नई दिल्ली: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा को अब चार दिन पूरे हो गए हैं. इन तीनों राज्यों में सत्ता पर कब्जा करने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब तक मुख्यमंत्रियों के नाम तय नहीं कर सकी है. गुरुवार को भी इन राज्यों में मुख्यमंत्रियों के नामों पर सहमति नहीं बन सकी है. इसके चलते फिलहाल मुख्यमंत्री के नाम फाइनल करने का काम रोक दिया गया है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब शुक्रवार को तीनों राज्यों के लिए ऑब्जर्वर्स के नामों की घोषणा की जाएगी, जो राज्यों में जाकर विधायकों के साथ बैठक करेंगे और उसके बाद सामने आने वाले नामों की जानकारी हाईकमान को देंगे. इसके बाद ही मुख्यमंत्रियों के नामों पर फैसला किया जाएगा.
बिना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किए चुनाव में उतरी थी भाजपा
बता दें कि तीनों राज्यों में भाजपा ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए बिना ही चुनाव में भागीदारी की थी. उस समय कहा गया था कि मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला चुनाव जीतने के बाद लिया जाएगा. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जहां भाजपा ने सत्ता में वापसी की है, वहीं मध्य प्रदेश में पार्टी ने अपनी सत्ता भारी बहुमत के साथ बरकरार रखी है. इसके चलते पार्टी के पास मुख्यमंत्री पद के लिए जरूरत से ज्यादा दावेदार खड़े हो गए हैं. यही हाईकमान के लिए मुश्किल की बात बन गई है. हालांकि पिछले कुछ राज्य विधानसभा चुनावों का उदाहरण लिया जाए तो भाजपा हाईकमान ने मजबूत दावेदारों के बजाय चौंकाने वाले नामों को चुनने को ज्यादा तरजीह दी है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव करीब होने के चलते शायद पार्टी नेतृत्व किसी एक्सपेरिमेंट से बचना चाह रहा है.
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने खुद ही छोड़ दी है दौड़?
मध्य प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के दावेदार शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को उस समय सभी को हैरान कर दिया, जब उन्होंने खुद को अगला मुख्यमंत्री बनने की होड़ से बाहर बताया है. शिवराज सिंह पार्टी के छोटे से कार्यकर्ता के घर भोजने करने पहुंचे थे. हालांकि उनके मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं होने के बयान पर पार्टी हाईकमान ने कोई रिएक्शन नहीं दिया है. मध्य प्रदेश में शिवराज को ही सबसे ज्यादा मजबूत दावेदार माना जा रहा था, क्योंकि पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक ने भारी बहुमत के लिए शिवराज सिंह चौहान की कल्याणकारी योजनाओं को ही मैच विनर माना था. शिवराज के अलावा राज्य में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं. इनके अलावा कैलाश विजयवर्गीय ने भी अपनी इच्छा जाहिर कर दी है.
राजस्थान में वसुंधरा हथियार डालने को तैयार नहीं?
राजस्थान में भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ही सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है, जिन्होंने चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में जबरदस्त मेहनत कर जनसमर्थन को पार्टी के पक्ष में लाने का दावा किया है. सोमवार को भाजपा के 25 विधायकों ने उनसे मिलकर अपना समर्थन भी जाहिर किया था. हालांकि सभी विधायकों ने इसे महज औपचारिक मुलाकात बताते हुए कहा है कि यदि पार्टी हाईकमान वसुंधरा को टॉप पोस्ट के लिए चुनता है तो वे उनका समर्थन करेंगे. वसुंधरा ने दिल्ली पहुंचकर हाईकमान के सामने भी अपनी अर्जी लगा दी है. हालांकि उनके अलावा बाबा बालकनाथ, जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ का भी दावा मुख्यमंत्री पद के लिए माना जा रहा है.
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह ही सबसे आगे
छत्तीसगढ़ में भी पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को ही इस बार भी यह पद संभालने के लिए सबसे आगे माना जा रहा है, लेकिन उन्हें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार साव, विधानसभा में नेता विपक्ष रहे धर्मलाल कौशिक और पूर्व IAS अफसर ओपी चौधरी से भी तगड़ी चुनौती मिल रही है. रमन सिंह के अलावा बाकी तीनों दावेदार OBC कैटेगरी से आते हैं. यह बात रमन सिंह के पक्ष में जा सकती है.