रायपुर : छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद अब इस बात को लेकर चर्चाएं खूब चल रही हैं कि मुख्यमंत्री कौन होगा। चाहे सत्ता दल के लोगों के साथ विपक्ष और आम लोगों के अंदर प्रदेश के मुख्यमंत्री नाम की जिज्ञासा हो रही है। इस पर लोगों के द्वारा भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के नाम को लेकर कयास भी लगाए जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ सकती है या फिर प्रदेश में लगातार ओबीसी और आदिवासी चेहरे को लेकर उठने वाली मांगों की तरफ छत्तीसगढ़ का आदिवासी क्षेत्र से आने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय या प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के रूप में ओबीसी नेता सीएम बन सकते हैं। हालांकि नाम के साथ दिल्ली में पकड़ रखने वाले ओपी चौधरी का नाम भी लिया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले इस बात की खूब चर्चा थी कि भारतीय जनता पार्टी की टिकट वितरण की प्रक्रिया में सबसे अहम रोल भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह कर रहा है। जिसको लेकर कांग्रेस भी चुनाव के दरमियान खूब तंज कस रही थी। छत्तीसगढ़ में साल 2023 का चुनाव के दरमियां डॉ रमन फ्रंट फुट पर रहकर पूरे प्रदेश की बागडोर संभाल कर रखी थी। इसके अलावा छत्तीसगढ़ बनने के बाद साल 2003 से साल 2018 तक डॉ रमन सिंह 15 साल तक लगातार मुख्यमंत्री बने रहे हैं। इसलिए हाथ से माना जा रहा है कि अगर किसी अन्य नाम पर सहमति नहीं बनी तो पहला नाम पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का ही होगा। रमन सिंह अभी 71 वर्ष के भी हो गए हैं उन्होंने 2023 के चुनाव में राजनांदगांव विधानसभा सीट से प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की है।
OBC सीएम हुआ तो यह होगा पहला नाम
इसके साथ ही लगातार पूरे चुनाव के दौरान केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा ओबीसी का मुद्दा उठाया गया है। लगातार छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान ओबीसी वर्ग को लेकर बातें हुई हैं। अगर छत्तीसगढ़ में भाजपा ओबीसी चेहरे की तरफ रुख करती है तो इस बीच सबसे बड़ा नाम वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का होगा। अरुण साहू जिन्होंने 2023 के चुनाव में लोरमी विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आए हैं। अगर पार्टी ने अरुण साव को मुख्यमंत्री बनाया तो साव बिलासपुर संभाग से होने वाले दूसरे मुख्यमंत्री होंगे। मुख्यमंत्री की रेस में एक और ओबीसी चेहरे को लेकर खूब चर्चा हो रही थी लेकिन वह विधानसभा का चुनाव हार गए। वह नाम है विजय बघेल का जिन्होंने पाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चुनाव नहीं जीत सके।
CM का आदिवासी चेहरा कौन
छत्तीसगढ़ में साल 2018 में विपक्ष में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी की बागडोर विष्णुदेव साय के हाथ में दे दी थी। अगर छत्तीसगढ़ में भाजपा आदिवासी मुख्यमंत्री बनाती है तो सबसे पहला नाम उसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय होगा। विष्णुदेव साय भारतीय जनता पार्टी के अंदर एक ऐसा आदिवासी चेहरा है जिसकी वक्त के साथ-साथ प्रदेश में खूब चर्चा हुई है। ऐसा माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में डॉ रमन सिंह के बाद अगर किसी का कद बढ़ा है तो विष्णु देव साय का है। विष्णु देव साय ने भी साल 2030 के विधानसभा चुनाव में उत्तर छत्तीसगढ़ कुनकुरी विधानसभा सीट से चुनाव जीत का विधायक बने हैं।
ओपी पर भी सबकी नजर
वही एक नाम छत्तीसगढ़ में खूब चर्चा में है ऐसा माना जाता है कि इनकी पकड़ केंद्रीय नेतृत्व में बेहद ही मजबूत है। छत्तीसगढ़ के इस युवा नेता का दिल्ली में बैठी भाजपा की सरकार में अच्छी पूछ परख भी है। वह नाम है ओप चौधरी, यह एक आईएएस अधिकारी रहे हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले IAS छोड़ राजनीति में कदम रख लिया था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा लेकिन 2018 में चुनाव हार गए। एक बार फिर साल 2023 की विधानसभा चुनाव में ओपी चौधरी को रायगढ़ से चुनाव लड़ा है क्या और वह जीतकर विधायक बन गए है। ऐसा माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की रेस में इनका भी नाम शामिल है।
किन विधायकों का नाम मंत्रिमंडल हो सकता है शामिल
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कोई भी बने ऐसे में मंत्रिमंडल और विधानसभा अध्यक्ष की लिस्ट में कई विधायकों के नाम शामिल हो गए हैं। जिसमें पहला नाम रायपुर दक्षिण से विधायक बृजमोहन अग्रवाल का है, इसी तरह राजेश मूणत, अजय चंद्राकर, रेणुका सिंह, रामविचार नेताम, धरमलाल कौशिक, अमर अग्रवाल, धर्मजीत सिंह, केदार कश्यप, लता उसेंड़ी इसमें वो चेहरे भी शामिल है जो सीएम की रेस में चल रहे हैं अगर वह कम नहीं बनते तो उन्हें मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पदों पर रखा जाएगा।