देहरादून l पिछले साल लॉकडाउन में प्रदूषण नियंत्रण के चौंकाने वाले परिणाम देने वाली धर्मनगरी का इसबार प्रदर्शन निराशाजनक रहा। पिछले साल अप्रैल-मई में हरिद्वार शहर का एक्यूआई 50 से भी कम रहा, जो बेहतर माना जाता है। जबकि इस बार अप्रैल में दो सौ के आसपास रहा। अप्रैल में कुंभ मेले को इसका बड़ा कारण माना जा रहा है। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर जारी एयर क्वालिटी इंडेक्ट (एक्यूआई) के आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल मार्च की तुलना में जहां बाकी शहरों में वायु प्रदूषण घटा, वहीं अकेले हरिद्वार में बढ़ा है। हरिद्वार में इस साल मार्च में प्रदूषण का स्तर 120 था, जो पिछले साल के बराबर है, लेकिन अप्रैल में जहां बाकी शहरों प्रदूषण का स्तर घटा, वहीं हरिद्वार का बढ़कर 195 पहुंच गया। क्योंकि पूरे अप्रैल हरिद्वार में कुंभ से जुड़े स्नान पर्व रहे। यहां 27 अप्रैल को आखिरी स्नान संपन्न हुआ। इस कारण यहां कोविड कर्फ्यू भी देर में लगा।
कोविड कर्फ्यू का असर यहां मई में दिखा और प्रदूषण का स्तर घटकर आधा के लगभग 101 तक गिर गया। यहां गौर करने वाली यह है कि पिछले साल लॉकडाउन में हरिद्वार का वायु प्रदूषण का स्तर बाकी शहरों से सबसे कम रहा था। यहां अप्रैल 2020 में 46 और मई मे 49 एक्यूआई दर्ज किया गया। पिछले साल हरिद्वार अकेले ऐसे शहर था जिसका वायु प्रदूषण स्तर 50 से कम रहा था। जबकि इस बार अप्रैल में देहरादून के बाद हरिद्वार राज्य में दूसरे नंबर पर रहा। पीसीबी के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. अंकुर कंसल के अनुसार, भीड़भाड़ और वाहनों की ज्यादा आवाजाही से वायु प्रदूषण स्तर बढ़ता है। कुंभ के समय प्रदूषण का स्तर बढ़ने का यह एक प्रमुख कारण हो सकता है।
खबर इनपुट एजेंसी से