नई दिल्ली: संसद का सत्र शुरू होने वाला है लेकिन उसके पहले ही उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर पार्टियों के तेवर तीखे हो गए हैं. अग्निवीर, आरक्षण, संविधान और पेपर लीक ने यूपी में बीजेपी को पानी पिला दिया, सीटें घटकर 62 से 33 हो गईं. सरकार मुद्दे अभी नोटिस ही कर रही थी कि NEET के रिजल्ट ने तहलका मचा दिया.
धांधली की बात स्वीकारी गई लेकिन परीक्षा कैंसल करने पर सरकार चुप है. सबूत पर सबूत पेश किए जा रहे हैं लेकिन सरकार कोई बड़ा एक्शन नहीं ले पा रही है. इस बीच NET की परीक्षा इस आधार पर कैंसल कर दी कि एजेंसियों से पेपर आउट के इनपुट मिले थे.
इसके बाद दो लड़कों की जोड़ी अखिलेश और राहुल ने मोदी सरकार को घेर लिया है. राहुल ने कहा है कि गुजरात और एमपी का मॉडल पूरे भारत में लागू किया जा रहा है. उन्होंने यह कहा है कि नीट, नेट और अग्निवीर का मुद्दा जोर शोर से उठाएंगे.
उधर पटना हाई कोर्ट ने 65 फीसदी तक पहुंचे आरक्षण को रद्द कर दिया है. ऐसे में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठना लाजमी है. कुल मिलकार संसद का सत्र हंगामेदार होने के आसार है.
नीट परीक्षा का विवाद क्या है?
नीट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट के जरिए भारत के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिलता है. नेशनल टेस्ट एजेंसी नीट के जरिए अंडर ग्रेजुएशन (यूजी) और पोस्ट ग्रेजुएशन का एग्जाम कंडक्ट कराता है.
फिलहाल नीट का जो विवाद है, वो उसके यूजी कोर्स के एग्जाम को लेकर है. इस बार नीट-यूजी की परीक्षा 5 मई को हुई थी. कई सेंटर पर इस दौरान समस्या देखने को मिली, जिसके बाद 23 जून को इसके री-एग्जाम हुए थे.
4 जुलाई को इसका रिजल्ट एनटीए ने जारी किया था. इसके बाद से ही इस पर बवाल मचा है. इसके बवाल के कारण को 3 पॉइंट्स में समझिए-
- नीट परीक्षा के दौरान कई जगहों पर तकनीकी दिक्कतें आई थी. एनटीए ने इस दिक्कत को देखते हुए 1500 से ज्यादा विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क्स दे दिया था. विवाद हुआ तो एजेंसी ने इसे वापस लेने का ऐलान किया.
- आरोप है कि नीट-यूजी परीक्षा का पेपर बिहार में लीक हो गया था. बिहार आपराधिक शाखा ने पेपर लीक से जुड़े गिरोह को पकड़ा भी है. ईओयू का कहना है कि इस मामले में उसने कई सबूत भी जुटाए गए हैं, जिसे केंद्र को भेजा जाएगा.
- सुप्रीम कोर्ट में नीट-यूजी का पूरा विवाद है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इसके पेपर लीक हो गए, इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए. कोर्ट ने एनटीए और सरकार को इस पूरे मामले को देखने के लिए कहा है.
अब नेट एग्जाम का विवाद समझिए
नेशनल एलिजबलिटी टेस्ट यानी नेट की परीक्षा विश्वविद्यालय आयोग द्वारा ली जाती है. इस परीक्षा के जरिए पीएचडी में दाखिला मिलता है. भारत में इस बार 9 लाख अभ्यर्थियों ने इसके फॉर्म भरे थे.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक एजेंसी को पेपर लीक से जुड़े कुछ इनपुट मिले थे, जिसके बाद परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया था. मंत्रालय के मुताबिक यह फैसला विभाग ने खुद लिया है.
नीट परीक्षा में 24 तो नेट में 9 लाख अभ्यर्थी हैं
एनटीए के मुताबिक साल 2024 में नीट परीक्षा के लिए 24 लाख अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे थे. 2023 में यह आंकड़ा करीब 21 लाख का था. इस बार नीट एग्जाम को कंडक्ट कराने के लिए नेशनल टेस्ट एजेंसी ने देश भर में 594 सेंटर बनवाए थे.
बात यूजीसी-नेट परीक्षा की करें तो इसमें 9 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. नीट और नेट दोनों की संख्या अगर जोड़ दी जाए तो यह 33 लाख के करीब है.