मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में 65.11 प्रतिशत मतदान हुआ है। 23 नवंबर को चुनाव परिणाम आएगा। तब पता चलेगा कि अबकी बार महायुति की वापसी होगी या फिर महाविकास अघाड़ी गठबंधन के हाथ में सत्ता आएगी? या फिर त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनेगी? डर यह भी है कि अगर इस बार कोई सियासी पेच फंसा तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो सकता है।
दरअसल, महाराष्ट्र की मौजूदा एकनाथ शिंदे सरकार का कार्यकाल 26 नवंबर 2024 को पूरा हो रहा है। मतलब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में 26 नवंबर तक नई सरकार बनाने की संवैधानिक बाध्यता है। 20 नवंबर की मतगणना के बाद अब 23 नवंबर को नतीजे आएंगे। ऐसे में महाराष्ट्र की नई सरकार के गठन के लिए महज 3 दिन का समय मिलेगा। 72 घंटे में सबकुछ सेट करना होगा।
महाराष्ट्र चुनाव 2024: महायुति बनाम महाविकास अघाड़ी
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में सियासी रायता काफी फैला हुआ है। महाराष्ट्र चुनाव इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि दो गठबंधन में छह बड़ी पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ रही हैं। BJP, कांग्रेस और दो-दो शिवसेना व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी। उद्धव ठाकरे शिवसेना व शरद पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) भाजपा की अगुवाई वाले महाविकास अघाड़ी गठबंधन का हिस्सा है जबकि एकनाथ शिंदे शिवसेना व एनसीपी (अजित पवार) कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन महायुति का हिस्सा है।
महाराष्ट्र चुनाव 2024 का एग्जिट पोल
20 नवंबर को मतदान समाप्ति के बाद विभिन्न सर्वे एजेंसियों ने एग्जिट पोल के नतीजे जारी किए हैं। सारे एग्जिट पोल का निचोड़ यह है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति गठबंधन को बढ़त मिल सकती है। महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं। बहुत का आंकड़ा 145 सीटेंहैं। ज्यादातर एग्जिट पोल नतीजों में महायुति को स्पष्ट बहुमत दिखाया गया है। दो एग्जिट पोल महाविकास अघाड़ी की भी सरकार बना रहे हैं।
महाराष्ट्र में किस स्थिति में लग सकता है राष्ट्रपति शासन
अगले दिन 24 नवंबर को बहुमत वाली पार्टी या गठबंधन को विधायक दल की बैठक करनी होगी। फिर महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के पास दावा करना होगा और महाराष्ट्र राज्यपाल बहुमत के नेता को 25 तक सरकार बनाने के लिए बुलाएंगे। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार 2024 का शपथ ग्रहण दिन मौजूदा कार्यकाल के आखिरी दिन मतलब 26 नवंबर को हो पाएगा।
महाराष्ट्र की नई सरकार बनने से पहले अगर किसी एक पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिले तो राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी या चुनाव पूर्व के गठबंधन को मौका दे सकते हैं। यह उस पार्टी या गठबंधन पर निर्भर करता है कि वह सरकार बनाए या नहीं। इसके अलावा अगर किसी गठबंधन के पास बहुमत है तो उसके घटक दलों में तनातनी हो जाए तो फिर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का ही विकल्प बचेगा।
महाराष्ट्र में कब-कब लगा राष्ट्रपति शासन?
वर्तमान महाराष्ट्र 1 मई 1960 को अस्तित्व में आया था। तब से लेकर महाराष्ट्र में अब तक तीन बार राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है। सबसे पहले साल 1980 फिर 34 साल बाद यानी साल 2014 में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा और तीसरी बार साल 2019 में।
महाराष्ट्र में पहली बार राष्ट्रपति शासन
तब शरद पवार बारामती से विधायक चुने गए थे और 18 जुलाई 1978 से 17 फरवरी 1980 तक 1 वर्ष 214 दिन तक महाराष्ट्र मुख्यमंत्री रहे। भारतीय कांग्रेस (समाजवादी) की सरकार बनी थी। उस समय महाराष्ट्र में पहली बार राष्ट्रपति लागू हुआ, जो फरवरी 1980 से 8 जून 1980 तक रहा। 112 दिन तक महाराष्ट्र विधानसभा भंग रही।
महाराष्ट्र में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन
महाराष्ट्र विधान परिषद सदस्य पृथ्वीराज चव्हाण 11 नवंबर 2010 28 सितंबर 2014 3 वर्ष, 321 दिन तक मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद महाराष्ट्र में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। 28 सितंबर 2014 से 30 अक्टूबर 2014 तक महाराष्ट्र विधानसभा भंग रही।
महाराष्ट्र में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन
नागपुर दक्षिण पश्चिम विधायक चुने गए देवेंद्र फडणवीस 31 अक्टूबर 2014 से 12 नवंबर 2019 तक 5 साल, 12 दिन मुख्यमंत्री रहे। फिर 12 नवंबर 2019 से 23 नवंबर 2019 तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा।