अक्टूबर-नवंबर में भारत में वनडे वर्ल्ड कप 2023 का आयोजन होना है. टूर्नामेंट की शुरुआत 5 अक्टूबर से होगी, जबकि टीम इंडिया 8 अक्टूबर को अपना पहला मैच खेलेगी. इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया किन खिलाड़ियों को चुनेगी ये कई दिनों से लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है लेकिन इतना संकेत तो मिल गया है कि कुछ ऐसे खिलाड़ियों को मौका नहीं मिलेगा, जिनके चुने जाने की उम्मीद थी. इसमें बाएं हाथ के युवा तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह भी हैं. इस फैसले में डर सिर्फ इस बात का है कि अगर टीम इंडिया ऐसा करती है तो उसके लिये ये घातक साबित हो सकता है.
वैसे तो वर्ल्ड कप के लिए टीम के चयन में अभी काफी वक्त है और हो सकता है कि अर्शदीप को मौका मिल भी जाए, लेकिन फिलहाल संकेत तो ऐसे ही हैं कि उनकी जगह शायद नहीं बने. इन संकेत और आशंकाओं की वजह है एशियन गेम्स 2023. बीसीसीआई ने शुक्रवार को इन गेम्स के लिए भारतीय टीम का ऐलान किया, जिसमें ज्यादातर युवा खिलाड़ियों को मौका दिया गया. अर्शदीप को भी इसमें जगह मिली है.
वर्ल्ड कप नहीं खेलेंगे अर्शदीप?
अगर आप सोच रहे हैं कि इसका वर्ल्ड कप से क्या लेना देना? विस्तार से आपको बताते हैं. असल में एशियन गेम्स में क्रिकेट इवेंट 28 सितंबर से शुरू होकर 8 अक्टूबर तक चलेगा. यानी तब तक वर्ल्ड कप शुरू हो चुका होगा. ऐसे में फिलहाल तो यही मानकर चला जा रहा है कि अर्शदीप वर्ल्ड कप के लिए 15 सदस्यों वाले स्क्वाड का हिस्सा नहीं होंगे. अगर उन्हें जगह मिलती भी है तो वह स्टैंडबाय में हो सकते हैं.
2011 में जीत की बड़ी वजह
अब अगर ऐसा होता है तो इसके क्या नुकसान हैं वो आपको बताते हैं. सबसे पहले तो 2011 के वर्ल्ड कप से समानता की बात करते हैं. 12 साल पहले वो वर्ल्ड कप भी भारत में हुआ था और टीम इंडिया चैंपियन बनी थी. उस टीम का अहम हिस्सा थे बाएं हाथ के दिग्गज पेसर जहीर खान और आशीष नेहरा थे, जिन्होंने मुनफ पटेल और श्रीसंत जैसे दाएं हाथ के पेसरों के साथ मिलकर गेंदबाजी में गेंदबाजी को विविधता दी थी. इसके उलट 2015 और 2019 के वर्ल्ड कप में टीम इंडिया में एक भी बाएं हाथ के तेज गेंदबाज नहीं था.
क्यों जरूरी है लेफ्ट आर्म पेसर?
लेफ्ट आर्म पेसर पर इतना जोर इसलिए है क्योंकि हर टीम की बैटिंग यूनिट में ज्यादातर बल्लेबाज दाएं हाथ के होते हैं और ऐसे में लेफ्ट आर्म पेसर की बॉलिंग में एक ऐसा एंगल बनता है, जो एक ही लाइन और लेंथ से गेंद को अंदर या बाहर ले जाकर बल्लेबाजों के मन में संदेह पैदा करता है. 2017 का चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल और 2019 का वर्ल्ड कप सेमीफाइनल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां बाएं हाथ के पेसरों ने टीम इंडिया को ध्वस्त कर दिया था.
भारतीय टीम पिछले काफी वक्त से बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों के बिना ही खेलती रही है, जबकि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका, पाकिस्तान जैसी बड़ी टीमों के पास हमेशा ही कम से कम एक ऐसा गेंदबाज होता है.
अर्शदीप ने दिखाई है काबिलियत
अर्शदीप के पास निश्चित रूप से जहीर खान या आशीष नेहरा जैसा अनुभव नहीं है लेकिन उनकी काबिलियत में कोई कमी नहीं है. पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप में उन्होंने ये दिखाया भी था. मेलबर्न में पाकिस्तान के खिलाफ पहले ही मैच में अर्शदीप ने अपनी इनस्विंग और बाउंसर्स से बाबर आजम और मोहम्मद रिजवान जैसे बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया था.
सिर्फ इतना ही नहीं, आईपीएल में भी अर्शदीप ने पंजाब किंग्स के लिए बेहतरीन गेंदबाजी की है और ऐसे में उनको मौका देना टीम इंडिया के लिए फायदेमंद ही होगा. हालांकि, अभी भी ये साफ नहीं है कि अर्शदीप को मौका मिलेगा या नहीं लेकिन अगर ऐसा होता है तो टीम इंडिया अपना ही नुकसान करेगी.