निजीकरण के खिलाफ विरोध के बावजूद सरकार ने एक और बड़ी कंपनी को निजी हाथों में सौंप दिया है.इस बदिन सरकारी कोमप्न्य को दिग्गज बिजनेस मैन रतन टाटा ने खरीदा है. दरअसल ये कंपनी घाटे में चली रही थी और यह प्लांट 30 मार्च, 2020 से बंद है.
रतन टाटा के हाथों में कमान
गौरतलब है कि ओडिशा स्थित नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) को टाटा ग्रुप (Tata Group) की एक फर्म को सौंपा जा रहा है, इसकी पूरी प्रक्रिया जुलाई के मध्य तक पूरी होने की संभावना है. एक अधिकारी ने बताया कि टाटा स्टील की यूनिट टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स (टीएसएलपी) ने इस साल जनवरी में 12,100 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्य पर एनआईएनएल में 93.71 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की बोली जीती थी. कंपनी ने जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड और जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड के एक गठजोड़ को पीछे छोड़ते हुए यह सफलता हासिल की थी. अब जल्दी ही रतन टाटा का फर्म इसे सम्हालेगा.
अंतिम चरण में है प्रोसेस
एक अधिकारी ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया, ‘लेनदेन अंतिम चरण में है और अगले महीने के मध्य तक हस्तांतरण हो जाना चाहिए।’’ चूंकि सरकार की कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं है, इसलिए बिक्री से होने वाली आय राजकोष में जमा नहीं होगी और इसके बजाय चार सीपीएसई और ओडिशा सरकार के दो पीएसयू में जाएगी.’
कर्ज से लदी है कंपनी
बता दें कि नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड का कलिंगनगर, ओडिशा में 1.1 मीर्टिक टन क्षमता वाला एक इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट है। यह सरकारी कंपनी भी भारी घाटे में चल रही है और यह प्लांट 30 मार्च, 2020 से बंद है। कंपनी पर 31 मार्च 2021 को 6,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज और देनदारियां हैं, इसमें प्रमोटरों का 4,116 करोड़ रुपये, बैंकों का 1,741 करोड़ रुपये अन्य लेनदारों और कर्मचारियों का भारी बकाया शामिल है।