रामपुर: भारत की धार्मिक भिन्नता की एक झलक रामपुर शहर में भी देखने को मिलती है. वैसे तो रामपुर शहर मुस्लिम बाहुल्य शहर है, लेकिन यहां की धार्मिक धरोहरों को संजो कर रखा गया है. भगवान भोलेनाथ ब्रह्मांड के निर्माता और ब्रह्मांड के प्रमुख तीन देवताओं में से एक है. इनकी शिवलिंग, रुद्राक्ष सहित कई रूपों में पूजा की जाती है.भारत में ऐसे कई मंदिर पाए जाते हैं, जिनके पीछे कई पौराणिक कथाएं और रोचक तथ्य छिपे होते हैं.
शहर से सटे गांव बेनजीर उर्फ घाटमपुर में स्थित कोसी शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग के प्रति लोगों की गहरी आस्था है. यह नगर का सबसे प्राचीन मंदिर माना गया है. वैसे तो इस मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटी रहती है, लेकिन शिवरात्रि और गंगा स्नान पर यहां श्रद्धालुओं का ऐसा तांता लगता है की जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर तक लाइनों में लगकर लंबा इंतजार भी करना पड़ता है.यहां दूर-दूर से भक्त, भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं. यहां अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए भारी संख्या में शिव भक्त उमड़ते हैं.
144 साल प्राचीन है शिव का यह चमत्कारिक मंदिर
मंदिर के पुजारी पंडित विष्णु शर्मा के मुताबिक उन्हें कोसी शिव मंदिर में अपनी सेवा देते हुए 22 साल से अधिक हो गए और यह मंदिर नवाबों के दौर से ही बना हुआ है. सन 1880 में लाला हरध्यान चंद ने अपनी भूमि पर बाग-बगीचे में इस मंदिर का निर्माण कराया. प्रकृति के नैसर्गिक दृश्य के बीचों बीच बने इस मंदिर में नर्मदेश्वर शिवलिंग सहित नंदी, मां दुर्गा, राधा कृष्ण, बजरंबली और विष्णु-लक्ष्मी जी की प्रतिमांए स्थापित की गयी हैं. भक्तों द्वारा लगभग 139 वर्षों से शिवलिंग पर निरंतर जल धारा प्रवाहित हो रही है.
पूरी हो जाती हैं सभी मनोकामनाएं
इस मंदिर की खास बात है कि यहां आने पर आपको एक अद्भुत शांति का अनुभव होगा. यहां आस पास हरा भरा और शांत वातावरण के कारण लोग सुबह शाम आते है. मान्यता है कि यहां पर 40 दिन तक दीपक जलाने से हर मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर में हर सोमवार को श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं. लोग दूर-दूर से यहां जलाभिषेक करने आते हैं.