रायपुर: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. इनमें से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान तीनों ही राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी. मध्यप्रदेश में भाजपा सत्ता पर काबिज है तो छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है. इन तीनों ही राज्यों में दोनों दल दम-खम से जीत के जादुई आंकड़े को हासिल करने की कोशिश में हैं. चुनावी मौसम में कई पुराने किस्से ताजा हो जाते हैं. आज हम आपको छत्तीसगढ़ से जुड़ा एक रोचक किस्सा बताने जा रहे हैं.
बात छत्तीसगढ़ की..
चुनाव की घोषणा के साथ ही भाजपा ने ऐलान कर दिया था कि इस बार भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर सियासी जंग लड़ी जाएगी. हम बात कर रहे थे छत्तीसगढ़ की.. आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ में भले ही कांग्रेस की सरकार हो. भाजपा भले ही पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही हो. लेकिन इस राज्य को बनाया है देश के लोकप्रिय नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने.
छत्तीसगढ़ का इतिहास
पहले आपको छत्तीसगढ़ के इतिहास के बारे में बताते हैं. छत्तीसगढ़ पहले मध्यप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था. छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम “दक्षिण कोशल” (कोशल शब्द प्रदेश के लिए इस्तेमाल होता था) है. पुराने जमाने के शिलालेख और विदेशी यात्रियों की रचना में इसका विस्तार से प्रमाण मिलता है. कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि कलचुरी काल में छत्तीसगढ़, 36 गढ़ों में विभाजित था. गढ़ों को किले और दुर्ग के रूप में संदर्भित किया गया है.
छत्तीसगढ़ की जियोग्राफी
अब आपको छत्तीसगढ़ की जियोग्राफी के बारे में बताते हैं. छत्तीसगढ़ की सीमा कई राज्यों को छूती हैं. राज्य की सीमाएं सात राज्यों- मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, झारखंड और उत्तर प्रदेश को छूती हैं. छत्तीसगढ़ के उत्तर में उत्तर प्रदेश, उत्तर-पश्चिम में मध्यप्रदेश, उत्तर-पूर्व में उड़ीसा और झारखंड, दक्षिण में तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और पश्चिम में महाराष्ट्र है. ऊंचे-नीचे पहाड़ और घने विशाल जंगल इस राज्य की खासियत हैं.
इन लोगों ने लड़ी छत्तीसगढ़ की लड़ाई
अब आपको छत्तीसगढ़ के निर्माण में अटल बिहारी वाजपेयी जी के अहम योगदान के बारे में बताते हैं. वैसे तो छतीसगढ़ को अलग राज्य बनाने की मांग कई सालों से चली आ रही थी. 1918 में पंडित सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने का सपना देखा. 1924 में रायपुर जिला परिषद ने इस अलग राज्य बनाने की मांग रखी. 1946 में ठाकुर प्यारेलाल, 1953 में फजल अली, 1955 में रायपुर के विधायक ठाकुर रामकृष्ण सिंह, 1956 में डा. खूबचंद बघेल, 1967 में डॉक्टर खूबचंद बघेल, 1976 में शंकर गुहा नियोगी और 1994 में विधायक रविंद्र चौबे जैसे दिग्गजों ने छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने की लड़ाई जारी रखी. लेकिन इस मांग को खत्म किया अटल बिहारी वाजपेयी ने.
अटल जी ने किया वादा
1998-99 में चुनावी बिगुल बज चुका था. इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी रायपुर पहुंचे. उन्होंने चुनावी सभा को संबोधित किया. छत्तीसगढ़ समाज के लोगों से अटल जी ने वोट मांगा और साथ ही कहा कि उन्हें छत्तीसगढ़ से 11 सांसद चाहिए. अगर जनता ने मुझे यह उपहार दिया तो मैं वादा करता हूं कि छत्तीसगढ़ को अलग राज्य जरूर बनाया जाएगा. अटल जी अपनी बात रखकर चले गए. मतदान हुआ तो अटल जी के शब्द मतदाताओं के कान में घूम रहे थे, जिसका नतीजा था कि अटल जी और उनकी पार्टी को छत्तीसगढ़ से 11 तो नहीं बल्कि 8 सांसद जरूर मिले. और यह चुनाव जीतकर अटल जी की सरकार बनी.
वादा पूरा.. रिटर्न गिफ्ट में दिया छत्तीसगढ़
अटल जी अपनी जुबान के पक्के थे. अटल जी की इस खासियत का जिक्र कर समर्थक ही नहीं विरोधी भी उनकी तारीफ करते हैं. अटल जी की सरकार केंद्र में आई और छत्तीसगढ़ के अलग राज्य का सपना साकार हुआ. 25 जुलाई 2000 को मध्यप्रदेश राज्य के पुनर्निर्माण का विधेयक लोकसभा में पेश हुआ. 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने की सालों से चली आ रही मांग पर मुहर लग गई.