नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा जून 2022 में शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों में अग्निवीरों की भर्ती की जाती है। अपने लॉन्च के बाद से, इस योजना पर बहुत बहस हुई है, खासकर राजनीतिक गलियारों में। लोकसभा चुनाव 2024 में भी यह एक बड़ा मुद्दा बना है। विपक्षी कांग्रेस ने अग्निपथ योजना को खत्म करने का वादा किया है। वहीं, कुछ हफ्ते पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो सरकार अग्निपथ योजना में बदलाव के लिए तैयार है और अग्निवीर के रूप में शामिल होने वाले युवाओं के भविष्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इंडियन एक्सप्रेस में खबर है कि सेना अपनी तरफ से भी इस योजना की समीक्षा कर रही है और एक सर्वे कर रही है। इस आधार पर संभवत: अग्निपथ योजना में बदलाव किया जा सकता है।
केंद्र की बहुप्रचारित अग्निवीर योजना के खिलाफ विपक्ष ही नहीं युवाओं में भी नाराजगी है। हरियाणा में लोकसभा चुनावों में, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है। राज्य में प्रचार कर रहा लगभग हर विपक्षी राजनीतिक दल सत्ता में आने पर इस योजना को समाप्त करने और भर्ती के पुराने पैटर्न को बहाल करने का वादा कर रहा है।
पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से भारतीय सेना में बड़ी संख्या में युवा शामिल होते हैं। देश भर से हर साल लगभग एक-चौथाई सैनिक इसी क्षेत्र से चुने जाते हैं।
फरवरी 2022 में संसद में पेश किए गए केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, जवानों के चयन के लिए 2019-20 में आयोजित अंतिम भर्ती अभियान के दौरान, इस क्षेत्र से कुल 18,798 युवाओं का चयन किया गया था। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण नियुक्ति को दो साल के लिए रोक दिया गया था। जिसके बाद केंद्र ने अपनी बहुप्रचारित अग्निवीर योजना शुरू की।
2019-20 में पुराने पैटर्न के अनुसार पूरे किए गए अंतिम भर्ती अभियान में देशभर से सेना द्वारा 78,692 उम्मीदवारों का चयन किया गया था। हालांकि, भर्ती 87,152 पदों के लिए निकाली गयी थी लेकिन चयन सिर्फ 78,692 का हुआ। इस प्रकार, पूरे देश से चयनित कुल उम्मीदवारों में से लगभग 24% अकेले पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से थे।
इन राज्यों से सबसे ज्यादा युवा होते हैं चयनित
आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल से चयनित होने वाले सैनिकों की संख्या क्रमशः 4,988, 3,634 और 2,376 थी, जो 2019-20 में बढ़कर क्रमशः 7,813, 5,097 और 5,883 हो गई। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए तीन सीटें थीं जिन्हें 2019-20 में बढ़ाकर छह कर दिया गया। 2019-20 में अपने आखिरी भर्ती अभियान में सेना द्वारा इन तीन राज्यों और चंडीगढ़ के कुल 18,798 युवाओं का चयन किया गया था।
2019-20 में आयोजित अंतिम भर्ती अभियान में एक राज्य से सबसे अधिक 8,425 जवानों को उत्तर प्रदेश से लिया गया था। अंतिम बार आयोजित भर्ती अभियान में बिहार राज्य से कुल 4559 का चयन किया गया था।
40,000 अग्निवीरों का प्रशिक्षण पूरा
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, सेना में 40,000 अग्निवीरों के दो बैचों ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और पोस्टिंग पर हैं। 20,000 अग्निवीरों के तीसरे बैच का नवंबर 2023 में प्रशिक्षण शुरू किया गया। नौसेना में, 7,385 अग्निवीरों के तीन बैचों ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। भारतीय वायुसेना में 4,955 अग्निवीर वायु प्रशिक्षुओं ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।
अग्निपथ योजना के तहत इतनी भर्तियां
सूत्रों के मुताबिक, 2022 से 2026 के बीच करीब 1.75 लाख अग्निवीरों की भर्ती होने की उम्मीद है। रक्षा मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के तत्कालीन अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी के अनुसार, निकट भविष्य में अग्निवीरों की संख्या 1.25 लाख तक पहुंच जाएगी।
पुरी ने जून 2022 में कहा था, “हमने योजना का विश्लेषण करने और इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए 46,000 से छोटी शुरुआत की है। अगले चार से पांच सालों में हमारे सैनिकों (अग्निवीरों) की संख्या 50,000-60,000 होगी और बाद में बढ़कर 90 हजार -1 लाख हो जाएगी। पहले साल में अग्निपथ योजना के तहत आर्मी में 40 हजार, वायुसेना में 3000 और नौसेना में 3000 भर्तियां की गईं।
सरकार ने दिसंबर 2021 में संसद को सूचित किया था कि सेना में 1,04,053 कर्मियों, नौसेना में 12,431 और वायु सेना में 5,471 कर्मियों की कमी है। एक उम्मीदवार को चुनने और प्रशिक्षित करने में लगभग 1.5 साल लग जाते हैं।