देहरादून : उत्तराखंड में सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ बदहाल स्वास्थ्य-शिक्षा का दंश झेल रहे ग्रामीण और शहरों के करीब 12 प्रतिशत लोग सिर्फ साक्षर हैं। नेशनल सैंपल सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की रिपोर्ट में कक्षा एक से पांचवीं तक पढ़ाई करने वालों को ‘साक्षर’ कहा गया।
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के शहरों में 11.9 लोग साक्षर हैं, गांवों में 12.2 लोग अधिकतम 5वीं तक पढ़ाई करते हैं। रिपोर्ट में प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में 15 साल से अधिक उम्र के लोगों की उच्चतम स्तर की शिक्षा का विवरण दिया गया है। जिसके अनुसार उत्तराखंड में जुलाई 2022 से जून 2023 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 2904 और शहरी क्षेत्र में 2280 लोगों को सर्वे में शामिल किया गया।
गांवों में निरक्षर लोगों की संख्या 17.8 व शहर में महज 12.8 रही। जबकि, साक्षर या कक्षा एक से पांचवीं तक पढ़ाई करने वालों की संख्या गांवों में 12.2 व शहर में 11.9 है। यानी गांव- शहर के ये लोग प्राथमिक स्तर तक की पढ़ाई तो कर पाए, मगर इससे ऊपर शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके।
18 फीसदी ही करते हैं 12वीं तक पढ़ाई
गांवों के लोग संसाधनों के अभाव में अक्सर 10वीं या 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं। रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई है। गांवों के 18.3 12वीं तक की पढ़ाई करते हैं। स्नातकोत्तर यानी पीजी कक्षाओं तक केवल 5 फीसदी ही पहुंच पाते हैं।
गांव और ब्लॉकों में होता है सर्वे
पीएलएफएस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए देश के 6982 गांव और 5732 ब्लॉक में सर्वे कराया गया। गांव में 55844 घरों में रहने वाले 2,43,971 व ब्लॉक के 45811 घरों में रहने वाले 1,75,541 लोगों को सर्वे में शामिल किया