नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ गया है. आख़िरी दो चरणों में पूर्वांचल की 27 सीटों पर वोटिंग होनी है. इनमें 14 सीटो के लिए आज वोटिंग हो रही है और बाकी बची सीटों पर एक जून के मतदान होगा. इन चरणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी और सीएम योगी की गोरखपुर सीट भी शामिल हैं. ये दोनों चरण बीजेपी के लिए बेहद अहम हैं क्योंकि पिछली बार 2019 पार्टी का यहां सबसे खराब प्रदर्शन रहा था.
बीजेपी मिशन 80 का दावा कर रही है लेकिन इन आखिरी दो चरणों में छह सीटें ऐसी हैं जिन पर पार्टी की सांसें थमी हुई है. इनमें सीटों पर बहुत कम अंतर से पार्टी को जीत मिल पाई है. ये सीटें हैं मछली शहर, चंदौली, सुल्तानपुर, बलिया, बस्ती और कौशांबी, जहां बीजेपी हारते-हारते बच गई. ऐसे में अगर थोड़ा भी वोट स्विंग होता है तो विरोधी पक्ष को इसका फायदा मिल सकता है.
बीजेपी के लिए सिरदर्द बनी ये 6 सीटें
2019 में सपा-बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे, जो सबसे मजबूत गठबंधन माना जाता है. इनमें मछलीशहर ऐसी सीट थी जिस पर बीजेपी को कड़ी टक्कर मिली थी, इस सीट पर बीजेपी के बीपी सरोज सिर्फ 181 वोटों से जीते थे. इस बार भी यहां जबरदस्त मुकाबला है.
चंदौली सीट भी उन सीटों में शामिल हैं जहां बीजेपी कम अंतर से जीती थी. इस सीट पर बीजेपी महेंद्र नाथ पांडे ने 13,959 वोटों से जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने इस बार भी उन्हीं पर दांव लगाया है जबकि सपा की ओर से संजय चौहान की जगह वीरेंद्र सिंह को टिकट दिया गया है. वीरेंद्र कांग्रेस व बसपा से विधायक रह चुके हैं.
सुल्तानपुर सीट पर बीजेपी ने दूसरी बार भी मेनका गांधी को उतारा है. इस सीट पर उनका मुकाबला सपा के राम भुआल निषाद और बसपा के उदराज वर्मा से हैं. पिछली बार 2019 में मेनका गांधी यहां 14,526 वोटों के अंतर से जीती थीं. बलिया सीट पर भी बीजेपी के वीरेंद्र सिंह 15,519 वोटों से जीते थे. इस बार भाजपा ने नीरज शेखर को टिकट दिया है.
बस्ती में बीजेपी के हरीश द्विवेदी को 30,354 वोटों के अंतर से जीत मिली थी. इस बार फिर वो मैदान में हैं. उनका मुक़ाबला सपा के राम प्रसाद चौधरी से है. इस सीट पर कुर्मी और दलित वोटर्स खासी तादाद में हैं, कौशांबी सीट पर बीजेपी को 38,722 वोटों के अंतर से जीत मिली थी. इस बार भी बीजेपी ने विनोद सोनकर को टिकट दिया है. जबकि सपा के इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज को उम्मीदवार बनाया है.