नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में शुक्रवार को 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर मतदान हो रहे हैं. इस फेज में मोदी सरकार के 5 केंद्रीय मंत्री और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की साख दांव पर लगी है. यह चरण इसलिए भी अहम है कि बीजेपी पिछले चुनाव में इन 88 सीटों में से करीब 60 फीसदी सीटें जीतने में कामयाब रही थी, तो कांग्रेस 20 फीसदी सीट पर सिमट गई थी. हालांकि, दूसरे फेज में कई सीटें ऐसी हैं, जो अपना सियासी रंग बदलती रही है. इसके चलते ही माना जा रहा है कि यह फेज देश की सत्ता की किस्मत का फैसला करेगा.
दूसरे चरण की जिन 88 सीटों पर वोटिंग हो रही है उन पर 1198 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है. इनमें 1097 पुरुष, 100 महिलाएं और एक थर्ड जेंडर प्रत्याशी है. दूसरे फेज में असम की 5, बिहार की 5, छत्तीसगढ़ की 3, कर्नाटक की 14, केरल की 20, मध्य प्रदेश की 6, महाराष्ट्र की 8, राजस्थान की 13, उत्तर प्रदेश की 8, बंगाल की 3, जम्मू-कश्मीर की 1, मणिपुर और त्रिपुरा की 1 सीट शामिल है.
पांच साल पहले 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी का पलड़ा भारी था, जबकि कांग्रेस काफी पिछड़ गई थी. दूसरे फेज में जिन 88 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें बीजेपी 52 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और कांग्रेस को 18 सीट मिली थी. वहीं, अन्य दलों को 18 सीटें मिली थीं, जिसमें 7 सीटें बीजेपी के सहयोगी दलों को मिली थीं और 11 सीटें कांग्रेस के सहयोगी और अन्य विपक्षी दलों को मिली थीं. इस बार के बदले हुए सियासी समीकरण में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की फाइट मानी जा रही. ऐसे में सभी की निगाहें दूसरे चरण की उन सीटों पर हैं, जो 2024 के सत्ता का फैसला करेंगी?
कौन-कितनी सीटों पर लड़ रहा चुनाव
2024 के लोकसभा चुनाव में दूसरे चरण की 88 सीटों में उम्मीदवारों को देखें तो बीजेपी 69 सीटों पर किस्मत आजमा रही है, जबकि कांग्रेस 68 सीट पर चुनाव लड़ रही है. एनडीए के सहयोगी एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना 3 सीट पर चुनाव लड़ी, जेडीयू 4 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं. इसके अलावा आरएसपीएस 1 सीट और जेडीएस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. वहीं, कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के आरजेडी 2, सपा 4, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग 2 सीट, आरसीपी 1, केसीएम एक, एनसीपी 1, उद्धव ठाकरे की शिवसेना चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.
वहीं, दूसरे चरण की 88 सीटों को देखें तो 34 सीटें ऐसी हैं जिन पर पिछले तीन लोकसभा में एक ही पार्टी का कब्जा है, जबकि 54 सीटों पर सियासी मिजाज बदलता रहा है. पिछले तीन बार से लगातार जीतने वाली 34 सीटों में से 19 सीटें बीजेपी के पास हैं, कांग्रेस के कब्जे में 8 सीटें और अन्य दलों के हिस्से में सात सीटें हैं. वहीं, 54 सीटें शिफ्ट होती रही हैं, जिसमें कुछ सीटों पर दो बार से किसी का कब्जा है, तो कुछ सीटों पर हर बार सांसद बदल जाते हैं.
दूसरे फेज में ये 54 सीटें 2024 की सत्ता का फैसला करेंगी. इन्हीं 34 सीटों पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने जिन 72 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 56 में उसे 40 फीसदी से अधिक वोट शेयर मिला था, जबकि कांग्रेस को 26 सीटों पर 40 फीसदी से अधिक वोट मिला था. इसके अलावा 23 सीटों पर 30 से 40 प्रतिशत के बीच वोट शेयर था. इस तरह बीजेपी काफी मार्जिन के साथ सीटें जीतने में कामयाब रही और कांग्रेस को कई सीटें गंवानी पड़ीं. सात लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां 2019 के चुनाव में जीत का अंतर दो फीसदी से कम था.
