नई दिल्ली : फेसबुक ने हाल में ही Link History का नया फीचर रोलआउट किया है. ये फीचर आपके फेसबुक ऐप के जरिए क्लिक की गई लिंक्स को एक स्पेशल जगह पर स्टोर करेगा. वैसे तो यूजर्स के पास इस फीचर को ऑफ करने का ऑप्शन है, लेकिन डिफॉल्ट रूप Link History फीचर ऑन रहेगा.
इसका इस्तेमाल Ads को टार्गेट करने के लिए किया जाएगा. जहां कानून निर्माता टेक रेगुलेशन ला रहे हैं, Apple और Google जैसी कंपनी प्राइवेसी को ज्यादा मजबूत कर रही हैं. वहीं Meta लोगों का डेटा इकट्ठा करने के नए-नए तरीकों को तलाश रहा है. ऐसा ही एक फीचर Link History है.
Meta के इस फीचर में क्या है खास?
कंपनी इसे एक यूजफुल टूल की तरह प्रमोट कर रही है, लेकिन असल कहानी बहुत अलग है. कंपनी इसे ऐसा टूल बता रही है, जिससे आपको फेसबुक की ब्राउजिंग एक्टिविटी एक जगह पर सेव मिलेंगी. कंपनी का कहना है कि नए फीचर की मदद से आप ‘कभी भी एक लिंक को दोबारा मिस’ नहीं करेंगे.
फेसबुक ये जानकारी एक पॉप-अप मैसेज में दे रही है और लोगों को इस फीचर को यूज करने के लिए प्रमोट कर रही है. हालांकि, कंपनी अपने पॉप-अप मैसेज में ये जरूर मेंशन कर रही है कि ‘जब आप लिंक हिस्ट्री को अलाउ करेंगे, तो हम आपकी जानकारी का इस्तेमाल तमाम मेटा टेक्नोलॉजी पर Ads को बेहतर करने के लिए कर सकते हैं.’
90 दिनों में डिलीट होगा डेटा
कंपनी का कहना है कि इस फीचर को ऑफ करने के बाद वो यूजर की लिंक हिस्ट्री को 90 दिनों में डिलीट कर देंगे. फेसबुक के हेल्प पेज के मुताबिक, लिंक हिस्ट्री अभी सभी यूजर्स के लिए उपलब्ध नहीं है. कंपनी की मानें तो इस फीचर को वक्त से साथ ग्लोबली लॉन्च किया जाएगा.
मेटा पर हमेशा से यूजर्स के डेटा को ट्रैक करने का आरोप लगता रहा है. कुछ वक्त पहले ऐपल और मेटा एक दूसरे के खिलाफ कई पोस्ट कर रहे थे, जिसका असल मुद्दा प्राइवेसी पॉलिसी था. ये पहला मौका है जब यूजर्स को कुछ हद तक अपनी प्राइवेसी को कंट्रोल करने का ऑप्शन मिलेगा. या फिर उन्हें ऑप्शन दिया जा रहा है.
इसके अलावा कंपनी कई तरीकों से यूजर्स का डेटा इकट्ठा करती है. जब आप फेसबुक या इंस्टाग्राम पर किसी लिंक पर क्लिक करते हैं, तो वो एक स्पेशल ब्राउजर पर ओपन होती है, जो मेटा के ऐप में इन बिल्ट होता है. ये आपके फोन के रेगुलर ब्राउजर में ओपन नहीं होती है.