नई दिल्ली: अमेरिकी चुनाव के नतीजे पूरी दुनिया के सामने हैं। डोनाल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक जीत की चर्चाएं पूरी दुनिया के फौरन एक्सपर्ट्स कर रहे हैं। ट्रंप की जीत के पीछे की असली वजह हर कोई जानना चाहता है। डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस, दोनों के चुनावी वादे एकदम अलग थे। हैरिस ने कई मुद्दों पर फोकस किया। इनमें गर्भपात, जलवायु परिवर्तन, यूक्रेन को मदद और स्वास्थ्य सेवा शामिल थे। लेकिन ट्रंप ने अमेरिकी जनता को सीधा और साफ संदेश दिया, ‘बाहरी लोग अमेरिका को लूट रहे हैं और उन्हें रोकना होगा।’
ट्रंप का सीधा और सरल संदेश ज्यादा असरदार रहा। ट्रंप ने लोगों की रोजमर्रा की परेशानियों को अपने हक में इस्तेमाल किया, जबकि हैरिस के वादे भविष्य के लिए थे। ट्रंप ने लोगों को तुरंत संतुष्टि देने वाला तोहफा दिया, जबकि हैरिस ने ऐसे वादे किए जिन्हें पूरा होने में समय लगता। ट्रंप की जीत के पीछे कई कारण हो सकते हैं। लेकिन ट्रंप का बाहरी लोगों को रोकने वाला मुद्दा काफी असरदार था। यह मुद्दा लोगों को आसानी से समझ आया।
एक ही मुद्दे पर ट्रंप का फोकस
ट्रंप ने अमेरिका चुनाव में एक ही मुद्दा उठाया, बाहरी लोग अमेरिकियों को लूट रहे हैं। उनका कहना था, ‘1965 के नियम में बदलाव के बाद से मेक्सिको से आने वाले प्रवासियों की संख्या बढ़ी है और जल्द ही अमेरिका पर उनका कब्जा हो जाएगा। इसी तरह चीन नौकरियां छीन रहा है और यूरोप नाटो के नाम पर पैसा बर्बाद कर रहा है।’ ट्रंप के समाधान भी सीधे और सरल थे, ‘मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाओ, चीनी सामानों पर टैक्स बढ़ाओ और अमेरिकी नौकरियों को बढ़ावा दो।’ ट्रंप का निशाना चीन ही नहीं, बल्कि फ्रांस और जर्मनी जैसे यूरोपीय देश भी थे। ट्रंप का तरीका वैसा ही था जैसे बच्चों को कोई चमकदार खिलौना तुरंत पसंद आ जाता है, भले ही वह कुछ महीनों में टूट जाए।
हैरिस ने क्या-क्या वादे किए?
इसके विपरीत, हैरिस ने कई मुद्दों पर बात की, लेकिन उनका कोई भी मुद्दा लोगों को तुरंत प्रभावित करने वाला नहीं था। गर्भपात के अधिकार का मुद्दा अब पहले जैसा महत्वपूर्ण नहीं रहा, क्योंकि गर्भनिरोधक तरीके बेहतर हुए हैं और महिलाएं नौकरीपेशा होने लगी हैं।जलवायु परिवर्तन का मुद्दा भी लोगों को उतना नहीं छूता, क्योंकि यह भविष्य की समस्या है। लोग अपने आज की परेशानियों से जूझ रहे हैं, ऐसे में उन्हें भविष्य की चिंता कम सताती है। हैरिस की हार का एक कारण यह भी था कि डेमोक्रेटिक पार्टी के लोग हकीकत से आंखें मूंदे रहे। उन्होंने यह मानने से इनकार कर दिया कि ट्रंप का संदेश लोगों को लुभा रहा है।
क्यों असरदार नहीं रहे हैरिस के मुद्दे?
गर्भपात का मुद्दा अब 1980 के दशक की तरह नहीं रहा। बेहतर गर्भनिरोधक तरीकों और महिलाओं के कामकाजी होने की चाहत ने अनचाहे गर्भधारण को कम कर दिया है। अब यह मुद्दा ज्यादातर रेप पीड़ितों और गर्भनिरोधक के इस्तेमाल में चूक करने वाली महिलाओं तक सीमित है। आंकड़े बताते हैं कि 1981 से 2021 के बीच 15-44 आयु वर्ग की महिलाओं में गर्भपात दर में 60% की कमी आई है। एक सर्वे में यह भी पाया गया कि उनमें से आधे लोग जो गर्भपात को कानूनी मानते हैं, उन्होंने ट्रंप को वोट दिया। कमला का अगला वादा ग्लोबल वार्मिंग रोकने का था। लेकिन जैसा कि कहा जाता है, ‘जब आग लगेगी तब कुआं खोदेंगे’, यही कारण है कि लोगों को पर्यावरण का मुद्दा अभी जरूरी नहीं लगता। स्वास्थ्य सेवा भी कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत हो।
डेमोक्रेटिक पार्टी को बड़ा सबक
डेमोक्रेटिक पार्टी को हार के कारणों पर विचार करना चाहिए। उन्हें यह समझना होगा कि लोगों को लुभाने के लिए सीधे और सरल मुद्दों की जरूरत होती है। डेमोक्रेटिक पार्टी को हार के लिए दूसरों को दोष देने से बचना चाहिए। उन्हें यह मानना होगा कि ट्रंप ने चुनाव जीता है क्योंकि उन्होंने लोगों को लुभाने में सफलता पाई।