देहरादून : लव जिहाद पर देशभर में अजीब सा मौहाल नज़र आ रहा है. कई राज्यों से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां पहचान छिपाकर हिंदू लड़कियों को लेकर भागने की घटनाएं हुई हैं. इन मामलों की पुलिस जांच में पाया गया कि आरोपी मुस्लिम पहचान छिपाकर हिंदू नाम से दोस्ती या व्यापार कर रहे थे. उत्तरकाशी में पहचान से निकले इसी संकट को लेकर तमाम मुस्लिमों का पलायन हो रहा है. इस बीच उत्तराखंड में पहचान की समस्या से निपटने के लिए आधिकारिक सत्यापन की मुहिम चल रही है.
सवाल ये है कि पहचान छिपाने की ज़रूरत क्यों है? उत्तराखंड पुलिस उत्तरकाशी समेत जहां भी ऐसी शिकायतें मिल रही हैं, वहां जांच पड़ताल कर रही है. लोगों की शिकायत ये है कि पहचान छिपाकर दोस्ती करने के पीछे ‘जिहादी’ सोच है. पहचान छिपाना पहला क़दम है. फिर दोस्ती और फिर लव जिहाद का शिकार बनाना. उत्तराखंड संभवत: पहला राज्य होगा, जहां पहचान का सत्यापन हो रहा है. ऐसा इसलिए, क्योंकि मुख्यमंत्री धामी ने लव जिहाद समेत तमाम मज़हबी ध्रुवीकरण रोकने के लिए एक गहरी लकीर खींच दी है.
‘लव जिहाद’ पर धामी का ‘एक्शन और भरपूर रिएक्शन’
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने लव जिहाद को लेकर एक बार फिर सख़्त चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि लव जिहाद के गुनहगारों को दस साल की जेल होगी. उन्होंने पुरज़ोर तरीक़े से ये बात तब दोहराई है, जब राज्य में इस तरह के मामले कई जगहों से सामने आ रहे हैं. लव जिहाद के ख़िलाफ़ धामी सरकार न केवल क़ानून के ज़रिये बल्कि ऐसी शिकायतों पर सख़्त एक्शन के ज़रिए भी संदेश दे रही है. यही नहीं मुख्यमंत्री धामी खुले मंच से लव जिहादियों को ललकारते हैं और ऐसे सवालों पर मीडिया में खुलकर रिएक्शन भी देते हैं.
‘केरल स्टोरी’ को लेकर ‘चेतावनी’ दे चुके हैं धामी
फिल्म द केरल स्टोरी आने के बाद जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पूछा गया कि वो फिल्म को लेकर क्या सोचते हैं. तब उन्होंने कहा था- “अगर आप फ़िल्म देखेंगे तो आपको लगेगा कैसे हिंदू लड़कियों को बरगला कर ज़िंदगी बर्बाद की जा रही है. हिंदू लड़कियां आतंकवाद में झोंकी जा रही हैं, जिहाद में झोंकी जा रही हैं”. यानी साफ है कि मुख्यमंत्री धामी बिना किसी लाग लपेट के ये मानते हैं कि लव के नाम पर जिहाद उत्तराखंड में नहीं चलेगा.
मुख्यमंत्री धामी लव जिहाद के खिलाफ कुछ NGO और हिंदूवादी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों में भी शामिल होते हैं. मंच से भाषण देते हैं और लव जिहाद करने वालों को चेतवानी देते हुए सख़्त कानूनी कार्रवाई के लिए भी आश्वस्त करते हैं. राज्य के मुखिया के तौर पर सीएम धामी किसी भी तरह की औपचारिकता या राजनीतिक रूप से सही होने की कोशिश नहीं करते. वो सीधे तौर पर कहते हैं- लव जिहाद जैसी साज़िश यहां नहीं चलेगी.
लड़कियों को बहलाकर धर्मांतरण के खिलाफ सख्ती
धर्म परिवर्तन के मामलों को लेकर उत्तराखंड सरकार और पुलिस-प्रशासन दोनों सख़्त हैं. इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तरकाशी समेत जहां जहां भी धर्मांतरण के मामले सामने आए, पुलिस ने बिना टाल मटोल किए कार्रवाई की. ज़िलों में दुकानदारों और किराएदारों का घर-घर और बाज़ारों में जाकर सत्यापन किया जा रहा है. राज्य सरकार के मुताबिक पहचान छिपाकर रहने के पीछे कोई साज़िश हो सकती है. जो पहचान ग़लत बता रहा है या छिपा रहा है, तो ये संदेह पैदा करता है.
