देहरादून : प्रदेश सरकार ने निजी औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की प्रक्रिया को आसान बनाया है। नीति में संशोधन कर निजी औद्योगिक क्षेत्र के लिए दो चरणों में अनुमति लेने की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया है। अब बिल्डरों व निजी निवेशकों को एक बार में ही सिंगल विंडो से स्वीकृति दी जाएगी। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र के लिए जमीन कम पड़ने पर 20 प्रतिशत भूमि सरकार अधिग्रहण करके देगी।
प्रदेश में नए उद्योगों को जमीन उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने इसी साल निजी औद्योगिक क्षेत्र नीति लागू की थी। जिसमें अनुमति और निजी भूमि पर विकसित औद्योगिक क्षेत्र को अधिसूचित करने की प्रक्रिया जटिल थी। बिल्डरों की ओर से भी प्रक्रिया को आसान बनाने का सरकार से आग्रह किया गया था। इसे देखते हुए सरकार ने नीति में संशोधन किया है।
अब सिंगल विंडो सिस्टम से निजी औद्योगिक क्षेत्र बनाने की अनुमति दी जाएगी। साथ ही औद्योगिक क्षेत्र भी अधिसूचित किया जाएगा। यदि बिल्डर्स या निवेशक को औद्योगिक क्षेत्र के लिए 80 प्रतिशत जमीन उपलब्ध हो गई है, लेकिन 20 प्रतिशत जमीन नहीं मिल पा रही है, तो सरकार जिलाधिकारी के माध्यम से 20 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण करके देगी। इसके लिए निवेशक से जमीन मूल्य के बराबर बैंक गारंटी ली जाएगी।
निजी औद्योगिक क्षेत्र को किसी अन्य को बेचने की छूट
पहले नीति में निजी औद्योगिक क्षेत्र का स्वामित्व परिवर्तन करने का प्रावधान नहीं था। ऐसे में निवेशकों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि किसी कारण से विकसित औद्योगिक क्षेत्र को संचालित नहीं कर पा रहा है तो वे किसी अन्य को नहीं बेच सकता था। अब सरकार ने इसमें छूट दे दी है।
मैदानी क्षेत्र में निजी औद्योगिक क्षेत्र की 30 एकड़ जमीन की शर्त
नीति में मैदानी क्षेत्रों में निजी भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र बनाने के लिए 30 एकड़ जमीन की शर्त रखी है। जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में दो एकड़ जमीन की अनिवार्यता है।
प्लाट बेचने से प्राप्त आय का 70 प्रतिशत खाते में होगा जमा
निजी औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों को प्लाट बेचने से प्राप्त आय का 70 प्रतिशत राशि सिडकुल के माध्यम से संचालित एस्को अकाउंट में जमा करनी होगी। इस राशि को औद्योगिक क्षेत्र में अवस्थापना विकास पर खर्च किया जाएगा।