नई दिल्ली: कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो वोटों के लिए बनाए अपने ही जाल में उलझ गए हैं, जहां उनकी देश के अंदर ही थू-थू हो रही है, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी कूटनीतिक समझ पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. अमेरिका जैसे देश ने स्पष्ट कर दिया है कि उसे भारत या कनाडा में से किसी एक को चुनना होगा तो वह भारत को चुनेगा. यही स्थिति पूरी दुनिया के अधिकतर देशों की है. भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. हर किसी को अपना माल बेचने भारत आना है. यही समझने में ट्रूडो से चूक हो गई. रिश्ते खराब हुए सो अलग. वह खालिस्तानी समर्थकों की गोद में जाकर बैठ गए. वह यह भी भूल गए कि भारत ने उन्हें आतंकियों की लिस्ट पांच साल पहले ही सौंप दी थी. अगर उस समय स्वदेश वापसी के बाद वे कार्रवाई कर देते तो आज रिश्ते में यह कड़वाहट देखने को नहीं मिलती.
आज वह अल्पमत की सरकार चला रहे हैं. साल 2025 में चुनाव है. ऐसे में क्या सत्ता और क्या विपक्ष, भारत विरोधी गतिविधियों पर सब मौन हैं, जो न कनाडा के लिए ठीक है और न ही भारत के लिए. वहीं मौन से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि चारों ओर चुप्पी है. लगातार दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट आ रही है.
कनाडा ने नहीं की खालिस्तानी आतंकियों पर कार्रवाई
2018 की बात है, जस्टिन ट्रूडो भारत के दौरे पर आए तो अमृतसर भी गए. कैप्टेन अमरिंदर सिंह पंजाब के सीएम थे. दोनों की मुलाकात हुई तो सीएम कैप्टेन ने उन्हें स्पष्ट बताया कि कनाडा की धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ हो रहा है. इसे रोके जाने की जरूरत है. हालिया घटनाक्रम के बाद कैप्टेन ने अपनी इस मुलाकात के दौरान हुई बातचीत का खुलासा किया और कहा कि सब कुछ बताने और लिखकर देने के बावजूद कनाडा ने खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और अब वह खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगा रहे हैं, जिसका कोई आधार नहीं है.
इन खालिस्तानी आतंकियों के नाम लिस्ट में थे शामिल
कैप्टेन ने जो लिस्ट सौंपी थी, उसमें हरदीप सिंह निज्जर का नाम भी शामिल था. ऐसा भी नहीं था कि पंजाब के पूर्व सीएम ने आधी-अधूरी जानकारी दी हो. कनाडा में इनके घरों के पते तक सौंपे थे फिर भी कनाडा सरकार मौन रही और हत्या के बाद निज्जर को निर्दोष सामान्य नागरिक बता रही है. इस लिस्ट में गुरजीत सिंह चीमा, गुरप्रीत सिंह, गुरजिन्दर सिंह पन्नू, मलकीत सिंह उर्फ फौजी, परविकार सिंह दुलाई, भगत सिंह बरार, टहल सिंह, सुलिन्दर सिंह, हरदीप सोहोता के नाम, पाते, संगठनों के नाम, इनके आपसी कनेक्शन आदि की विस्तार से जानकारी दी थी. कनाडा सरकार चाहती तो इनके खिलाफ एक्शन ले सकती थी, ऐसा करती तो आज न तो भारत के साथ उसके रिश्तों में कड़वाहट आती और न ही निज्जर की हत्या होती क्योंकि तब शायद वह जेल में होता.
NIA ने गुरपतवंत सिंह पन्नू पर की बड़ी कार्रवाई
भारत-कनाडा के तनावपूर्ण रिश्तों के बीच भारत की महत्वपूर्ण सुरक्षा एजेंसी एनआईए ने गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए चंडीगढ़ स्थित उसके घर, अमृतसर स्थित जमीन जब्त कर ली है. प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस का मुखिया पन्नू खालिस्तानी आतंकी है. उसके खिलाफ देशद्रोह के तीन सहित कुल 22 आपराधिक मामले दर्ज हैं. यह वही पन्नू है, जिसने हाल ही में कनाडा से हिंदुओं को छोड़कर चले जाने का धमकी भरा वीडियो जारी किया था. पता यह भी चल रहा है कि एनआईए अब अपनी कार्रवाई तेज करने की योजना पर काम कर रहा है. फिलहाल 19 खालिस्तानी आतंकी इस सूची में दर्ज हैं, जिन पर आतंकवाद रोधी कानून के तहत कार्रवाई तय मानी जा रही है.
भारत के खिलाफ अभियान चला रहे ये आतंकी
ये सभी आतंकी विदेशी धरती पर रहकर भारत विरोधी अभियान चला रहे हैं. ये पाकिस्तान, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों में रहकर देश के खिलाफ अभियान को हवा दे रहे हैं. इस सूची के मुताबिक ब्रिटेन में रहकर परमजीत सिंह पम्मा, कुलवन्त सिंह मुथरा, सुखपाल सिंह, सरबजीत सिंह बेन्नूर, कुलवंत सिंह उर्फ कांता, गुरमीत सिंह उर्फ बग्गा उर्फ बाबा, गुरप्रीत सिंह उर्फ बागी, दुपिंदर जीत भारत के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. यही काम पाकिस्तान में बैठकर वाधवा सिंह बब्बर उर्फ चाचा और रंजीत सिंह नीता कर रहे हैं.
अमेरिका के अलग-अलग हिस्सों में रहकर जय धालीवाल, हरप्रीत सिंह उर्फ राणा सिंह, हरजाप सिंह उर्फ जप्पी सिंह, अमरदीप सिंह पूरेवाल, एस.हिम्मत सिंह, खालिस्तानी अभियान को हवा दे रहे हैं. इसी में जसमीत सिंह हकीमजादा का नाम भी है, जो दुबई में रहकर भारत के खिलाफ अभियान चला रहा है. गुरजंत सिंह ढिल्लों ऑस्ट्रेलिया, लखबीर सिंह रोडे यूरोप और कनाडा, जतिंदर सिंह ग्रेवाल कनाडा में रहकर यही काम कर रहे हैं.
कनाडा में लंबे समय से रह रहे भारतीय संजीव मलिक ने फोन पर बताया कि ट्रूडो अब न घर के रहे न घाट के वाली कहावत पर पहुंच गए हैं. मौजूदा सीन में देश के अंदर और बाहर उनकी छवि और खराब हुई है. लोग चर्चा करने लगे हैं कि आज के जमाने में ऐसी कूटनीति कौन करता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी बदनामी हो. अब वे चुनाव जीतने की बौखलाहट में भारत जैसे बड़े देश के साथ रिश्ते खराब कर रहे हैं. कनाडा की जागरूक जनता इनका हिसाब-किताब चुनाव में ही करेगी.