बीजेपी-कांग्रेस के लिए कितनी सीटें सेफ और कितनी अनसेफ
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों की मजबूत सीटों के साथ-साथ कई स्विंग सीटें भी हैं. 2009 के बाद से मौजूदा चुनावों में 88 सीटों में से 14 सीटें बरकरार नहीं रहीं. ये सीटें हैं-अमरोहा, बालुरघाट, बांका, भागलपुर, चलाकुडी, चित्रदुर्ग, हिंगोली, इडुक्की, कन्नूर, करीमगंज, कटिहार, रायगंज, सिलचर और त्रिशूर सीट है. 2024 के चुनाव में इन्हीं सीटों पर सारा दारोमदार टिका हुआ है. इसके अलावा इस बार के बदले हुए सियासी समीकरण में यूपी, बिहार और महाराष्ट्र की सीटों का गेम बदला हुआ नजर आ रहा है.
दूसरे चरण में बीजेपी के लिए 19 सीटें सेफ मानी जाती हैं, क्योंकि पार्टी ने 2009 के बाद से सभी तीन चुनावों में ये सीटें जीती हैं. वहीं, 24 लोकसभा सीटें अनसेफ मानी जाती हैं क्योंकि 2009 के बाद इन सीटों पर दो बार जीती है. छह सीटें बीजेपी के लिए कमजोर मानी जा रही हैं क्योंकि पिछले तीन चुनाव में उन्हें केवल एक बार जीत मिली. बीजेपी 11 सीटों पर बहुत की कमजोर मानी जा रही है क्योंकि उन पर जीत नहीं मिल सकी. इसकी तुलना में कांग्रेस आठ सीटों पर सुरक्षित है, जबकि 11 पर अपेक्षाकृत सुरक्षित है. कांग्रेस 22 सीटों पर कमजोर और 28 सीटों पर बहुत कमजोर है. ऐसे में अनसेफ और कमजोर सीटों पर सियासी खेल कुछ भी हो सकता है.
बिहार की जिन पांच सीटों पर वोटिंग हो रही है उन पर भी इस बार मामला फंसा हुआ है. जेडीयू के लिए अपनी चारों सीटों को बचाए रखने की चुनौतियों से जूझना पड़ा रहा है. किशनगंज और पूर्णिया सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है तो बांका, भागलपुर और कटिहार में इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच मुकाबला है. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की 8-8 लोकसभा सीटों पर दूसरे चरण में चुनाव हैं. बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए ने महाराष्ट्र की 8 में से 7 सीटें जीती थीं और एक सीट निर्दलीय को मिलीं. इस बार महाराष्ट्र में सारा समीकरण ही बदल गया है. एनडीए को इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है, तो उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की भी अग्निपरीक्षा है.
उत्तर प्रदेश की 8 में से 7 सीटें बीजेपी जीती थी और एक सीट बसपा को मिली थी. इस बार कांग्रेस और सपा मिलकर चुनावी मैदान में उतरी हैं, तो बीजेपी-आरएलडी एक साथ हैं. बसपा अकेले ही चुनावी मैदान में है. इसके चलते कई सीटों पर त्रिकोणीय लड़ाई होती नजर आ रही है, बसपा किसी सीट पर एनडीए के लिए टेंशन बनी है, तो कहीं इंडिया गठबंधन का खेल बिगाड़ रही. ऐसे में यूपी की 8 सीटों पर सभी की निगाहें है.
राजस्थान और छत्तीसगढ़ बीजेपी ने किया था क्लीन स्वीप
दूसरे चरण में जिन राज्यों की सीटों पर चुनाव हो रहा हैं, उसमें राजस्थान की 14 और छत्तीसगढ़ की 3 सीटें हैं, जिन पर बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी. इसी तरह त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर और मणिपुर की 1-1 सीट भी बीजेपी ने जीती थी. इस बार राजस्थान में बीजेपी के लिए सियासी राह आसान नहीं है. बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. छत्तीसगढ़ में पिछले साल हुए सत्ता परिवर्तन के बाद बीजेपी के लिए अग्निपरीक्षा है.
वहीं, केरल में कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ गठबंधन ने 20 में से 19 सीटें जीती थीं. देशभर में कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें केरल से मिली थीं, लेकिन इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है. एलडीएफ और यूडीएफ के साथ बीजेपी नेतृत्व वाला एनडीए पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में है. बीजेपी का केरल में सियासी ग्राफ लगातार बढ़ रहा है, जिसके चलते कई सीटों पर त्रिकोणीय फाइट हो रही है. इस तरह कांग्रेस के लिए केरल में अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है तो यूपी, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र में खाता खोलने की चैलेंज है. इतना ही नहीं यूपी में सपा के लिए भी चुनौती कम नहीं है क्योंकि इस चरण में पिछली बार उसे एक भी सीट नहीं मिली थी.