जहाँ सारे देश के पत्रकारों में इस बात क रोष है की अर्णव गोस्वामी को गलत तरीके से बंद हो चुके एक केस में आवश्यक गिरफ्तार किया गया, क्युकी वे प्रदेश सरकार के खिलाफ समाचार चला रहे थे खैर ऐसा ही कुछ सीधी में भी हुआ है बस फर्फ सिर्फ इतना था, की अर्णव मामले में सरकार अर्णव के खिलाफ है और सीधी के मामले में समस्त पत्रकार बंधू एक व्यक्ति विशेष जो स्वयं को पत्रकार कहता है और अवैध उगाही में लिप्त है के खिलाफ हैं , आखिर कौन है वह शक्श जिसके खिलाफ सीधी के समस्त पत्रकार और विभिन्न विभागों के कर्मचारी हैं? क्या कृत्य हैं इनके ?
सरकार ने सूचना का अधिकार कानून शासकीय कार्यों में पारदर्शिता के लिए पास किया था । लेकिन इसका गलत इस्तेमाल भी हो रहा है ,इसी कानून को हथियार बना कर विभिन्न प्रकार के तथा कथित लोग शासकीय कर्मचारियों ,नेताओं, को परेशान करने में लगे हुए हैं ,यही कार्य इन माननीय द्वारा भी किया जाता रहा है।
अब गलती हो गयी इनसे की ये गलत व्यक्ति से उलझ गए।
असल में संजय रैकवार नामक व्यक्ति काफी समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे और शायद अधिवक्ता के रूप में भी पंजीकृत हैं ,। इन पर विभिन्न विभाग जिसमे से प्रमुख रूप से सहकारी बैंक के कर्मचारियों के पीछे पड़े रहे और साथ ही पत्रकार संगठन के पदाधिकारी के पीछे हाँथ धोकर पड़े हुए थे।
जबकि जिन पर रैकवार महोदय आरोप लगा रहे हैं वे किसी भी परिचय के मोहताज नहीं हैं और पत्रकारिता के क्षेत्र में एक जाना माना नाम और इज्जत है। ऐसे सम्मानित व्यक्ति का चरित्र हनन करना किसी को शोभा भी नहीं देता किन्तु रैकवार जी उनके व्यक्तिगत जीवन और पारिवारिक विषयों को उठा रहे थे यह अत्यंत ही निंदनीय है ।
इस विषय को छोड़ दें तो कई विभाग के कर्मचारी संजय के कृत्यों से परेशान थे। एक जानकारी के मुताबिक सहकारी बैंक में १४७ ,सहकारिता विभाग में ६८, खनिज विभाग में २८ ,कृषि विभाग में ४६ और अन्य विभागों में कुलमिलाकर १३२ शिकायती आवेदन सुचना के अधिकार के तहत दिए गए यह भी सहीमाना जा सकता है,चलो शासकीय कार्य की जानकारी कोई भी ले सकता है।
लेकिन जानकारी मांगना और फिर उसे न लेना और धमकी देकर पैसों की उगाही करना यही मात्र मुख्य पेशा था संजय का। जिसके विरोध में विभिन्न कार्यालयों के कर्मचारियों ने मामला उजागर होने पर अपनी व्यथा माननीय पुलिस अधीक्षक सीधी , आईजी रीवा को शिकायत किये। जिसका समर्थन सीधी के समस्त पत्रकार बंधुओं ने भी किया।
क्युकी ऐसा व्यक्ति पत्रकारिता के पेशे को भी कलंकित कर रहा है ,सभी समाचार पत्रों ने बैकमेलर पत्रकार इस सम्बोधन का इस्तेमाल किया ,जिस से आम जनमानस में पत्रकारिता के प्रति गलत धारणा बन रही है। इसलिए ऐसे धोखेबाज और पत्रकारिता के नाम पर काला धब्बा बन कर उभरने वाले व्यक्ति के खिलाफ निश्चय ही कठोर कदम उठाये जाने चाहिए ।