नई दिल्ली: कारगिल युद्ध के दौरान सेना प्रमुख रहे जनरल वेद प्रकाश मलिक ने बताया कि 1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के पास पर्याप्त हथियार और जवानों के लिए उपयुक्त कपड़े नहीं थे। शुरुआती 90 के दशक से बजट की कमी के चलते सेना को न्यूनतम जरूरत वाली चीजों पर ही निर्भर रहना पड़ा, लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद जवानों ने युद्ध जीतने के लिए अदम्य साहस और वीरता दिखाई। जनरल मलिक ने बताया कि परमाणु परीक्षण की वजह अमेरिका ने भी खुफिया जानकारी भारत के साथ साझा नहीं की।
सैनिकों की तैनाती से पहले सामने थी ये चुनौती
जनरल मलिक ने दि प्रिंट से बातचीत में यह बताया कि उस समय का राजनैतिक और सैन्य नेतृत्व पाकिस्तान के अचानक हमले की वजह बनी खुफिया विफलता से चौंक गया था। इसके अलावा ऊंचे पहाड़ों और ग्लेशियर वाले इलाके की चुनौतियां भी आगे सामने आईं। इन परिस्थितियों से लड़ने के लिए विशेष वर्दी और उपकरणों की जरूरत थी, जो हमारे पास बहुत कम थे। जनरल मलिक ने बताया कि सैनिकों को तैनात करने से पहले उन्हें ऊंचाई पर रहने की आदत डालना भी एक चुनौती थी। साथ ही उस इलाके की सेना को भी नहीं पता था कि दुश्मन किन पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर चुका है।
‘सेना को न्यूनतम जरूरत वाली चीजों पर ही निर्भर रहना पड़ा’
कारगिल युद्ध के दौरान सेना प्रमुख रहे जनरल मलिक ने आगे बताया कि सर्दियों की वजह से हवाई निगरानी अभियान में पाकिस्तान के कब्जे का पता नहीं चल पाया था। क्योंकि उस वक्त कोई ड्रोन, रडार या जमीनी निगरानी के उपकरण नहीं थे। हथियारों, गोला-बारूद और अन्य उपकरणों की भी कमी थी। 1990 के दशक की शुरुआत में बजट की कमी के कारण सेना को न्यूनतम जरूरत वाली चीजों पर ही निर्भर रहना पड़ा।
अमेरिका ने भारत को समय रहते नहीं दी जानकारी
1998 में भारत की ओर से परमाणु परीक्षणों के बाद लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण पैदा हुई चुनौतियों को बताते हुए उन्होंने कहा अमेरिका ने अपने पास मौजूद खुफिया जानकारी हमसे साझा नहीं की। उन्होंने कहा मुझे यह स्वीकार करना होगा कि हमारे कुछ गोला-बारूद बनाने वाले कारखानों ने इस मौके पर तेजी से जरूरी गोला-बारूद का उत्पादन किया। आज इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत पर जोर दिया जा रहा है, ये देखकर अच्छा लगता है।