प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पीएम-विश्वकर्मा योजना को कारीगरों, छोटे कारोबारियों की मदद के लिए बताया है. मोदी ने बजट के बाद प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना पर आयोजित एक वेबिनार में कहा कि उनका उद्देश्य आज के कारीगरों को कल का बड़ा उद्यमी बनाना है. उन्होंने कहा कि इसके लिए उनके व्यापार मॉडल में स्थिरता जरूरी है. मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना का उद्देश्य कारीगरों के कौशल को निखारना, उनके लिए आसानी से लोन की उपलब्धता सुनिश्चित करना और ब्रांड प्रचार में उनकी मदद करना है, जिससे उनके उत्पाद बाजार में जल्दी पहुंच सकें.
स्किल इंडिया के तहत लोगों को मिली ट्रेनिंग
पीएम मोदी ने कहा कि इसका लक्ष्य कारीगरों और लघु कारोबार से जुड़े लोगों की भी मदद करना भी है. उन्होंने आगे कहा कि स्किल इंडिया मिशन के तहत करोड़ों लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटे स्तर के कारीगर स्थानीय शिल्प के निर्माण और देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं.
मोदी ने कहा कि आज का ये बजट वेबिनार भारत के करोड़ों लोगों के हुनर और उनके कौशल को समर्पित है. कौशल जैसे क्षेत्र में हम जितना विशिष्ट रूप से केंद्रीत होंगे, हमारा रूख जितना लक्ष्य आधारित होगा. उतने ही बेहतर परिणाम मिलेंगे और पीएम-विश्वकर्मा योजना उसी सोच का नतीजा है.
प्रधानमंत्री ने गिनाए सरकारी योजनाओं के फायदे
मोदी ने कहा कि आजादी के बाद हमारे कारीगरों को सरकार से जिस तरीके के हस्तक्षेप की जरूरत थी, वो नहीं मिल पाई. उन्होंने कहा कि आज कई लोग अपना पुश्तैनी और पारंपरिक व्यवसाय छोड़ रहे हैं, हम इस वर्ग को ऐसे ही अपने हाल पर नहीं छोड़ सकते. प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमारे गांवों और शहरों में विभिन कारीगर हैं, जो अपने हाथ के कौशल से औजार का इस्तेमाल करते हुए जीवन बिताते हैं. पीएम-विश्वकर्मा योजना का फोकस ऐसे ही एक बहुत बड़े और बिखरे हुए समुदाय की तरफ है.
पीएम मोदी ने कहा कि हमने छोटे दुकानदारों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए पीएम-स्वनिधि योजना बनाई. इसका उन्हें लाभ मिला है. उन्होंने कहा कि पीएम-विश्वकर्मा योजना से करोड़ों लोगों की बड़ी मदद होने जा रही है. हर विश्वकर्मा साथी को आसानी से लोन मिले, उनका कौशल बढ़े. यह सुनिश्चित किया जाएगा. मोदी ने कहा कि पीएम-विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपरा को संरक्षित तो करना ही है, उसका विकास भी करना है. अब हमें कौशल आधारभूत प्रणाली को उनकी जरूरतों के मुताबिक नए सिरे से तैयार करने की जरुरत है.