नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच S-400 सिस्टम के रख रखाव को लेकर बड़ी डील हुई है. अब दुनिया के इस सबसे शक्तिशाली एयर डिफेंस का मेंटीनेंस भारत में ही किया जाएगा. रूस से खरीदे गए एस-400 मिसाइल सिस्टम की मेंटीनेंस का काम अब भारत में किया जाएगा. भारत ने रूस से 5.4 अरब डॉलर में S-400 मिसाइल सिस्टम की पांच यूनिट की खरीद की थी. जिसमें से 3 की डिलीवरी हो चुकी है. S-400 की डिलीवरी के बाद इनकी देखरेख के लिए एक सेटअप भारत में स्थापित किया जाएगा.
रूस ने फिर पेश की दोस्ती की नई मिसाल
ऐसा पहली बार होगा, जब रूस एस-400 मिसाइल सिस्टम के लिए अपने देश से बाहर कोई मेंटीनेंस फैसिलिटी स्थापित करेगा. S-400 स्क्वाड्रन को भारत भर में कई स्थानों पर तैनात किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर देश में ऐसी दो मेंटीनेंस फैसिलिटी स्थापित की जा सकती है. दूसरे चरण में, भारत में सिस्टम के लिए जरूरी पुर्जों का उत्पादन शुरू करने की तैयारी की जाएगी.
भारत का सुरक्षा कवच और मजबूत हुआ
इस मकसद के लिए, रूसी कंपनी भारतीय कंपनी के साथ एक संयुक्त उद्यम भी बनाएगी और तकनीकी भी मदद मुहैया कराएगी. इस काम के लिए जरूरी तकनीक भी रूसी कंपनी ही उपलब्ध कराएगी. ये काम 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है.
भारत को एस-400 के तीन स्क्वाड्रन मिल चुके हैं. जो कि पठानकोट, सिलीगुड़ी के पास और राजस्थान में तैनात हैं. बाकी दो स्क्वाड्रन अगले 12 से 24 महीनों के भीतर मिलने की उम्मीद हैं.
पीएम मोदी जाने वाले हैं रूस
रूस भारत का सबसे पुराना रक्षा सहयोगी और वफादार मित्र रहा है. वहीं ये भी साफ है कि भारत किसी से दोस्ती करता है तो फिर उसे अंत तक निभाता है. भारत की दोस्ती जितनी खूबसूरत है, दुश्मनी उतनी ही खतरनाक. ऐसे में यूक्रेन वार की वजह से रूस जब संकटों से चौतरफा घिरा है तो भारत बड़ी मजबूती से रूस का साथ निभा रहा है. यही वजह है कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी अपने दोस्त पुतिन से मिलने अगले महीने मॉस्को जा रहे हैं.
एस-400 को लेकर ताजा फैसले से भारत को अपना सुरक्षा कवच अभेद बनाने में आसानी होगी. मोदी-पुतिन के बीच जितनी पक्की दोस्ती है, दोनों के बीच उतनी है शानदार केमिस्ट्री है. ऐसे में इस फैसले से चीन और पाकिस्तान भी शॉक्ड रह गए होंगे.