नई दिल्ली: हरियाणा में बीजेपी हैट्रिक लगाने जा रही है. ये अपने आप में रिकॉर्ड है, क्योंकि हरियाणा में कभी भी कोई पार्टी लगातार तीसरी बार चुनाव नहीं जीती है. इतना ही नहीं, हरियाणा के इतिहास में बीजेपी का ये अब तक की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस भी हैं. बीजेपी इससे पहले कभी भी 50 के आंकड़े को छू नहीं सकी है.
हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक की एक वजह ‘मुख्यमंत्री बदलने का फॉर्मूला’ भी माना जा रहा है. इसी साल मार्च में बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था.
मनोहर लाल खट्टर जहां पंजाबी थे, वहीं नायब सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं. खट्टर को हटाकर सैनी को मुख्यमंत्री बनाने बीजेपी के लिए फायदे का सौदा रहा है. क्योंकि एग्जिट पोल तक हरियाणा में बीजेपी की विदाई और कांग्रेस की वापसी का अनुमान लगा रहे थे. लेकिन अब तक जो रुझान और नतीजे सामने आए हैं, उससे तस्वीर लगभग साफ है कि बीजेपी 2014 और 2019 से भी बड़ी जीत हासिल करने जा रही है.
सैनी को सीएम बनाने का दांव पास?
हरियाणा की सियासत में जाट काफी अहम फैक्टर माने जाते हैं. किसान आंदोलन और फिर पहलवानों के आंदोलन की वजह से जाट वोटर्स बीजेपी से नाराज माने जा रहे थे. इसके अलावा, ऐसा भी माना जा रहा था कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बूते कांग्रेस को ज्यादा जाट वोट मिलने की उम्मीद थी. ऐसे में बीजेपी ने ओबीसी फैक्टर को साधने की कोशिश की.
अनुमान है कि हरियाणा में 40% ओबीसी, 25% जाट, 20% दलित, 5% सिख और 7% मुस्लिम हैं. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को जाटों की नाराजगी का नुकसान उठाना पड़ा है. कांग्रेस ने यहां की 10 में से 5 सीटों पर जीतीं. इनमें से दो- अम्बाला और सिरसा एससी सीट थी. बाकी तीन- सोनीपत, रोहतक और हिसार जाट बहुल सीटें थीं. वहीं, बीजेपी ने करनाल, फरीदाबाद, गुड़गांव, भिवानी-महेंद्रगढ़ और कुरुक्षेत्र में जीत हासिल की. इन सभी पांचों सीटों पर ओबीसी और ऊंची जातियों का दबदबा है.
मार्च में जब बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया, तब इसे चुनावी दांव ही माना गया था. क्योंकि बीजेपी कई राज्यों में चुनावों से पहले मुख्यमंत्री बदल चुकी थी. इस चुनाव में बीजेपी ने सैनी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया. माना जा रहा है कि सैनी के कारण बीजेपी ने न सिर्फ एंटी-इन्कंबेंसी को कम किया, बल्कि ओबीसी वोटों को भी साधा.
बीजेपी का CM बदलने का फॉर्मूला हिट?
2021 के बाद से बीजेपी ने कई राज्यों में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदले हैं. ऐसा करके बीजेपी ने एंटी-इन्कंबेंसी को दूर किया है. हरियाणा पांचवां राज्य था, जहां बीजेपी ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा बदला और उसे इसका फायदा मिलता दिख रहा है.
इससे पहले बीजेपी ने जिन भी राज्यों में मुख्यमंत्री बदला है, उनमें से सिर्फ कर्नाटक को छोड़कर बाकी सभी में उसका ये फॉर्मूला हिट रहा है.
कहां-कहां बीजेपी का फॉर्मूला हिट?
गुजरातः बीजेपी ने गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले दो बार मुख्यमंत्री चेहरा बदला है और दोनों ही बार उसे फायदा मिला. 2017 के चुनाव से पहले बीजेपी ने आनंदीबेन पटेल को हटाकर विजय रुपाणी को सीएम बनाया. 2017 में चुनाव में बीजेपी ने 182 में से 99 सीटें जीतीं. इसके बाद 2022 के चुनाव से पहले सितंबर 2021 में बीजेपी ने विजय रुपाणी को हटाकर भूपेंद्र सिंह पटेल को मुख्यमंत्री बनाया. 2022 में जब चुनाव हुए तो बीजेपी ने 156 सीटें जीतीं.
उत्तराखंडः 2022 के विधानसभा चुनाव से लगभग सालभर पहले बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया. हालांकि, तीरथ सिंह रावत चार महीने भी इस पद पर नहीं रहे और उन्हें हटाकर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया. 2022 के चुनाव में बीजेपी ने उत्तराखंड विधानसभा की 70 में से 47 सीटों पर जीत हासिल की.
त्रिपुराः मार्च 2023 में त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव हुए. इससे कुछ महीने पहले बीजेपी बिप्लब कुमार देब को हटाकर माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया. 2023 में जब चुनाव हुए तो बीजेपी अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही. उस चुनाव में बीजेपी ने 60 में से 32 सीटों पर जीती.
कर्नाटकः चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने का दांव कर्नाटक में पास नहीं हुआ. कई नेताओं के विरोध के बावजूद जुलाई 2021 में बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया. इस बदलाव को फायदा बीजेपी को नहीं मिला और पार्टी 2023 के चुनाव में हार गई. 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 224 में से महज 66 सीटें ही जीत सकी. उस चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीटें जीती थीं.
हरियाणा में बना रिकॉर्ड
हरियाणा के चुनावी इतिहास में आजतक किसी भी राजनीतिक पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में नहीं लौटी है. अब बीजेपी ये रिकॉर्ड बनाने जा रही है. बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है.