देश में बीमा कराने को आसान बनाने के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Irdai) ने भारत में पॉलिसीधारकों की सुरक्षा के लिए कई बदलाव किए हैं. उद्योग को खोलने से लेकर 2000 के दशक की शुरुआत में निजी भागीदारी से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन नियमों को आसान बनाने तक, इरडा ने पिछले 20 सालों में कंपनी की ग्रोथ और ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं.
आइए ऐसे कुछ तरीकों को जान लेते हैं, जिससे आने वाले सालों में पॉलिसीधारकों को फायदा मिलेगा.
ज्यादा विकल्प की सुविधा
डिस्ट्रीब्यूशन व्यवस्था के खुलने और कॉरपोरेट एजेंट और इंश्योरेंस मार्केटिंग कंपनियों के साथ समझौते की सीमा में इजाफे के साथ लोगों के लिए बीमा की पहुंच आसान बन गई है. इससे सेक्टर में प्रतिसपर्धा मजबूत होगी और ग्राहकों की जरूरतों को लेकर बैंक भी प्रोडक्ट्स पेश कर सकेंगे.
शिकायत का जल्द समाधान
शिकायतों के समाधान की व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए, रेगुलेटर ने अपने इंटिग्रेटेड ग्रीवियांस रिड्रेसल सिस्टम को बीमा भरोसा में अपग्रेड करने का ऐलान किया है. इसका मकसद शिकायतों के समाधान की व्यवस्था को ज्यादा बेहतर बनाना है. यह भी उम्मीद की जा रही है कि प्लेटफॉर्म पर ग्राहक क्षेत्रीय भाषाओं में भी अपनी शिकायतों को दर्ज करा सकेंगे.
डिजिटाइजेशन
ग्राहकों के कुल अनुभव को बेहतर बनाने के लिए न्यू ऐज टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर फोकस रहा है. इरडा मौजूदा शिकायत समाधान की व्यवस्था को सुधारने के लिए डेटा एनालिटिक्स के इस्तेमाल पर काम कर रहा है. इसके साथ वह बीमा कंपनियों से भी ग्राहकों के साथ बातचीत और उनकी लाइफ साइकिल को मैनेज करने के लिए समान डिजिटल समाधान को फॉलो करने के लिए कह रहा है.
बीमा की जरूरतों के लिए एक जगह सभी समाधान
बीमा सुगम के पेश होने के साथ, ग्राहकों को अपने बीमा की जरूरतों के लिए एक सिंगल प्लेटफॉर्म मिल गया है. इसमें पॉलिसी खरीदने से लेकर क्लेम सेटलमेंट की सुविधा मिलती है. यह पारदर्शिता में सुधार में मुख्य भूमिका निभाएगा. इससे बीमा सेक्टर में खरीदारी, पारदर्शिता और भरोसा बेहतर बनेगा.