ब्रिस्टल : यूरोप में हवा की रफ्तार असाधारण रूप से कम हो गई है. इससे पवन ऊर्जा के निर्माण दिक्कत आ रही है. वैज्ञानिकों का कहना है कि हवा का न चलना एक गंभीर समस्या हो सकती है. इसका असर ग्रिड पर पड़ सकता है.
पवन के ऊर्जा उत्पादन पर असर
दुनियाभर में ऊर्जा संकट के बीच यूरोप में मौसम और हवा के स्थिर रहने की वजह से पवन ऊर्जा उत्पादन प्रभावित हुआ है. यूरोप में इस साल गर्मियों और पतझड़ ऋतु की शुरुआत में लंबे समय तक शुष्क परिस्थितियां रहीं और हवा की गति धीमी रही.
पैदा हो सकती है सबसे ज्यादा दिक्कत
रीडिंग विश्वविद्यालय की हाल में की गई एक रिसर्च के मुताबिक, मध्य यूरोप पर स्थिर उच्च वायुमंडलीय दबाव की स्थिति लंबे समय तक धीमी रफ्तार वाली हवा का कारण बनी है. इससे भविष्य में बिजली प्रणालियों के लिए सबसे ज्यादा दिक्कत पैदा हो सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पवन ऊर्जा पर निर्भर बिजली उत्पादन प्रणाली के लिए हवा की गति पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है.
8 से 10 प्रतिशत कम हो जाएगी हवा की औसत गति
हाल में आई आईपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप यूरोप में हवा की औसत गति आठ प्रतिशत से 10 प्रतिशत कम हो जाएगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि हवा की गति में थोड़े बदलाव से भी बिजली उत्पादन में बड़े बदलाव हो सकते हैं, क्योंकि टरबाइन द्वारा बिजली उत्पादन हवा की गति के घन से संबंधित होता है.
गैस की बढ़ती कीमतों और सीओपी 26 की उल्टी गिनती के बीच ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए पवन ऊर्जा महत्वपूर्ण है. ऐसे में हाल में पैदा हुई Dry winds की समस्या बताती है कि विद्युत उत्पादन का यह तरीका कितना परिवर्तनशील हो सकता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में एक विश्वसनीय बिजली ग्रिड विकसित करने के लिए केवल इसमें निवेश करना सही नहीं होगा. वहीं पवन ऊर्जा के साथ सौर, जल विद्युत जैसे अन्य नवीकरणीय संसाधनों का संयोजन और बिजली की मांग को उचित तरीके से प्रबंधित करने की क्षमता ऐसे समय में महत्वपूर्ण होगी, जब हवा नहीं चल रही हो.
खबर इनपुट एजेंसी से