नई दिल्ली: देश के उपराष्ट्रपति (Vice President) जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर आपत्ति जताई है. न्यायपालिका पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा, कोर्ट ने अपने फैसले में राज्यपाल की ओर से भेजे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति की मुहर लगाने की समय सीमा तय कर दी है. भारत के संविधान का अनुच्छेद-142 लोकतंत्र की ताकतों के खिलाफ जजों के पास न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है. जज सुपर संसद बन गए हैं.
आइए, इसी बहाने जाते हैं, क्या है संविधान का अनुच्छेद-142, यह न्यायपालिका को कितनी पावर देता है और अदालतों ने इसका कब-कब इस्तेमाल किया?
क्या है अनुच्छेद-142?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद-142 सुप्रीम कोर्ट को लंबित मामलों में पूर्ण न्याय देने के लिए पावर देता है. आसान भाषा में समझें तो जिन मामलों को सुलझाने के लिए मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं होते या उसका समाधान संभव नहीं होता, उन मामलों में कोर्ट इस अनुच्छेद का इस्तेमाल करके कोई भी फैसला सुना सकता है या निर्देश दे सकता है. भले ही वो मौजूदा वैधानिक कानून से कितना अलग क्यों न हो.
सुप्रीम कोर्ट इस अनुच्छेद का इस्तेमाल करते हुए किसी भी शख्स को कोर्ट में पेश होने का आदेश दे सकता है. डॉक्यूमेंट की मांग कर सकता है. आदेश की अवमानना करने पर कोर्ट जांच करके उसे सजा भी दे सकता है. यही वजह है कि यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को पावर देता है.
चुनिंदा मामले: सुप्रीम कोर्ट ने कब-कब आर्टिकल-142 का इस्तेमाल किया?
यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (1989): भोपाल गैस त्रासदी मामले के सर्वोच्च न्यायालय ने दावों के निपटाने और पीड़ितों को मुआवज़ा वितरित करने का आदेश पारित करने के लिए अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया.
मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम (1985): प्राथमिक तौर पर यह मामला सीआरपीसी और मुस्लिम पर्सनल लॉ से संबंधित था, लेकिन पारिवारिक कानून के मामलों में पूर्ण न्याय प्रदान करने के मामलों में अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 142 का रेफरेंस दिया था.
बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि केस (2019): सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले में 5 जजों की पीठ ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया और रामलला को जमीन देने का आदेश दिया. इसके अलावा अपने आदेश में मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने की बात भी कहा. कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा था कि वो पूर्ण न्याय कर रहा है.
चंडीगढ़ मेयर चुनाव (2024): सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव के मामले में भी अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया और चुनाव प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण मेयर चुनाव के परिणामों को रद्द कर दिया. यह फैसला काफी चर्चा में रहा था.
सहारा-सेबी केस: सहारा ग्रुप के मामले सुप्रीम कोर्ट ने अंडरट्रायल निवेशकों को पैसा वापस दिलाने के लिए सहारा ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री के आदेश दिए. कोर्ट ने यह आदेश अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए दिया.
राजमार्गों पर शराब बिक्री प्रतिबंध (2016) : कोर्ट ने राजमार्गों के किनारों पर बनी शराब की दुकानों पर भी आदेश दिया. आदेश में राजमार्गों के किनारे से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाया. यह आदेश भी अनुच्छेद 142 तक जारी किया गया था.
अयोध्या मामला (2019): राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 का हवाला देते हुए अयोध्या में विवादित भूमि को केंद्र सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ (1998): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 142 के तहत दी गई राहतें मौजूदा वैधानिक कानूनों को प्रतिस्थापित नहीं कर सकतीं.