नई दिल्ली: बिहार के किसानों की आय दोगुनी करने के इरादे से बने चौथे कृषि रोड मैप में विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) को शामिल किया गया है. ड्रैगन फ्रूट उगाने के लिए राज्य के 21 जिलों की मिट्टी को अनुकूल पाया गया है. जिससे इसका क्षेत्र विस्तार करने का फैसला किया गया है.
तीन किस्तों में मिलेगा अनुदान
किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) पर राज्य सरकार ने 40 फीसदी अनुदान देने का फैसला लेते हुए रकम भी जारी कर दी है. इसकी खेती के लिए बनने वाली एक यूनिट पर किसानों को करीब 7.50 लाख रुपये का खर्च आता है. किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती पर 3 किस्तों में अनुदान दिया जाएगा. अनुदान की पहली किस्त 60 फीसदी राशि यानी 1.80 लाख रुपये प्रति किसान प्रति हेक्टेयर दी जाएगी. दूसरी किस्त अगले वर्ष कुल अनुदान का 20 फीसदी यानी 60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर 75 फीसदी पौधे के जीवित रहने पर मिलेगी. वहीं तीसरी और अंतिम किस्म यानी बाकी 20 फीसदी रकम उसके अगले से 90 फीसदी पौधों के जीवित रहने पर दी जाएगी.
ड्रैगन फ्रूट गुलाबी या लाल रंग का होता है और अंदरूनी भाग सफेद होता है. इसका गूदा काफी रसदार और हल्का मीठा होता है. इस फल में भरपूर मात्रा में विटामिन सी, बी, कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्निशियम पाए जाते हैं. यह एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है. फाइबर की मात्रा ज्यादा होने के बावजूद यह लो कैलोरी फ्रूट है, जो वजन घटाने में मदद करता है.
ड्रैगन फ्रूट की बाजार में कीमत 100 रुपये से 400 रुपये किलो तक होती है, जबकि इसे उगाने में कमसानों का खर्च प्रति क्विंटल बेहद कम आता है. इसका एक पौधा 15 से 20 साल तक फल देता है. हालांकि यह मौसम और उसके रख-रखाव पर निर्भर करता है.
इन जिलों का किया गया चयन
ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit Farming) योजना के लिए जिन 21 जिलों का चयन किया गया है. उनमें मुजफ्फरपुर, पटना, भोजपुर, गोपालगंज, जहानाबाद, सारण, सीवान, सुपौल, औरंगाबाद, बेगूसराय, भागलपुर, गया, कटिहार, किशनगंज, मुंगेर, नालंदा, पश्चिम व पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, समस्तीपुर व वैशाली जिले को शामिल किया गया है.