बिहार के गया जिले में एक बड़ा अनोखा स्कूल मौजूद है. इस स्कूल की खासियत ये है कि यहां पर बच्चों से फीस के बजाय प्लास्टिक कचरा लिया जाता है. ये स्कूल गया जिले के बोध गया के सेवा बीघा में स्थित है. इस School की खासियत ये है कि यहां पर पढ़ने वाले बच्चों से नियमित रूप से अपने घर से प्लास्टिक कचरा लाने को कहा जाता है. स्टूडेंट्स को बताया गया है कि वे कचरे को स्कूल के गेट के पास रखे कूड़ेदान में डालें. इसके पीछे की मुख्य वजह बोधगया को साफ-सुथरा रखना है.
इस स्कूल का नाम पदमपानी स्कूल है. कूड़ेदान में इकट्ठा होने वाले कचरों को बेचकर स्कूल के खर्चों को निपटाया जाता है. बच्चों द्वारा घर से या रास्ते से, जो भी प्लास्टिक कचरा लाया जाता है, उसे स्कूल के बाहर कूड़ेदान में फेंकना पड़ता है. बाद में इस कचरे को रिसाइकिल करने के लिए भेजा जाता है. कूड़ा-करकट बेचकर जो पैसा इकट्ठा किया जाता है, उसे बच्चों की पढ़ाई, खाने-पीने, कपड़े और किताबों पर खर्च किया जाता है.
प्रदूषण के खिलाफ स्कूल की अनोखी पहल
दरअसल, बोधगया एक ऐसा स्थान है जहां देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु हर रोज पहुंचते हैं. ऐसे में इस इलाके को साफ-सुथरा, सुंदर और विजिटर्स के लिए खूबसूरत बनाने के साथ-साथ प्लास्टिक प्रदूषण को दूर रखने के लिए स्कूल द्वारा ऐसी पहल की गई है. प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है और इसकी वजह से जलवायु परिवर्तन भी देखने को मिलता है. यही वजह है कि स्कूल इस पहल के जरिए इन समस्याओं से निपट रहा है.
अपनी इस पहल के जरिए ये स्कूल पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक मिसाल कायम कर रहा है. इसके अलावा स्कूल में बिजली कनेक्शन नहीं है. पूरा स्कूल सोलर एनर्जी से ऑपरेट होता है, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और कदम है.
फ्री एजुकेशन के साथ मिलयी हैं ये सुविधाएं
पदमपानी स्कूल को 2014 में स्थापित किया गया था. यहां पर पहली से आठवीं क्लास तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है. ये स्कूल बिहार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है. आज इस स्कूल में गरीब परिवारों के लगभग 250 बच्चे पढ़ने आते हैं और उन्हें बेहतर शिक्षा मुहैया कराई जा रही है. इस स्कूल की खास बात यह है कि यहां मुफ्त शिक्षा और भोजन के साथ-साथ किताबें और स्टेशनरी भी मुफ्त में दी जाती है. हालांकि ट्यूशन फीस के एवज में बच्चों को घर से स्कूल आते समय रास्ते में बिखरा कचरा लाने को कहा जाता है.