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अमेरिका, रूस से डिजाइन चोरी करके बने चीन के ये 8 लड़ाकू विमान, बताता है अपना

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
05/08/24
in मुख्य खबर
अमेरिका, रूस से डिजाइन चोरी करके बने चीन के ये 8 लड़ाकू विमान, बताता है अपना
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बीजिंग: आम तौर पर लड़ाकू विमानों को विकसित करने में दशकों लग जाते हैं, लेकिन चीन ने इस मामले में दुनिया को हैरान किया है। चीन के विमान उद्योग ने तेजी से तरक्की की है। यह देश के अंदर पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ विमान बना रहा है। कम्युनिस्ट सरकार का भोंपू बना चीनी सरकारी मीडिया लगातार चीन के विमान उद्योग के बारे में बताता है। लेकिन एक बात चीनी मीडिया नहीं बताता है कि तेजी से बढ़ते विमान उद्योग के पीछे असल वजह डिजाइनों की चोरी है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के अधिकांश विमान दूसरे देशों के विमानों की डिजाइन चोरी करके तैयार किए गए हैं। तकनीक चोरी करने से चीन का इसके विकास में होने वाला महंगा रिसर्च और समय बच जाता है। आइए चीन के इन विमानों पर एक नजर डालते हैं।

F-7/चेंगदू J-7

चीन का यह विमान रूस के मिग 21 की नकल है। 1950 और 1960 के दशक में सोवियत संघ ने अपने पारंपरिक हथियार तकनीक साझा की। 1962 में सोवियत संघ ने चीन को मिग-21 की पेशकश की। इसके बाद कई मिग-21 चीन भेजे गए। मिग-21 हासिल करने के बाद चीन ने स्थानीय उत्पादन के लिए विमान की रिवर्स इंजीनियरिंग शुरू की। चीन ने इसे एफ-7 के नाम से तैयार किया।

जे-8

चीन ने 1964 में अपना स्वयं का ऑल-वेदर इंटरसेप्टर विकसित करने का प्रयास शुरू किया। अमेरिकी लॉकहीड-2 जासूसी विमान समेत नए, उच्च ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों का मुकाबला करने के लिए पहला चीनी-डिजाइन और निर्मित जेट फाइटर बना। प्रोटोटाइप ने 1969 में अपनी पहली उड़ान भरी, लेकिन राजनीतिक उथल-पुथल के चलते 1979 तक J-8 का उत्पादन नहीं हुआ। यह 1980 में सेवा में आया।

चेंगदू J-10

1980 के दशक में अमेरिका ने एफ-16 पर आधारिक एक नया लड़ाकू विमान विकसित करने के लिए इजरायल के साथ साझेदारी की, लेकिन लागत बढ़ने के कारण अमेरिका ने सौदे से हाथ खींच लिया। इससे इजरायल का लावी विमान अधूरा रह गया। इजरायल ने इस विकास योजनाओं को चीन को बेच दिया। चीन को इससे F-16 के लिए पहली बार विकसित तकनीक तक पहुंच मिली। जे-10 का आधिकारिक तौर पर जनवरी 2007 में अनावरण किया गया।

जे-11/16

जे-11 का जन्म 1998 में सोवितय के सुखोई Su-27 sk एयर सुपीरियरिटी फाइटर के चीनी संस्करण के रूप में हुआ। चीन ने 2.5 अरब डॉलर का उत्पादन समझौता हासिल किया, जिसके तहत चीन को रूसी आपूर्ति की किट का इस्तेमाल करके 200 विमान बनाने का लाइसेंस मिला।

J-15

जे-15 को ‘फ्लाइंग शार्क’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (पीएलएएन) का चौथी पीढ़ी का ट्विन-जेट, कैरियर-आधारित लड़ाकू विमान है। Su-33 के प्रोटोटाइप को अलग करने के बाद इसकी रिवर्स इंजीनियरिंग की गई है। चीन ने 2001 में Su-33 का अधूरा प्रोटोटाइप टी-10के-3 यूक्रेन से खरीदा था। कहा जाता है कि इसका बड़े पैमाने पर अध्ययन और रिवर्स-इंजीनियरिंग की गई थी। इसके तुरंत बाद जे-15 पर विकास शुरू हो गया।

जेएफ-17 ‘थंडर’

चीन का जे-7 मूल रूप से मिग 21 प्लेटफॉर्म था। इजरायल के ‘लावी’ कार्यक्रम के माध्यम से एफ-16 के डिजाइन तक पहुंच हासिल करने के बाद चीन ने दो तकनीकों को मिलाकर इस विमान को बनाया था। कुछ लोगों का कहना है कि यह दोनों विमानों से बेहतर है।

चेंगदू जे-20

जे-20 को सटीक हमला करने की क्षमता वाले लड़ाकू विमान के रूप में डिजाइन किया गया है। इसने 11 जनवरी 2011 को अपनी पहली उड़ान भरी और आधिकारिक तौर पर 2016 के चीनी एयर शो में इसका अनावरण किया गया। अमेरिकी एफ-22 और एफ-35 के बाद जे-20 दुनिया का तीसरा और चीन का पहला पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है। चीनी नागरिक सु बिन नाम के एक चीनी नागरिक ने एफ-22 का डिजाइन चुराया था, जिसके लिए उसे सजा भी हुई थी।

जे-31/जे-35

शेनयांग एफसी-31 एक डबल इंजन वाला मध्यम आकार का चीनी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है जो वर्तमान में विकास के अधीन है। 31 अक्टूबर 2012 को प्रोटोटाइप नंबर 31001 ने अपनी पहली उड़ान भरी। इसके साथ चीन एक ही समय में फील्ड परीक्षण में दो स्टील्थ लड़ाकू डिजाइन रखने वाला दूसरा देश बन गया। इसे अमेरिकी एफ-35 की नकल कहा जा रहा है।

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