जोशीमठ: उत्तराखंड के धार्मिक, सांस्कृतिक और सामरिक महत्व वाले जोशीमठ को एटम बम पर बैठा होना बताकर लोगों ने तत्काल सीएम पुष्कर सिंह धामी से कार्रवाई की गुहार लगाई है। जोशीमठ के हालात से चिंतित लोगों ने अपने तत्काल पुनर्वास की मांग की है। देहरादून में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने राज्य सरकार से शहर की स्थिति को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। जोशीमठ के निवासियों की ओर से की गई अपील पर सीएम धामी ने संज्ञान लेते हुए चमोली के डीएम हिमांशु खुराना से विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। सीएम धामी ने कहा कि डीएम की रिपोर्ट मिलने के बाद हम प्रभावित परिवारों को स्थानांतरित करने या उनके पुनर्वास के बारे में फैसला करेंगे। इसे बेहद गंभीर मामला करार देते हुए सीएम ने अधिकारियों को राहत पहुंचाने का आदेश दिया है। उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ-साथ वित्तीय नुकसान झेल रहे व्यापारियों को आवश्यक राहत प्रदान करने और समस्या के समाधान की योजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
धार्मिक, सांस्कृतिक और सामरिक महत्व वाले जोशीमठ का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। अगर सरकार ने जल्द ही इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो स्थिति विकट हो जाएगी। यहां अगर भूकंप का झटका आ गया तो पूरा नगर तबाह हो जाएगा। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती का यह दावा है। वे कहते हैं कि सरकार की ओर से आश्वासन तो दिया गया, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस कारण स्थानीय लोगों में बेहद नाराजगी है। वे कहते हैं कि जोशीमठ की आबादी लगभग 25,000 है। यहां 5000 से अधिक घर हैं। हम सभी अब एक टिक- टिक कर रहे ‘एटम बम’ पर रह रहे हैं, जो किसी भी क्षण फट सकता है। हमारा बर्बादी के कगार पर है।
अतुल कहते हैं कि पिछले 10 दिनों में 70 से अधिक घरों में दरारें आ गई हैं। दरारें राष्ट्रीय राजमार्ग, सरकारी स्कूल और अस्पताल में भी दिखाई दे रही हैं। लोगों ने आरोप लगाया कि दरारों के पीछे एक प्रमुख कारण एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ 520 मेगावाट जलविद्युत परियोजना की 12 किलोमीटर लंबी सुरंग है। सुरंग तपोवन में जोशीमठ से लगभग 15 किलोमीटर दूर शुरू होती है, जहां इसका बैराज है। यह जोशीमठ से लगभग 5 किलोमीटर दूर सेलांग में समाप्त होती है। यहां एनटीपीसी का बिजली घर अवस्थित है।
अतुल सती ने कहा कि 17 मार्च 2010 को तत्कालीन केंद्रीय बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे की मध्यस्थता में एनटीपीसी और जेबीएसएस सदस्यों के बीच बैठक हुई। बिजली निगम ने सहमति जताई थी कि सुरंग में पंचरों को दुरुस्त किया जाएगा। इन पंचरों के कारण जोशीमठ के जलस्रोत सूख रहे थे। बिजली निगम ने पानी की व्यवस्था के लिए जोशीमठ को 16 करोड़ रुपये देने का फैसला किया। इसी एमओयू के तहत उन्होंने आगे घरों का बीमा कराने पर सहमति जताई। लेकिन उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया है।
जोशीमठ नगर बोर्ड के अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार कहते हैं कि सुरंग पर काम 2006 में शुरू हुआ था। वर्ष 2009 में एक टनल बोरिंग मशीन फंस गई थी, जिससे एक एक्विफर फट गया और पानी निकल गया। 600 लीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से सुरंग से पानी निकली। अभी भी सुरंग निर्माणाधीन है। 2010 की रैनी बाढ़ के बाद पूरी परियोजना बाधित हो गई थी। एनटीपीसी के अधिकारी हाल ही में स्थानीय मीडियाकर्मियों को सुरंग दिखाने के लिए ले गए थे और दावा किया था कि यह अब पूरी तरह से सूखा हुआ है।
एनटीपीसी ने सुरंग में पानी के बढ़ने का कारण उन्होंने परियोजना का हिस्सा नहीं बताया है। एनटीपीसी टनल मुद्दे पर विख्यात पर्यावरण विशेषज्ञ रवि चोपड़ा कहते हैं कहते हैं कि जोशीमठ पर्वत क्षेत्र के अंदर एक विशाल जलभृत का पंचर पानी के गुब्बारे में चुभने जैसा है। जिस तरह गुब्बारे से पानी रिस कर बाहर निकल जाएगा और वह धीरे-धीरे गिर जाएगा। ठीक उसी तरह की घटना पहाड़ों के अंदर भी हो सकती है। एक्विफर अब पानी से रहित है। यह अपने ऊपर के भार को ढोने में असमर्थ है। इससे इलाके की स्थिति गड़बड़ हो गई है।
यह है मांग
एनटीपीसी की टनल के लिए होने वाले विस्फोटों क कारण जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में है। एनटीपीसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। एनटीपीसी को समझौते का पालन करने के लिए सरकार की ओर से निर्देशित किया जाना चाहिए। जोशीमठ के स्थायीकरण, विस्थापन व पुनर्वास के लिए एक उच्चस्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी बनाई जाए।भूस्खलन के कारण बेघर हो रहे लोगों के तुरंत विस्थापन, पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। वर्तमान विस्थापन व पुनर्वास नीति में संशोधन किया जाए।
मकानों में दरार के बाद बदली स्थिति
जोशीमठ के 550 मकानों में दरारें आ रही हैं जो पहले से ज्यादा विकराल रूप ले चुकी हैं। तीन दिन में 46 मकानों में दरारें आ रही हैं। इनमें से अधिक खतरे की जद में आए 16 परिवारों में से आठ ने मकान छोड़ दिए हैं। जबकि आठ अभी भी खतरे के साये में रहने के लिए मजबूर हैं। नगर पालिका की रिपोर्ट के अनुसार गांधीनगर वार्ड में 133, मारवाड़ी में 28, नृसिंह मंदिर के पास 24, सिंहधार में 50, मनोहर बाग में 68, सुनील में 27, परसारी में 50, रविग्राम में 153 और अपर बाजार वार्ड में 26, मकानों में दरारें आई हैं। नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने बताया कि जहां भी धू-धंसाव की सूचना मिल रही है वहां तुरंत टीम को भेजकर निरीक्षण कराया जा रहा है।
सिंहधार वार्ड में बदरीनाथ हाईवे पर स्थित दो होटल मलारी इन और माउंट व्यू भू-धंसाव से तिरछे हो गए हैं। जिससे पांच मंजिला इन होटलों की छतें आपस में मिल गई हैं। इससे भू-धंसाव की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इन दोनों होटलों के आसपास रहने वाले करीब 16 परिवार खतरे की जद में आ गए हैं। नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने बताया कि जल्द इन होटलों में यात्रियों को न ठहराने के लिए नोटिस दिया जाएगा।