भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के अलावा तीसरी कोई बड़ी पार्टी भले ही पैर जमाने में सफल नहीं हो सकी है, लेकिन यहां अन्य दल इन दो पारंपरिक प्रतिद्वंदियों को नुकसान पहुंचाने में पीछे नहीं है। 2023 की तैयारी में जुटी भाजपा और कांग्रेस के समाने इस तीसरे मोर्चे यानी छोटे दलों से वोटों का बिखराव रोकने की चुनौती है। राज्य में कई सीटों पर जहां दोनों दलों में कांटे की टक्कर की संभावना दिखा रही है।
दरअसल, मध्य प्रदेश में भाजपा अपना वोट शेयर 51 प्रतिशत तक पहुंचाने की कोशिश में है, लेकिन इसमें बड़ी बाधा अन्य दल बन सकते हैं। वोटों के इस बिखराव के कारण ही भाजपा और कांग्रेस के नेता चिंतित है। पिछले चार विधानसभा चुनावों के परिणामों का विश्लेषण करें तो अन्य दलों को अधिकतम 18 और न्यूनतम साढ़े आठ प्रतिशत र्वो मिले हैं।