300 से ज्यादा अवैध मजारों पर चला बुलडोजर
एक मज़ार को बुलडोज़र से हटाने की कार्रवाई हो जाए, तो बाक़ी राज्यों में हंगामा हो जाता है. कई राज्यों में दशकों से अवैध मज़ारें बनी हुई हैं, लेकिन पुलिस-प्रशासन सामाजिक दबाव में उसे नहीं हटवा पाता. हालांकि, उत्तराखंड में तस्वीर बिल्कुल अलग है. यहां वन विभाग समेत तमाम सरकारी और सार्वजनिक स्थलों पर बनी 300 से ज़्यादा अवैध मज़ारों पर बुलडोज़र चल गया. थोड़े बहुत विरोध के अलावा ना तो कोई धरना-प्रदर्शन हुआ और ना ही किसी तरह के तनाव वाली स्थिति आई.
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने अवैध मज़ारों के मुद्दे पर नज़रिया साफ रखा हुआ है. वो कहते हैं- अगर सरकारी या सार्वजनिक भूमि पर अवैध मज़ार या किसी तरह का निर्माण है तो उसे स्वयं हटा लें वर्ना बुलडोज़र से तोड़ देंगे”. सरकार का नज़रिया साफ है कि वो इस मुद्दे पर किसी भी तरह के सियासी विवाद में नहीं पड़ेगी. इसी तेवर को देखते हुए कुछ अवैध मज़ारों को लोगों ने ख़ुद ही तोड़ दिया.
UCC वाला पहला राज्य होगा उत्तराखंड- धामी
लोकसभा चुनाव के लिए जिस तरह की तैयारी उत्तराखंड ने की है, वो शायद अपने आप में सबसे ज़्यादा हैरान करने वाली है. यूपी में 2024 में जिस वक्त BJP अयोध्या से राममय माहौल बनाएगी, संभवत: उस समय उत्तराखंड से धामी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड के ज़रिये सियासी तापमान बढ़ा देगी. जिस UCC को लेकर देश में तमाम मुस्लिम संगठन और राजनीतिक दल विरोध पर उतारू हैं, उसे लेकर धामी सरकार ने कुछ दिनों पहले बड़ा ऐलान किया था.
मुख्यमंत्री ने कहा था कि हमने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर एक एक्सर्ट कमेटी बना दी है. वो अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है. UCC यानी समान नागरिक संहिता की डिटेल रिपोर्ट मिलते ही उसे लेकर अहम सुझावों की लिस्ट तैयार होगी. ये लिस्ट बनने के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड को क़ानून का रूप देने के लिए धामी सरकार अपना संकल्प दिखाएगी.
हिंदुत्व के ‘साइलेंट पोस्टर बॉय’ बन गए हैं धामी!
लव जिहाद, अवैध मज़ारें, धर्मांतरण और यूनिफॉर्म सिविल कोड ये सब ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर राज्य सरकारें बहुत ज़्यादा खुलकर नहीं बोलतीं. हालांकि, BJP शासित राज्यों में इन विषयों पर राजनेताओं और सरकारों के बयान आते रहते हैं. लेकिन ग़ैर BJP राज्यों में इन्हीं मुद्दों को मज़हबी ध्रुवीकरण के तहत इस्तेमाल किया जाता है. ख़ासतौर पर लव जिहाद और यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर सरकारें या तो क़ानून का हवाला देती हैं या चीज़ों को सावधानीपूर्वक हैंडल करने की कोशिश करती हैं.
राजनीतिक ताप बढ़ाने वाले इन मुद्दों को लेकर जिस तरह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने अंदाज़ में बढ़ रहे हैं. सार्वजनिक मंचों से इन मामलों पर बात कर रहे हैं, बयान दे रहे हैं. उससे साफ है कि वो हिंदुत्व की राह पर BJP के लिए साइलेंट ‘पोस्टर बॉय’ साबित हो सकते हैं. क्योंकि बिना ज़्यादा शोर शराबा किए वो उत्तराखंड में लव जिहाद, लैंड जिहाद को रोकने और यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के मुद्दे पर आगे बढ़ रहे हैं. यानी 2024 के चुनाव में हिंदुत्व का ताप बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री धामी BJP के लिए उपयोगी साबित होंगे.