देहरादून। विश्व-प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क में पाखरो टाइगर सफारी और इसके आसपास तोड़े गए अवैध निर्माण का कई टन मलबा गायब हो गया है। इसकी कीमत करोड़ों रुपये में बताई जा रही है। बड़ी बात यह है कि मलबा भी इस पूरे प्रकरण की जांच में केस प्रॉपर्टी है, इसके बावजूद अफसरों को पता नहीं है कि आखिर मलबा गया तो गया कहां?
पाखरो में टाइगर सफारी के लिए कई निर्माण किए गए। लेकिन, इसके लिए केंद्र और राज्य की परमिशन नहीं ली गई। शिकायत के बाद पिछले साल एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट ने काम रुकवा दिया। इसके बाद एनजीटी ने तमाम पक्के निर्माण तोड़ने के आदेश भी दे दिए, जिसमें पाखरो वन विश्राम परिसर में चार मंजिला टूरिस्ट हट, मोरघट्टी में चार टूरिस्ट हट सहित कई तरह के निर्माण शामिल थे।
इनको तोड़ने के बाद वहां कई टन मलबा, कई कुंतल सरिया, लकड़ी और ईंटें निकली थीं। लेकिन, अब यह सारा मलबा वहां से गायब है। यह कहां और किसने रखा, इसका भी किसी को पता नहीं। जबकि, इसे इस मामले में विजिलेंस जांच और सुप्रीम कोर्ट की जांच के अंतिम निर्णय तक केस प्रॉपर्टी के तौर पर रखा जाना था। उधर, कॉर्बेट पार्क के निदेशक धीरज पांडे का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस मामले को दिखवाया जा रहा है।
जहां-जहां अवैध निर्माण तोड़े गए थे, वहां अब मलबा नहीं है। वहां तो अब घास और पेड़-पौधे उगने लगे हैं। यह मलबा कहां रखा गया है या कहां चला गया है, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। वैसे भी यह सारा मामला मेरी तैनाती से पहले का है।
नीरज शर्मा, डीएफओ कालागढ़