नई दिल्ली : नया वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू हुआ है. इस तारीख से कई वित्तीय नियमों में बड़े बदलाव किए गए हैं. खासकर बीमा सेक्टर में बड़ा बदलाव आया है. एक अहम बदलाव खास तरह के इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स रिबेट खत्म होना है. इसके अलावा बीमा से जुड़े खर्चों और कमीशन की सीमा में बड़े बदलाव किए गए हैं. इन बदलावों की जानकारी होना अहम है, खासकर अगर आपकी मौजूदा वित्त वर्ष में नया इंश्योरेंस प्लान खरीदने की योजना है.
ग्राहकों को ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी जेब
इस साल से शुरुआत करके, ग्राहकों को ज्यादा टैक्स चुकाना होगा, अगर वे ज्यादा प्रीमियम वाली पॉलिसी में निवेश करते हैं. इससे पहले निवेशकों को ऐसी पॉलिसी पर कोई टैक्स नहीं देना होता था. लेकिन अब उनके लिए पांच लाख सालाना की प्रीमियम की राशि पर टैक्स का भुगतान करना जरूरी होता है.
इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIPs) पर इस नए इनकम टैक्स के नियम से छूट दी गई है. इससे यह सुनिश्चित हुआ है कि टैक्स छूट के बेनेफिट्स पांच लाख रुपये सालाना से ज्यादा वाले ULIP प्रीमियम पर भी उपलब्ध हैं.
बीमा एजेंटों के लिए क्या बदल गया?
इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने मैनेजमेंट के खर्चों और कमीशन की सीमा में बदलाव किया है, जो आज से ही लागू हुआ है. इरडा ने बीमा एजेंटों या एग्रीगेटर्स पर कमीशन की सीमा को हटाने का फैसला किया है. इससे पहले इरडा ने प्रस्ताव दिया था कि कमीशन को कुल खर्च के 20 फीसदी पर सीमित किया जाना चाहिए. लेकिन इस सीमा को हटा दिया गया है. अब, बीमा कंपनियां अपने मुताबिक कमीशन की राशि को तय कर सकती हैं.
बीमा क्षेत्र में इन नए बदलावों के साथ, अहम है कि नए नियमों और रेगुलेशन्स की जानकारी रखी जाए. व्यक्ति को इस वित्त वर्ष में एक बीमा पॉलिसी को खरीदते समय सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखना चाहिए. खासतौर पर टैक्स रिबेट के खत्म होने और मैनेजमेंट खर्चों और कमीशन पर सीमा में बदलाव के साथ यह अहम हो जाता है. इससे पहले बीमा सुगम के पेश होने के साथ, ग्राहकों को अपने बीमा की जरूरतों के लिए एक सिंगल प्लेटफॉर्म मिल गया था.