नई दिल्ली : सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है ‘फ्रॉम द इंडिया गेट’ (From The India Gate) का 17वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।
राजस्थान भाजपा में लगी सीएम बनने की रेस…
राजस्थान भाजपा के लिए ये महीना कई बदलाव लेकर आने वाला है। इस महीने में कई शक्ति प्रदर्शन होने हैं। कुछ हो चुके हैं, कुछ होने वाले हैं। पहला था पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का शक्ति प्रदर्शन। वसुंधरा राजे ने अपने जन्मदिन पर भारी भीड़ जमा करके बता दिया था कि उनका चार्म अभी फीका नहीं पड़ा है। सीएम पद के लिए अब भी वो प्रबल दावेदार हैं। हालांकि, अब पूर्व सीएम को बीजेपी के ही एक बड़े नेता से टक्कर मिलनी शुरू हो चुकी है। दरअसल, एक धड़ा नहीं चाहता कि वसुंधरा फिर से राजगद्दी संभालें। बड़ी संख्या में भाजपा नेता इस बड़े नेता के संपर्क में हैं। कई दिग्गज नेता एक महीने में तीन से चार बार नेता जी से मुलाकात भी कर चुके हैं। पार्टी के अंदरखाने बहुत कुछ चल रहा है। बता दें, कुछ घंटों में ही पार्टी के 20 से ज्यादा बड़े नेता इनसे मिलने आ चुके हैं। इनका भी चार्म राजे से कम नहीं है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सबसे ज्यादा डराता है ये सवाल..
सीएम गहलोत इन दिनों परेशान हैं। ये परेशानी बीजेपी या अन्य नेताओं से नहीं, बल्कि अपने वालों से है। परेशानी ऐसी कि सीएम साब ने लोगों से ज्यादा मिलना-जुलना बंद कर दिया है, अब तो वो बात भी करने से कतरा रहे हैं। सीएम के लिए सबके पास एक ही सवाल है, हालांकि इसका जवाब उनके पास नहीं है। वे इसे सुनते ही परेशान हो जाते हैं। इस सवाल से राजस्थान के करीब एक करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हैं। यह सवाल है नए जिलों को बनाने का। अंदरखाने तो यहां तक चर्चा है कि अगर सीएम ने जल्द कुछ नहीं किया तो एक बड़ा वर्ग उनके खिलाफ सड़कों पर आ जाएगा।
‘धक्केबाज’ नेता की फोटो आते ही लोगों ने जमकर लिए मजे..
यूपी के एक धक्केबाज नेता बीते दिनों फोटो खिंचवाने को लेकर जमकर ट्रोल हुए। सीएम के करीब दिखने के चक्कर में कई बार सार्वजनिक मंच पर वो खुद की बेइज्जती करवा चुके हैं। गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम हो या बजट सत्र आयोजन…यह धक्केबाज नेता सुर्खियों में रहे। अब धक्केबाज नेता सीएम को होली की शुभकामनाएं देने पहुंचे लेकिन बधाई की जगह उनकी ट्रोलिंग शुरू हो गई। कई लोगों ने यहां तक कह दिया कि आखिर इस नेता को सीएम के साथ फोटो खिंचवाने का मौका मिल ही गया। किसी ने ‘फोटोजीवी’ कहकर उनका मजाक बनाया।
कचरे को भी नहीं बख्शा..
केरल के बिजनेस हब एर्नाकुलम जिले में स्थित ब्रह्मपुरम यार्ड के धुएं से राजनीतिक भ्रष्टाचार की गंध आ रही है। प्लास्टिक कचरे का पहाड़ पिछले 11 दिनों से जल रहा है। अब इस मामले को उजागर करने के लिए पोस्टमॉर्टम शुरू हो चुका है। कहा जा रहा है कि जिस फर्म को ब्रह्मपुरम में प्लांट चलाने का कॉन्ट्रैक्ट और सब-कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था उस पर वामपंथी पार्टी का आशीर्वाद है। ऐसे में अब आए दिन दिन सत्तारूढ़ सीपीएम के साथ फर्म की कथित सांठगांठ सामने आ रही है। दरअसल, इस फर्म के डायरेक्टरों में से एक सीपीएम के बड़े नेता का करीबी रिश्तेदार है। साथ ही सब-कॉन्ट्रैक्ट हथियाने वाली फर्म का एर्नाकुलम जिले के एक नेता के साथ सीधा संबंध है। ऐसे में यह मुद्दा अब कीड़ों का पिटारा बनता जा रहा है।
राजनीतिक दलों के नए शिल्पकार..
राजनीति में माहिर ये रणनीतिकार शेरलॅक होम्स की तरह लंबा कोट और बड़ी-सी हैट पहनकर नहीं घूमते। साथ ही इनके पास जेम्स बॉन्ड की तरह मॉर्डर्न गैजेट्स भी नहीं हैं। लेकिन बावजूद इसके कभी प्रशांत किशोर जैसे चुनावी रणनीतिकार के साथ काम कर चुके कांग्रेस के सुनील कन्नुगोलू की एक अलग इमेज है। कांग्रेस नेता और चुनावी रणनीतिकार सुनील कन्नुगोलू के पास रणनीति बनाने के लिए 200 लोगों की टीम है, जो कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता में वापस करा सकती है। इतना ही नहीं, टीम को शुरुआत में ही काफी फायदा भी हुआ है। टीम के द्वारा चलाए गए कुछ क्रिएटिव कैम्पेन की विपक्षी दलों ने भी दिल खोलकर तारीफ की है। हालांकि, बीजेपी सुनील जैसे पोस्टर बॉय के भरोसे नहीं है। उन्होंने डेटा-बेस्ड प्लानिंग के साथ ही जनसंख्या पर आधारित विस्तृत रणनीति तैयार की है। जेडीएस (JDS) अमित गौड़ा पर निर्भर है। जेपी नगर में 70 युवा अमित गौड़ा के साथ मिलकर एक अलग नैरेटिव गढ़ने का काम कर रहे हैं। वहीं, सिद्धारमैया अपने गढ़ कोलार में वॉर रूम शुरू कर अपने लिए जगह बना रहे हैं। इन रणनीतिकारों की योजना कहां तक पहुंच पाती है, इस बात का खुलासा तो आखिर में ईवीएम (EVM) ही करेगी।
रोस्टेड पनीर…
तमिलनाडु अपने फ्यूजन फूड के लिए जाना जाता है, लेकिन भुना हुआ पनीर सिर्फ राजनीतिक मेन्यू में ही मिल सकता है। ये रेसिपी हाल ही में थेनी क्षेत्र में खोजी गई थी, जहां एक नेता की नई राजनीतिक समझ को पकाने की कोशिश में खटास आ गई थी। दरअसल, ये नेताजी भगवा पार्टी के नेताओं को अपनी डिश परोसना चाहते थे, जिनकी रुचि कोंगुनाडु फूड में थी। लेकिन ऐसा लगता है कि उनकी इस रेसिपी को अपनाने वाले बहुत कम हैं और उन्हें अब एक नया सिलेबस तैयार करने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है।