नई दिल्ली l भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर से संक्रमण के मामलों में अप्रत्याशित रूप से लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. बीते 24 घंटे में संक्रमण के 3.14 लाख मामले सामने आए हैं, जो दुनियाभर के कोरोना से जूझ रहे देशों की तुलना में सबसे ज्यादा है. अमेरिका में भी कोविड-19 की दूसरी लहर में इसी साल आठ जनवरी को सर्वाधिक 3,07581 कोविड-19 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए थे. अमेरिका की आबादी 32 करोड़ से कुछ ज्यादा है और वहां तकरीबन 10 फीसदी (3 करोड़ से ज्यादा) आबादी कोरोना से संक्रमित हो चुकी है.
अमेरिका को कोरोना संक्रमण के 2 लाख मामलों से 3 लाख के स्तर तक पहुंचने में 38 दिन लगे थे, लेकिन भारत ने यह आंकड़ा एक सप्ताह के अंदर ही छू लिया है. अमेरिका में केवल एक ही दिन तीन लाख कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए थे, लेकिन भारत में यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. जो बताता है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर अमेरिका से भी ज्यादा खतरनाक हो गई है. आइए आंकड़ों के जरिये समझने की कोशिश करते हैं कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर क्यों भयावह और जानलेवा साबित हो रही है?
16 दिनों में कोरोना से हुई मौतों में पांच गुना तेजी
भारत में कोरोना संक्रमण की वजह से हुई मौतों का आंकड़ा भी तेजी के साथ बढ़ा है. बीती 6 अप्रैल को 446 लोगों की सांसें थम गई थीं. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बीते 24 घंटों में यह संख्या 2,104 हो गई है. केवल 16 दिनों के अंदर ही कोरोना संक्रमण से हुई मौतों में करीब 5 गुना तेजी दर्ज की गई है. जैसे-जैसे कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, कोरोना वायरस से जान गंवाने वालों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. कोरोना संक्रमण की दर भी भारत में अमेरिका की तुलना में पांच गुना तेज है. 15 फरवरी को भारत में पॉजिटिविटी दर (जांच के अनुपात में संक्रमित लोगों की संख्या) 1.6 फीसदी थी. जो 18 अप्रैल को बढ़कर 16.2 फीसदी हो गई है. कोरोना वायरस का भारत में रिप्रोडक्शन नंबर (R) का औसत एक से ज्यादा है. वहीं, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों में यह दो से भी ज्यादा हो चुका है. रिप्रोडक्शन नंबर का मतलब होता है कि एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति कितने अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है. भारत में यह रिप्रोडक्शन नंबर भी लगातार बढ़ता जा रहा है.
भारत में संक्रमण दर अमेरिका के मुकाबले बहुत तेज
अमेरिका में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की शुरुआत बीते साल अक्टूबर महीने में हुई थी. अमेरिका में 7 अक्टूबर को 53,017 कोविड-19 संक्रमण के मामले सामने आए थे. यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ते हुए 4 नवंबर को एक लाख तक पहुंच गया. रोजाना 50 हजार मामलों से प्रतिदिन एक लाख संक्रमण के आंकड़े तक पहुंचने में अमेरिका को 29 दिन लगे थे. वहीं, भारत में बीती 24 मार्च को 53,476 मामले दर्ज किए गए थे, जो केवल 14 दिनों में ही बढ़कर एक लाख तक पहुंच गए. 6 अप्रैल को भारत में संक्रमण के 1,15,736 मामले सामने आए थे. संक्रमण के मामलों की संख्या एक लाख से दो लाख पहुंचने में अमेरिका को 28 दिन लगे थे. 4 नवंबर को एक लाख से ज्यादा संक्रमण के मामले अगले महीने 2 दिसंबर को बढ़कर 2,01,211 हो गए थे. भारत ने यह आंकड़ा 10 दिनों में ही छू लिया. बीती 6 अप्रैल को 1,15,736 मामले सामने आए थे और 15 अप्रैल को यह आंकड़ा 2,17,353 पहुंच गया था.
रोजाना दो लाख मामलों से तीन लाख तक पहुंचने में केवल एक हफ्ता
रोजाना दो लाख मामलों से प्रतिदिन तीन लाख संक्रमितों के आंकड़े तक पहुंचने में अमेरिका को 38 दिन लगे थे. दो दिसंबर को दो लाख से ज्यादा मामले सामने आए और इसके बाद 8 जनवरी को पहली बार 3,07581 मामले दर्ज किए गए थे. अमेरिका में 8 जनवरी के बाद से लगातार मामले घटना शुरू हो गए थे. 21 अप्रैल को अमेरिका में कोरोना संक्रमण के 65,858 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं भारत में संक्रमण के मामले दो लाख से तीन लाख होने में केवल एक सप्ताह का ही समय लगा. 15 अप्रैल को दो लाख से ज्यादा मामले सामने आए और 21 अप्रैल को यह बढ़कर 3.14 लाख हो गए. भारत में बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के जो मामले सामने आए हैं, उन्होंने दुनिया में रोजाना संक्रमण के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. कोरोना महामारी की दूसरी लहर भारत में अमेरिका से भी तेज रफ्तार से बढ़ रही है.
कोरोना वायरस का म्यूटेशन और नए वेरिएंट भी वजह
भारत में कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़ने की एक वजह कोरोना वायरस का म्यूटेशन और नए वेरिएंट भी है. देश के 10 राज्यों में कोरोना के डबल म्यूटेटेड वायरस के केस दर्ज किए गए हैं. UK, ब्राजील और साउथ अफ्रीका के वेरिएंट भी देश के कई हिस्सों में पाए गए हैं. हालांकि, इसके बहुत ज्यादा केस सामने नहीं आए हैं और यह काफी हद तक सीमित हैं. डबल म्यूटेटेड वायरस का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में हुआ है. यह वायरस उत्तर प्रदेश में भी अपना प्रसार करता नजर आने लगा है. कोरोना की दूसरी लहर में वायरस सीधे फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है. अगर कोरोना संक्रमण के मामले इसी तेजी के साथ सामने आते रहे, तो भारत में स्थितियां और भयावह हो जाएंगी.
अमेरिका में टीकाकरण की रफ्तार 63.2 फीसदी है और भारत में अभी तक करीब 1.92 करोड़ लोगों को ही टीके की दो डोज मिल पाई हैं. कहना गलत नहीं होगा कि अमेरिका संक्रमण के मामलों में बारत से आगे जरूर है, लेकिन टीकाकरण की रफ्तार से उसने संक्रमण के मामलों को नियंत्रित कर लिया है. वहीं, भारत में बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले सामने आने से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का अभी से दम फूलने लगा है. लोगों को बेड, ऑक्सीजन, जीवरक्षक दवाइयों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. अगर यह आंकड़े ऐसे ही बढ़ते रहे, तो भारत जल्द ही अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा.