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Home राज्य

…ये बघेल के लिए मैदान साफ करने की रणनीति या समीकरण!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
06/09/23
in राज्य, समाचार
…ये बघेल के लिए मैदान साफ करने की रणनीति या समीकरण!

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नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) का गठन कर दिया है. 16 सदस्यों वाली सीईसी में छत्तीसगढ़ सरकार के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का नाम भी है. टीएस सिंहदेव अलग छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास में कांग्रेस के ऐसे पहले नेता बन गए हैं जिसे पार्टी की सीईसी में शामिल किया गया है. सीईसी में सिंहदेव के नाम को लेकर ही सबसे अधिक चर्चा भी हो रही है.

सिंहदेव के नाम को लेकर चर्चा बेवजह भी नहीं. कोई इसे चुनावी राज्य के चश्मे से देख रहा है तो कोई इसे हाल के घटनाक्रमों से जोड़ रहा है तो कोई इसे सिंहदेव के पार्टी में बढ़ते कद का प्रतीक बता रहा है. सिंहदेव को सीईसी में शामिल करने के पीछे कांग्रेस नेतृत्व की सोच क्या है? ये तो पार्टी ही जाने लेकिन जानकार इसे विधानसभा चुनाव से पहले किसी भी तरह की खींचतान रोकने के लिए, जातिगत समीकरणों का ध्यान रखते हुए उठाया गया कदम बता रहे हैं.

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार की कमान भूपेश बघेल के पास है जो अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं. कांग्रेस संगठन की कमान आदिवासी चेहरे दीपक बैज के हाथ में है. सरकार और संगठन में ओबीसी और आदिवासी समुदाय का बैलेंस था लेकिन सामान्य वर्ग को लेकर जो कमी नजर आ रही थी, कांग्रेस नेतृत्व ने सिंहदेव को सीईसी में शामिल कर उसे बैलेंस करने का प्रयास किया है. ये कहना गलत नहीं होगा कि जातिगत और सामाजिक समीकरणों ने छत्तीसगढ़ में पार्टी के सबसे बड़े सामान्य नेता के लिए सीईसी में जगह बनाई है.

सिंहदेव को कांग्रेस ने दिल्ली में क्यों किया एडजस्ट?

एक सवाल ये भी उठ रहा है कि पहले ताम्रध्वज साहू और अब टीएस सिंहदेव, एक-एक कर ऐसे नेताओं को दिल्ली में एडजस्ट क्यों किया जा रहा है जो सीएम बघेल के लिए चुनौती बन सकते हैं? ताम्रध्वज साहू को पहले ही सीडब्ल्यूसी में शामिल कर लिया गया था. छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध ने इस पर कहा कि न तो टीएस सिंहदेव को राष्ट्रीय राजनीति करनी है और ना ही ताम्रध्वज साहू का ही इसमें कोई इंट्रेस्ट है. दोनों नेताओं का पूरा फोकस छत्तीसगढ़ की राजनीति पर है. मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस के इस फैसले से अभी किसी तरह की कोई खींचतान होगी. हां, विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अगर सत्ता में आई तो फिर उसके लिए गुटीय संतुलन बना पाना मुश्किल रहने वाला है.

सिंहदेव को सीईसी में शामिल किए जाने के मायने क्या?

दिवाकर मुक्तिबोध ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार गठन के बाद साढ़े चार साल तक सरकार से लेकर संगठन तक सिंहदेव हाशिए पर रहे. कांग्रेस का चुनावी साल में पहले डिप्टी सीएम बनाना और फिर सीईसी में जगह देना, पार्टी की कोशिश सिंहदेव और उनके समर्थकों को ये संदेश देने की है कि उनकी अहमियत कम नहीं हुई है. सिंहदेव की इमेज सरल-सहज, स्पष्टवादी नेता की है और वे अपनी राय रखने में कभी पीछे नहीं रहते. अंबिकापुर में सिंहदेव ने सरकार और संगठन पर अप्रत्यक्ष रूप से उंगली उठाते हुए कह भी दिया कि साढ़े चार साल तक हर स्तर पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई है.

उन्होंने कहा कि बृहस्पति सिंह के मामले में माफ नहीं करने का बयान हो या वन नेशन वन इलेक्शन के मसले पर थोड़ा समर्थन और थोड़ा विरोध की राह, सिंहदेव अगर कांग्रेस की लाइन से हटकर खड़े नजर आए तो इसके पीछे उनकी यही स्पष्टवादिता थी, असंतोष नहीं. अब सिंहदेव को सीईसी में शामिल किया गया है तो साफ है कि टिकट बंटवारे में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहनी है.

बघेल के लिए मैदान साफ करने की रणनीति तो नहीं?

साल 2018 के चुनाव में जब कांग्रेस को प्रचंड जीत मिली थी, तब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की रेस में चार नाम थे- भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और चरणदास महंत. कांग्रेस नेतृत्व ने चारों नेताओं को दिल्ली बुलाया और सीएम के चयन को लेकर बातचीत शुरू हुई. चरणदास महंत स्पीकर बनाए जाने की बात पर संतुष्ट हो गए सबसे पहले सीएम की रेस से बाहर हो गए थे. ताम्रध्वज साहू भी गृह मंत्रालय दिए जाने की बात पर मान गए. अंत में दो नाम बच गए थे टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल. दोनों में से कोई भी नेता सीएम से कम पर मानने को, अपनी दावेदारी वापस लेने को तैयार नहीं था. कई दौर की मैराथन बैठकों के बाद बाजी बघेल के हाथ आई.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद भी करीब साढ़े चार साल तक पावर वॉर चलता रहा. कभी ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले की बात हुई तो कभी दिल्ली में बैठकों का दौर भी चला. कांग्रेस ने चुनावी साल में पावर वॉर समाप्त कराने के लिए पहले सिंहदेव को छत्तीसगढ़ सरकार में डिप्टी सीएम बनाया और अब सीईसी में जगह. पार्टी का ये दांव चुनाव में कितना कारगर साबित होगा?

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