रुद्रप्रयाग। अब उत्तराखंड के इतिहास से देश, दुनिया के लोग रूबरू हो सकेंगे। अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति द्वारा तहसील स्तर पर समितियों का गठन किया जाएगा। एक समिति में 11 लोग शामिल किए गए हैं जो गांवों के बारे में प्राचीन व नई जानकारी जुटाएंगे। इसके बाद तहसीलवार इतिहास लेखन का कार्य किया जाएगा।
भारतवर्ष और उसके राज्यों के बारे में आजादी से पहले व आजादी के बाद की जानकारियों में कई भ्रांतियां व्याप्त हैं। इन्हें दूर करने के लिए अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने देश के सभी राज्यों में शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, कला, स्वतंत्रता संग्राम, रीति-रीवाज, भाषा, बोली, साहित्य सहित अन्य सभी विधाओं के इतिहास से जुड़ी जानकारियों को एकत्र करने की पहल की है।
इसके लिए प्रत्येक तहसील में 11 लोगों की समिति गठित की गई है जिसमें इतिहासकार, साहित्यकार, शिक्षक व सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोग शामिल हैं। रुद्रप्रयाग जिला समिति के अध्यक्ष दिनेश वाजपेयी व महामंत्री विनोद भट्ट ने बताया कि जिले में ऊखीमठ, जखोली और रुद्रप्रयाग तहसील में समिति का गठन किया जा चुका है। समिति के प्रांत संकलन मंत्री डाॅ. अभिनव तिवारी का कहना है कि उत्तराखंड के एक-एक गांव के बारे में नई व पुरानी जानकारी जुटाते हुए उसे इतिहास में शामिल किया जाएगा। एक गांव को पहचान मिलेगी तो पूरे प्रदेश का मान बढ़ेगा।
15 शोधपत्र किए गए थे प्रस्तुत
अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति का राष्ट्रीय महाधिवेशन बीते वर्ष 26 से 28 दिसंबर को गोपाल नारायण सिंह विवि जमुहार, सासाराम, बिहार में हुआ। महाधिवेशन में उत्तराखंड से चयनित 26 प्रोफेसर, शोधार्थियों को आमंत्रित किया गया था लेकिन इतिहास से जुड़े 16 लोग ही शामिल हो पाए। इस दौरान 15 शोधपत्र भी प्रस्तुत किए गए।