राजेश शर्मा
स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी, स्वामी विवेकानंद जी, कविवर रवींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस और पंडित श्यामाप्रसाद मुखर्जी की जन्म एवं कर्म स्थली बंगाल में 7 मार्च 2021 को नया इतिहास रचा गया। इस दिन के पहले आजतक इतनी बड़ी, राजनैतिक विशाल जनसभा नही हुई l
आज़ादी के बाद बंगाल की पृष्ठभूमि पर नज़र डालें तो कॉमरेडों, वामपंथियों, मार्क्सवादियों का गढ़ बना हुआ था। ज्योति बसु युवावस्था से प्रौढ़ होने तक बंगाल के मुख्यमंत्री रहे और फिर उम्र का तकाजा भाँपते हुए बुद्धदेव भट्टाचार्य को सत्ता उत्तराधिकारी की तरह सौंप दी गई ।
इस समय तक बंगाल बेहाल हो चुका था। फिर काँग्रेस से बगावत कर ममता बनर्जी ने कांग्रेस शब्द के साथ तृण मूल काँग्रेस बना डाली और बंगाल की जनता की भावनाओं का फायदा उठाते हुए पूरे दस साल बंगाल की मुख्यमंत्री बनी हुई है l अब दिग्विजयसिंह की तरह हैट्रिक बनाने के प्रयास में जुटी है।
लेकिन 7 मार्च की भाजपा की महासभा में उमड़े जन सैलाब ने सत्ता परिवर्तन की स्पष्ट बयार चलती दिखाई देने लगी है । संगठन के अतिकुशल योजनाकार भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मालवमाटी के कैलाश विजयवर्गीय ने हमेशा की तरह फिर से मास्टरस्ट्रोक लगाया और प्रधानमंत्री की इस महासभा में भारतीय फिल्मजगत के ख्यातिप्राप्त सितारे मिथुन चक्रवर्ती को भाजपा में शामिल करवा दिया।
इस ऐतिहासिक महासभा में प्रधानमंत्री ने ऐसी हुँकार भरी, ऐसी गर्जना की, कि बंग बंधु लगातार प्रधानमंत्री के साथ सिंह गर्जना करते रहे ।
अब मई के शुरुआत में परिणाम आने के पहले कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। फिर भी बहुत ओजस्विता के साथ प्रधानमंत्री अपने विस्तारित उदबोधन में सोनार बांग्ला का सपना बंगालियों को दिखा गए।