कोरोना काल में जब अस्पतालों में बेड्स और ऑक्सीजन की भारी किल्लत से लाखों लोगों को जूझना पड़ा तो उस वक्त आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां काफी चर्चा में आईं। जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि हाल के दिनों में लाखों लोग आयुर्वेद के देसी नुस्खों के जरिए घर बैठे ही कोविड से ठीक हुए हैं। कोविड में दो बातें बहुत अच्छी देखने को मिली हैं। पहली ये कि इस दौर में लोगों ने अपनी सेहत पर ध्यान देना शुरू कर दिया है और दूसरी बात ये है कि अब सभी की आयुर्वेद की ओर दिलचस्पी बढ़ने लगी है। इसके साथ ही अब देशवासी हमारी पारंपरिक चिकित्सा में प्रयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियों के बारे में खूब जानकारी जुटाने लगे हैं। आज हम आपको एक और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के बारे में बताने जा रहे हैं जो हमारी समग्र सेहत के लिए लाभकारी है। दरअसल, हम यहां बहेड़ा के फायदों के लेकर बात कर रहे हैं जिससे आप सभी अनजान हैं।
बहेड़ा आयुर्वेदिक के अचूक इलाज में प्रयोग की जाने वाली जड़ी- बूटियों में से एक है। इसमें रोगाणुरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले गुण पाए जाते हैं। इस जड़ी-बूटी का संस्कृत नाम विभीतकी है जिसे अंग्रेजी में फीयरलेस और हिंदी में ‘निर्भय’ कहते हैं। अंग्रेज में बहेड़ा को टर्मिनलिया बेलिरिका कहा जाता है।
आयुर्वेद की खास औषधि है बहेड़ा
बहेड़ा कब्ज-दस्त (डायरिया) से लेकर बुखार बुखार को कम करने में मददगार है। आयु्र्वेद में इस जड़ी बूटी का प्रयोग सदियों से होता आ रहा है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि बहेड़ा आयुर्वेदिक जड़ी बूटी त्रिफला के तीन प्रमुख अवयवों में से एक है, जबकि अन्य दो में आंवला और हरड़ शामिल हैं। बहेड़ा शरीर के तीन दोषों जैसे वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में सहायक है।
पेट संबंधी सभी समस्याओं को दूर करता है बहेड़ा
आयुर्वेद में बहेड़ा को तमाम तरह की सेहत संबंधी समस्याएं दूर करने के लिए कारगर माना गया है। भारत में भी डायरिया के मरीजों पर इसका अध्ययन किया गया है और प्रभावी माना गया है। ये पेट संबंधी सभी तरह की समस्याओं को दूर करने में असरदार है। बहेड़ा फल का हाइड्रोक्लोरिक अर्क को पेट दर्द, अपच, पेचिश, उल्टी, दस्त, कब्ज और सूजन को कम करने में सहायक बताया गया है। पारंपरिक रूप से इसका उपयोग गैस्ट्रिक अल्सर के प्रबंधन के लिए किया जाता है।
ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करता है बहेड़ा
बहेड़ा फल का अर्क इंसुलिन के स्तर में सुधार करता है और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है। जानवरों पर किए गए एक अध्ययन के जरिए पता चला है कि बहेड़ा डायबिटीज के रोगियों के लिए भी प्रभावी माना जाता है। इसका इस्तेमाल अल्सर के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में भी किया जा सकता है।
गठिया में मिलती है राहत
बहेड़ा के बीज का तेल गठिया में प्रभावी माना जाता है। इसके अलावा एक अध्ययन में यह भी पता चला है कि बहेड़ा किडनी की पथरी के उपचार में असरदार है और यह किडनी के समग्र कार्यों में सुधार कर सकता है। इसके अतिरिक्त ये वजन घटाने और इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मददगार है।
इन बीमारियों को दूर करने में भी होता है बहेड़ा का प्रयोग
बहेड़ा को सफेद बालों की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा यह हृदय और लीवर के लिए भी फायदेमंद बताया गया है। इस फल की मींगी मोतियाबिंद को दूर करने में मददगार है जबकि इसकी छाल खून की कमी, पीलिया और कुष्ठ रोग के लिए लाभकारी बताई जाती है।
कैसे करें बगेड़ा का प्रयोग
- बहेड़े को थोड़े से घी में पकाकर खाने से गला दर्द या खराश जैसे रोग दूर हो जाते हैं।
- बहेड़ा की छाल को मिश्री या शहद के साथ पीने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है। जब कभी आपको आंखों में दर्द हो रहा हो तब भी आप इसे पी सकते हैं।
- बहेड़े के बीजों पीसकर पानी के साथ पीने से हाथ-पैर की जलन में आराम मिलता है।
- बहेड़ा का पाउडर और लेप बनाकर बालों की जड़ों पर लगाने से बाल काले हो जाते हैं।
खबर इनपुट एजेंसी से