कानूनी सलाह ले रहे हैं. कहा जा रहा है कि राज्यपाल के इस फैसले को कर्नाटक की सरकार कोर्ट में चुनौती दे सकती है.