शरद ऋतु की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. माना जाता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. इस साल शरद पूर्णिमा 20 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यताओं की मानें तो इस दिन आसमान से अमृतमयी किरणों का आगमन होता है. इन किरणों में कई तरह के रोग नष्ट करने की क्षमता होती है. ऐसे में जहां इन किरणों से बाहरी शरीर को लाभ मिलता है वहीं शरीर के भीतर के अंगों को भी लाभ मिले इसके लिए खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखकर बाद में उसे खाया जाता है. यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को लोग अपने घरों की छतों पर खीर रखते हैं.
शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा की तिथि: 19 अक्टूबर
शुभ मुहूर्त: शाम 05:27 बजे से
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: शाम 7 बजे (19 अक्टूबर)
पूर्णिमा तिथि का समापन: रात 08:20 बजे (20 अक्टूबर)
खीर का वैज्ञानिक कारण
मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी सबसे तेज़ होती है. इन्हीं सब कारणों की वजह से शरद पूर्णिमा की रात बाहर खुले आसमान में रखी खीर फायदेमंद बताई जाती है. दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड होता है, जो चांद की तेज़ रोशनी में दूध के और अच्छे बैक्टिरिया को बनाने में सहायक होता है. चावलों में मौजूद स्टार्च इस काम को और आसान बनाने में हेल्पफुल होता है. चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है. हालांकि मान्यता यह भी है कि शरद पूर्णिमा की रात 10 से 12 बजे तक 30 मिनट के लिए चंद्रमा की रोशनी में रहना स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद रहता है
क्यों है इस दिन खीर का महत्व?
पूर्णिमा की रात को खीर को बना कर चांद की रोशनी में रखने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। कहा जाता है कि दूध, जब समय के साथ छोड़ दिया जाता है, तो लैक्टिक एसिड को उत्तेजित करता है, जो बदले में, अच्छे बैक्टीरिया के उत्पादन में मदद करता है। चंद्रमा की किरणें दूध की इस संपत्ति को बढ़ाती हैं और इसे स्वस्थ बनाती हैं।
ऐसे की जाती है पूजा
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा करने का विधान है. पूजा के दौरान चांद को आखिर में अर्ध्य भी दिया जाता है. खास बात है कि भोग भी भगवान को इसी मध्य रात्रि में लगाया जाता है. इसे परिवार के बीच में बांटकर खाया जाता है. सुबह स्नान-ध्यान-पूजा पाठ करने के बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. लक्ष्मी जी के भाई चंद्रमा इस रात पूजा-पाठ करने वालों को शीघ्रता से फल देते हैं.
शरद पूर्णिमा खीर के लाभ
शरद पूर्णिमा की रात्रि में खुले आसमान में रखी जाने वाली खीर को खाने से पित्त और मलेरिया का खतरा भी कम हो जाता है. सांस संबंधी बीमारियां दूर हो जाती हैं. दिल संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. इस खीर को खाने से चर्म रोग भी ठीक हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस खीर को खाने से आंखों की रोशनी भी ठीक हो जाती है. माना जाता है इसका सेवन करने से व्यक्ति की आयु बढ़ती है और चेहरे पर कान्ति आने के साथ शरीर स्वस्थ बना रहता है.
खबर इनपुट एजेंसी से