बरेली। एक दौर था जब चुनाव में लंबे-लंबे नारे लगा करते थे। इन नारों से ही चुनाव का माहौल बनता था। चुनाव आयोग की सख्ती के बाद अब पहले जैसे तीखे और लम्बे नारे सुनने को नहीं मिलते हैं। अब छोटे नारे या कैंपेन ही चुनाव में छाए रहते हैं। इस बार भाजपा ने ‘अबकी बार-400 पार’ का नारा दिया है तो कांग्रेस ‘हाथ बदलेगा हालात’ से माहौल बनाने की कोशिश में है।
नारों, कैंपेन के मामले में भाजपा हाल फिलहाल सबसे आगे रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के ‘अच्छे दिन आने वाले है’ नारे ने लोगों को काफी प्रभावित किया। भारतीय जनता पार्टी का ‘घर घर मोदी-हर हर मोदी’ नारे ने भी लोकप्रियता के सारे रिकॉड तोड़ दिए थे। इस बार भाजपा ने अबकी बार- 400 पार और मोदी की गारंटी का नारा दिया है।
साथ ही हम हैं मोदी का परिवार कैंपेन से जनता को लुभाने का प्रयास किया गया है। राहुल गांधी की न्याय यात्रा के समय कांग्रेस ने ‘न्याय का हक मिलने तक’ का नारा दिया था। अब ‘हाथ बदलेगा हालात’ का नारा दिया है। समाजवादी पार्टी ने 2024 के चुनाव में ‘अस्सी हराओ-भाजपा हटाओ’ का नारा दिया है। ‘पीडीए ही एनडीए को हराएगा’ नारा भी सोशल मीडिया पर चल रहा है।
यूपी में चर्चित रहे नारे
- 1989 में समाजवादी पार्टी ने ‘जिसका नाम मुलायम है, उसका जलवा कायम, है’ नारा दिया था।
- अखिलेश यादव के पार्टी सम्भालने पर सपा ने ‘अखिलेश का जलवा कायम है, उसका बाप मुलायम है’ नारा दिया।
- बीजेपी का ‘साइकिल रखो नुमाईश में, बाबा ही रहेंगे बाईस में, फिर ट्राई करना 27 में’ नारा वर्ष 2022 के विधान सभा चुनाव में खूब चर्चा में रहा।
- बसपा ने ‘भाईचारा बढाना है। बसपा को लाना है’, ‘दमदार सरकार-बहन जी की सरकार’ जैसे नारों के जरिए वोटरों को लुभाने की कोशिश की थी।
हमेशा याद रहेंगे यह नारे
- बरेली में सोशलिस्ट पार्टी के नेता मोहन स्वरूप बाद में कांग्रेस में चले गए। तब विरोधियों ने नारा उछाला ‘मोहन स्वरूप से यह पूछो, झोपड़ी तुम्हारी कहां गई, क्या इंदिरा जी के मनमोहक आनंद भवन में समा गई’।
- साठ के दशक में जनसंधियों ने नारा दिया ‘जली झोंपड़ी भागे बैल, यह देखो दीपक का खेल’। कांग्रेसियों ने बदले में कहा कि ‘इस दीपक में तेल नहीं, सरकार बनाना खेल नहीं’।
- इंदिरा गांधी ‘गरीबी हटाओ’ नारा लगाकर सत्ता में आई तो जेपी ने ‘संपूर्ण क्रांति’ के नारे से उनको मात दे दी।
- नसबंदी के समय ‘जमीन गई चकबंदी में, मकान गया हदबंदी में, द्वार खड़ी औरत चिल्लाई, मेरा मर्द गया नसबंदी में’ नारा खूब चर्चित रहा।
- जनता पार्टी के ढाई साल के शासन के बाद कांग्रेस ने नारा दिया, ‘आधी रोटी खाएंगे, इंदिरा जी को लाएंगे।’
- अटल बिहारी बाजपेयी के लिए भाजपा ने नारा दिया, ‘अबकी बारी अटल बिहारी’।
- तिलक-तराजू का नारा लगाने वाली बसपा ने बाद में ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा-विष्णु-महेश है’ और ‘सर्व समाज के सम्मान में, बहन जी मैदान में’ जैसे नारे भी गढ़े।